SAIL Bonus: NJCS मीटिंग दिल्ली में, नेताओं की मांग 30 हजार के पार, फॉर्मूले में शामिल करें माइंस का प्रॉफिट

SAIL Bonus NJCS meeting in Delhi, Dispute over Bonus of more than 30,000, Demand to include Mine Profits in the Formula
  • बोनस फॉर्मूले में सिर्फ अब तक स्टील पर बात होती है, माइंस पर कोई फोकस नहीं होता है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल कर्मचारियों के बोनस को लेकर दिल्ली में शनिवार को नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री-एनजेसीएस की बड़ी बैठक होने जा रही है। सेल प्रबंधन के साथ इंटक, बीएमएस, सीटू, एटक, एचमएस के नेता आमने-सामने होंगे। बोनस फॉर्मूले को लेकर विवाद की स्थिति है। इससे निपटना एनजेसीएस नेताओं के लिए तेढी खीर है।

बावजूद, नेताओं ने ताल ठोका है कि कुछ भी हो जाए, 30 हजार से अधिक ही बोनस की मांग की जाएगी। पहले सेल प्रबंधन की ओर से आने वाले प्रस्ताव को सुना जाएगा। इसके बाद सभी पांचों यूनियन के नेता एक साथ एक मंच से आवाज उठाएंगे। कर्मचारी हित में फैसला लिया जाएगा।

एनजेसीएस सदस्य एचएमएस के महासचिव राजेंद्र सिंह दुर्गापुर के सुकांतो रक्षित के साथ मीटिंग में शामिल होंगे। सूचनाजी.कॉम से बातचीत करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा-कुछ भी हो जाए, 30 हजार से अधिक बोनस लेकर रहेंगे। इससे कम में कोई बात नहीं होगी। पिछली बार साढ़े 26 हजार बोनस मिला था। इस बार 30 हजार को पार कराने का जोर है। पांचों यूनियन के नेता एक साथ बैठेंगे, फिर बात रखेंगे। मैनेजमेंट पूर्व में बोल चुकी है कि फॉमूर्ला बदलेंगे। इसी पर अमल कराया जाएगा।

सीटू से एसडब्ल्यूएफआई के महासचिव ललित मोहन मिश्र के साथ बिश्वरूप बनर्जी एनजेसीएस मीटिंग में बैठेंगे। ललित मोहन मिश्र का कहना है कि वर्तमान फॉर्मूले पर इंटक, एचएमएस, बीएमएस ने साइन किया था, जो अब फॉर्मूला को बदलने की मांग लगातार कर रहे हैं। इससे साफ है कि हम सभी यूनियन के लोग बोनस फॉर्मूले को बदलवाने के लिए एकजुट हैं।

बोकारो से रंजय कुमार के साथ मीटिंग में शामिल होने के लिए बीएमएस के केंद्रीय नेता डीके पांडेय भी दिल्ली पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा-अभी से कुछ भी बताना संभव नहीं है। फॉर्मूला क्या होगा, वहां बैठने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

एटक से रामाश्रय प्रसाद सिंह और विद्यासागर गिरी मीटिंग में शामिल होंगे। पिछली बार जबरन पेमेंट किया गया था, सबने विरोध किया था। सहमति बनाकर पेमेंट की मांग की गई थी। इस बार प्रयास होगा कि प्रोडक्शन, प्रोडक्टिविटी, घटते मैनपॉवर, बढ़ते टार्गेट पर ही फोकस किया जाएगा।

बोनस फॉर्मूले पर सुधार की जरूरत है। पिछली बार जो स्कीम बनी थी, उस पर साइन करने वालों ने भी माना था कि पारदर्शिता में कमी थी। 28 हजार बेस पेमेंट और इससे अधिक बोनस होना था। लेकिन, इससे कम पेमेंट दिया गया था। केंद्रीय श्रमायुक्त के पास मामला विचाराधीन है।
अब तक स्टील पर बात होती है। माइंस पर कोई फोकस नहीं होता है। एनएमडीसी का उदाहरण देखिए। प्लांट के साथ माइंस के फायदे पर भी बात होनी चाहिए। सभी यूनाइटेड होकर बात रखेंगे।