- सीटू नेताओं ने कहा-यदि यह बात सही है तो यह कार्य जन विरोधी है, जिसे अविलंब वापस लिया जाना चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर 9 के निजीकरण की रिपोर्ट सेल प्रबंधन को सौंपी जा चुकी है। अंतिम फैसला प्रबंधन को लेना है, जिसको लेकर आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन, भिलाई का माहौल काफी गर्म हो गया है। सीटू नेताओं की अपील पर अस्पताल के सैकड़ों कर्मचारी भी सड़क पर उतर गए। मेडिकल स्टाफ सेल प्रबंधन से अपना फैसला वापस लेने की मांग करते रहे।
3 नवंबर को दोपहर में सेक्टर 9 अस्पताल के निजीकरण की खबर को लेकर हलचल शुरू हुई और देर शाम तक भिलाई का माहौल गर्म हो गया। सीटू ने आपातकाल बैठक बुलाई और निर्णय लिया कि सपरिवार सेक्टर 9 अस्पताल पहुंचकर न केवल प्रबंधन को विरोध पत्र दिया। यूनियन के अध्यक्ष विजय जांगडे, महासचिव जेपी त्रिवेदी, अजय आर्या, डीवीएस रेड्डी, टी जोगा राव, एसपी डे, संतोष पुष्टी, संतोष कुमार आदि ने जीएम मेडिकल शाहिद अहमद को पत्र सौंपा। इस निर्णय को वापस लेते तक हर मोर्चे पर संघर्ष को तेज करने की बात कही गई।
इसके तहत सीटू यूनियन और बीएसपी एक्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य सपरिवार सेक्टर 9 पहुंचकर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (इंचार्ज) को पत्र दिया जाएगा और कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर सेल प्रबंधन द्वारा सेक्टर 9 अस्पताल को निजी हाथों में देने की बात संज्ञान में आई है। यदि यह बात सही है तो यह कार्य जन विरोधी है, जिसे अविलंब वापस लिया जाना चाहिए।

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निजीकरण का फैसला वापस लें, अन्यथा विपरित प्रभाव के लिए तैयार रहे प्रबंधन
पत्र में सीटू ने कहा कि “हम आपको यह अवगत कराने के लिए बाध्य हुए हैं कि भिलाई इस्पात संयंत्र चिकित्सा विभाग प्रबंधन द्वारा पूरे चिकित्सा विभाग को किसी निजी कॉर्पोरेट समूह को सौंपने हेतु की जा रही पहल की खबर, कर्मियों के बीच चर्चा का विषय है।
उक्त समाचार के पश्चात सभी कर्मचारियों, उनके आश्रित परिजनों एवं सेवानिवृत कर्मचारीगण चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता एवं निरंतरता को लेकर आशंकित व आक्रोशित हैं। चिकित्सा सेवाएं सभी कर्मचारियों की सेवा शर्तों का हिस्सा है, जिसमें किसी भी तरह का एकतरफा परिवर्तन औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 9 का उल्लंघन होगा।
अतः कर्मचारियों के प्रतिनिधि यूनियन एवं अधिकारियों के प्रतिनिधि संगठन से चर्चा व उनकी सहमति के बिना चिकित्सा सेवाओं में किसी भी तरह का परिवर्तन ना किया जाए। चिकित्सा सेवाओं को किसी भी रूप में किसी निजी कॉर्पोरेट समूह को सौंपने की पहल का कड़ा विरोध किया जाएगा।

