- बीआईटी ट्रस्ट की संरचना, बैठक प्रक्रिया एवं संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु जांच कराई जाए।
- संस्थान में जबरन सेवानिवृत्ति की परंपरा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।
- सम्पूर्ण रूप से बीएसपी की जमीन पर काबिज बीआइटी प्रबंधन बीएसपी कर्मियों को आर्थिक छूट प्रदान करे।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट की जमीन से लाभ उठाने भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) दुर्ग को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा भड़क रहा है। जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह ने एक बार फिर अपने पत्र से हड़कंप मचा दिया है।
बीआईटी दुर्ग के ट्रस्ट में व्याप्त अनियमितताओं की जांच एवं सम्पूर्ण रूप से भिलाई इस्पात संयंत्र की जमीन पर स्थापित एवं ट्रस्ट के माध्यम से संचालित भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) दुर्ग के संबंध मे भिलाई इस्पात संयंत्र के डायरेक्टर इंचार्ज को पत्र लिखा है।
बीएसपी प्रबंधन से जानकारी चाही है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल रिसाली सहित भिलाई इस्पात संयंत्र की भूमि पर लीज के माध्यम से काबिज दूसरे शिक्षण संस्थान बीएसपी कर्मियों को फीस मे छूट देते हैं। बीआइटी दुर्ग बीएसपी कर्मियों को ऐसी कोई छूट देता है क्या? और अगर नहीं देता है तो क्यों नहीं देता है?
जब की दूसरे शिक्षण संस्थानों ने जमीन लीज पर लिया है। लेकिन बीआईटी दुर्ग ने केवल भिलाई इस्पात संयंत्र के मुखिया को ट्रस्ट का पदेन सदस्य बनाकर झुनझुना थमा दिया है। बड़ी ही चतुराई से बीएसपी कर्मियों का हक मार रहा है।
रविशंकर सिंह ने इस पत्र के माध्यम से मांग किया है कि बीएसपी कर्मियों के संतानों को भी बीआईटी में छूट प्रदान किया जाए। इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों से ट्रस्ट संचालन में गंभीर अनियमितताएं परिलक्षित हो रही हैं। बीआईटी ट्रस्ट के आयुक्त स्वयं कलेक्टर दुर्ग हैं तथा मुख्य ट्रस्टी में भिलाई इस्पात संयंत्र के डायरेक्टर इंचार्ज हैं।
वर्षों से ट्रस्ट की नियमित बैठकें आयोजित नहीं हो रही
इसके अतिरिक्त अन्य ट्रस्टी भी नामित हैं। विगत वर्षों से ट्रस्ट की नियमित बैठकें आयोजित नहीं हो रही है एवं महज दो व्यक्तियों द्वारा फोन अथवा निजी चर्चा के माध्यम से ट्रस्ट संचालन किया जा रहा है, जो कि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक है।
बीआईटी कालेज में वर्तमान में प्रचलित सेवानिवृत्ति की आयु नीति
ट्रस्ट द्वारा संचालित बीआईटी कालेज में वर्तमान में प्रचलित सेवानिवृत्ति की आयु नीति भी राज्य शासन एवं एआईसीटीई के मापदंडों के प्रतिकूल है। विदित हो कि राज्य शासन के समस्त विभागों में सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष निर्धारित है। उच्च शिक्षा विभाग एवं सहकारिता विभाग में भी शासन के निर्देशों के अनुसार सेवानिवृत्ति 62 वर्ष में की जाती है। यूजीसी (UGC) के अधीन आने वाले शिक्षकों हेतु यह आयु 65 वर्ष है।
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वरिष्ठ प्राध्यापकों पर अनैतिक दबाव
एआईसीटीई की अधिसूचना अनुसार सभी संबद्ध निजी तकनीकी संस्थानों हेतु भी यही मानक लागू हैं। परंतु बीआईटी दुर्ग में 60 वर्ष की आयु पूरी होते ही वरिष्ठ प्राध्यापकों पर अनैतिक दबाव बनाकर उनसे सेवानिवृत्ति का आवेदन लिखवाया जाता है, जिससे योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों को समय पूर्व संस्थान से बाहर किया जा रहा है।
यह परंपरा न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि गुणवत्ता पूर्ण तकनीकी शिक्षा को भी प्रभावित करती है। कालेज के ही कुछ पूर्व छात्र और वृतमान छात्रों ने योग्य प्राध्यापकों को जबरन सेवानिवृत्त किए जाने पर रोष व्यक्त किया है।
सचिव रविशंकर सिंह ने मांग की
अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह ने मांग की है कि बीआईटी ट्रस्ट की संरचना, बैठक प्रक्रिया एवं संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु जांच कराई जाए। संस्थान में प्रचलित जबरन सेवानिवृत्ति की परंपरा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। सम्पूर्ण रूप से बीएसपी की जमीन पर काबिज बीआइटी प्रबंधन बीएसपी कर्मियों को आर्थिक छूट प्रदान करे।