- पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई-बहन आजादी के अमृतकाल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ-साथ देश के अन्न भंडार भरते रहेंगे।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कृषि विकास और किसान कल्याण (Agriculture Development and Farmers Welfare) हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अन्न के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता के जीवन में सुख-समृद्धि लाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। किसान की आय बढ़ाने के लिए हमने छह सूत्रीय रणनीति बनाई है।
उत्पादन बढ़ाना, खेती की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम दिलाना, प्राकृतिक आपदा में राहत की उचित राशि दिलाना, कृषि का विविधीकरण तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना इसके अहम पहलू हैं।
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उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के लिए सबसे जरूरी हैं अच्छे बीज, जो कम पानी और विपरीत मौसम में भी बेहतर उत्पादन में सक्षम हो सकें। ऐसे बीजों की 109 नई किस्मों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी (Prime Minister Narendra Modi) ने राष्ट्र और किसानों को समर्पित किया है।
बीते 10 वर्षों में कृषि परिदृश्य तेजी से बदला है। ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण असंतुलन (Global Warming and Environmental Imbalance) जैसी समस्याओं के बीच उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए अगले पांच वर्षों में हमारा लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों की 1500 नई किस्में तैयार करने का है।
वर्तमान में विज्ञान से ही किसानों का कल्याण संभव है। मुझे अपने कृषि विज्ञानियों पर गर्व है जो जलवायु अनुकूल किस्में तैयार कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि में किए जा रहे नवाचारों से कृषि एवं किसान कल्याण सुनिश्चित होगा।
किसान होने के नाते मैं भलीभांति समझता हूं कि बढ़िया उत्पादन के लिए अच्छे बीज कितने आवश्यक हैं। अगर बीज उन्नत और मिट्टी एवं मौसम की प्रकृति के अनुकूल होंगे तो उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
खेती की 69 किस्में और बागवानी की 40 किस्में राष्ट्र को समर्पित
मोदी जी ने यह समझा और व्यापक विजन के साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए मार्गदर्शित किया। विविधता भारतीय कृषि की विशेषता है। यहां कुछ दूरी के अंतराल पर ही खेती का मिजाज बदल जाता है। जैसे मैदानी खेती अलग है तो पहाड़ों की खेती अलग।
इन सभी भिन्नताओं और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए फसलों की 109 नई किस्में जारी की गई हैं। इनमें खेती की 69 किस्में और बागवानी की 40 किस्में राष्ट्र को समर्पित कर दी गई हैं। भारत को ग्लोबल न्यूट्रिशन हब बनाने और श्रीअन्न को प्रोत्साहित करने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह संकल्पबद्ध है।
आज भारत नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा
हमारा संकल्प है कि किसान के परिश्रम का उचित मूल्यांकन हो और उन्हें फसलों का उचित दाम मिले, इसके लिए हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाना हमारी प्राथमिकता में है और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि मानव शरीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो।
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आज भारत नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारे अन्नदाता ऊर्जादाता तथा ईंधनदाता भी बन रहे हैं। मोदी जी के प्रयासों से खेती के साथ ही पशुपालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय खेती, फूलों-फलों की खेती सहित अन्य संबंधित क्षेत्रों को सशक्त बनाया जा रहा है।
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कृषि मंत्रालय का बजट
पूर्ववर्ती सरकारों की प्राथमिकता में कृषि और किसान रहे ही नहीं। जबकि मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय का बजट 27 हजार 663 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 1 लाख 32 हजार 470 करोड़ रुपये हो गया है। यह बजट सिर्फ कृषि विभाग का है।
कृषि से संबद्ध क्षेत्रों और फर्टिलाइजर सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) के लिए अलग बजट है। मोदी सरकार किसानों को यूरिया और डीएपी सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। यूरिया पर सरकार किसानों को करीब 2,100 रुपये सब्सिडी जबकि डीएपी के एक बैग पर 1083 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है। फसलों के नुकसान पर भी फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है।
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एक लाख करोड़ रुपये का एग्री इन्फ्रा फंड
मोदी सरकार में किसान को सशक्त बनाने के लिए बीज से लेकर बाजार तक हर वह फैसला लिया, जो किसानों के लिए खेती को और आसान बनाए। उनकी मुश्किलें कम करे और मुनाफा बढ़ाए। इसी कड़ी में एक लाख करोड़ रुपये की एग्री इन्फ्रा फंड के जरिये कृषि से जुड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है।
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पूरे देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र किसान और विज्ञान को जोड़ रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिये टेक्नोलाजी से दूरदराज की हमारी माताओं-बहनों को भी जोड़ा जा रहा है। कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने के पहले चरण में अब तक 35 हजार कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने की भी तैयारी
मोदी जी का विजन है कि भारत कृषि में आत्मनिर्भर बने। इस दिशा में भी रणनीति बनाकर कार्य किया जा रहा है। अगले पांच वर्षों में हम 18,000 करोड़ रुपये की लागत से 100 निर्यात केंद्रित बागवानी क्लस्टर बनाएंगे। किसानों के लिए मंडी तक पहुंच बेहतर बनाने के लिए 1500 से अधिक मंडियों का एकीकरण किया जाएगा।
साथ ही 6,800 करोड़ रुपये की लागत से तिलहन मिशन की शुरुआत कर रहे हैं। सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने की भी तैयारी है। इससे छोटे किसानों को सब्जियों-फल और अन्य उपज के लिए नए बाजार और बेहतर दाम मिलेंगे। सरकार ने यह संकल्प भी लिया है कि दलहन फसलों में तुअर, उड़द और मसूर की पूरी खरीद एमएसपी पर की जाएगी।
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‘अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणां पतये नमः’
यजुर्वेद में उल्लिखित है ‘अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणां पतये नमः’ अर्थात अन्न के स्वामी और खेतों के स्वामी अन्नदाताओं को नमन। कृषि पराशर में भी उल्लेख है – अन्न ही प्राण है, अन्न ही बल है एवं अन्न ही समस्त प्रयोजनों का साधन है। किसानों के बिना इस देश का अस्तित्व ही अधूरा है। इसलिए हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी किसानों को प्रणाम किया गया है।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसका आत्मा। हमारे लिए किसान की सेवा भगवान की पूजा है। आज प्रधानमंत्री मोदी जी (PM Naredra Modi) के दीर्घकालिक विजन तथा सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी, समावेशी और समग्र विकास वाले सोच के साथ भारत एवं भारतीय कृषि निरंतर आगे बढ़ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई-बहन आजादी के अमृतकाल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ-साथ देश के अन्न भंडार भरते रहेंगे।
(लेखक भारत सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री है)