मूलभूत सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करना बर्दाश्त नहीं करेगा सीटू
सीटू नेताओं ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मी देश के लिए लोहा बनाते हैं, जिसका देश के विकास में अहम भूमिका है। ऐसे महत्वपूर्ण उद्योग में काम करने वाले कर्मियों के लिए जो मूलभूत सुविधाएं मिली हुई है, उसमें अस्पताल की सुविधा सबसे महत्वपूर्ण है। किंतु सरकार केवल स्टील बनाने का नारा देकर घाटे का हवाला बात कर मूलभूत सुविधाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। सीटू इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।
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प्रबंधन एवं सरकार नहीं माना तो संयुक्त आंदोलन को तेज करेगा सीटू
सरकार की मुख्य जिम्मेदारी ही नागरिकों को स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना है। सेल द्वारा इस्पात उद्योगों में कार्य करने वाले कर्मियों, सेवानिवृत कर्मियों एवं उनके परिजनों को मूलभूत सुविधाएं दी जाती हैं, जिसमें लगातार कटौती हो रही है।
यदि सरकार अपने कॉर्पोरेट मित्रों को मदद पहुंचाने के लिए संयंत्र से मिले स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करेगी तो सीटू संयुक्त यूनियनों एवं ऑफिसर एसोसिएशन के साथ मिल कर संयुक्त आंदोलन कर अपनी सुविधाओं की रक्षा करने के लिए संघर्षों को तेज करेगा।
10% बेड संयंत्र कर्मियों के लिए आरक्षण करके रखना एक छलावा
यह बात भी संज्ञान में आ रही है कि सेक्टर 9 अस्पताल के कॉरपोरेटिकरण करने के साथ कर्मियों के लिए 10% बेड आरक्षित रहेंगे, जबकि यह पूरा का पूरा अस्पताल ही संयंत्र कर्मियों उनके परिजनों एवं सेवानिवृत कर्मियों के लिए बनाया गया है।

इसमें संयंत्र कर्मियों के अन्य आश्रितों के साथ-साथ सीआईएसएफ, एफएसएनएल, एचएससीएल, डीपीएस मे कार्यरत कर्मियों के साथ इस शहर एवं आसपास के रहवासियों का भी इलाज होता है। किंतु अस्पताल के निजी हाथों में जाने के साथ ही धीरे-धीरे पूरी नीतियां ही बदल जाएगी और संयंत्र कर्मियों को छल लिया जाएगा।
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संयंत्र की जिम्मेदारी है स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाना
सीटू नेता ने कहा कि संयंत्र में भर्ती हुए हर कर्मी उनके परिजनों एवं सेवानिवृत कर्मियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संयंत्र की होती है, जिसे कर्मियों को संयंत्र में भर्ती के समय ही बता दिया जाता है। अब सरकार के इशारों पर नीतियों को बदलते हुए कर्मियों, सेवानिवृत कर्मियों एवं उनके परिजनों को दिए जाने वाले स्वास्थ्य सुविधा में कटौती करने अथवा खिलवाड़ करने एवं नई-नई व्यवस्थाएं पैदा करने की जन विरोधी नीतियां मंजूर नहीं है।
मेडिक्लेम का झुनझुना पकड़ाने की हो रही है कोशिश
यूनियन नेताओं ने कहा-यह बात भी उभर कर आ रही है कि प्रबंधन संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मियों एवं अधिकारियों तथा उनके परिजनों को मेडिक्लेम का झुनझुना पकड़ाने की तैयारी कर रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि अपने स्वयं के अस्पताल का विकल्प कभी भी मेडिक्लेम नहीं हो सकता है।

क्योंकि हमारे बुजुर्ग साथियों को सेवानिवृत्ति के बाद मेडिक्लेम दिया जाता है एवं उन्हें इलाज करवाने के लिए रेफर नहीं किया जाता है, जो साथी बड़े इलाज के लिए मेडिक्लेम के सहारे बाहर जाते हैं, उनका इलाज के दौरान ही कभी-कभी तो पति-पत्नी दोनों को मिलने वाले मेडिक्लेम का पैसा समाप्त हो जाता है। अपने पॉकेट से भी पैसा लग जाता है। किंतु इलाज पूरा नहीं हो पाता है। इसीलिए अस्पताल के एवज में मेडिक्लेम का झुनझुना भी मंजूर नहीं है।
जनप्रतिनिधि संज्ञान लें एवं निभाएं अपनी भूमिका
इस विरोध के दौरान सीटू नेताओं ने कहा कि भिलाई के अंदर भूतपूर्व से लेकर वर्तमान पार्षद से लेकर सांसद तक सभी को सेक्टर 9 अस्पताल की जरूरत पड़ती रही है। ऐसे में जब अस्पताल के ऊपर गाज गिर रहा है तो उन्हें अपने स्तर पर इसे संज्ञान में लेकर न केवल बात करना चाहिए, बल्कि इस अस्पताल को कॉर्पोरेट के हवाले करने की कोशिश पर पूरी तरह से रोक लगा देना चाहिए।












