बकरीद 2023: ईद उल अजहा पर जानिए नमाज कहां-कितने बजे, बारिश हुई तो ये इंतजाम

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कुर्बानी के जज्बे के साथ ईद उल अजहा यानी बकरीद 29 जून को मनाई जाएगी। बारिश के मौसम को देखते हुए शहर की तमाम मस्जिद कमेटियों ने ईद की नमाज के इंतजाम किए हैं। बारिश होने की हालत में मस्जिद के अंदर आधे-आधे घंटे के अंतराल में नमाज होगी। अन्यथा ईदगाह मैदान में जमात होगी।

जामा मस्जिद ईदगाह सेक्टर-6 भिलाई में ठीक सुबह 8 बजे ईद की नमाज होगी। बारिश होने की हालत में मस्जिद के अंदर आधे-आधे घंटे से जमात होगी। इसी तरह रिसाली मस्जिद ईदगाह में सुबह 7:30, अशरफी मस्जिद रूआबांधा में 06:30, फरीद नगर ईदगाह में 07:30, गरीब नवाज मस्जिद सुपेला में 07:30 बजे, रज़ा जामा मस्जिद कैंप 2 में सुबह 08:15, हनफी मस्जिद कोहका में 07:30, गौसिया मस्जिद कैंप-1 में 07:30, नाले वाली मस्जिद जोन-2 खुर्सीपार में 8:00, अशरफी मस्जिद जोन 3 खुर्सीपार में 07:30, मस्जिद हज़रत बिलाल हुडको में 07:30 बजे, एमपी हाउसिंग बोर्ड में 07:30 बजे ईद की नमाज अदा की जाएगी। बारिश होने पर फलक नुमा मस्जिद अयप्पा नगर में सुबह 07:00 बजे और नूरी मस्जिद फरीद नगर में सुबह 08:00 बजे नमाज़ होगी। बारिश नही होने पर इन दोनों मस्जिदों में नमाज़ नहीं होगी और सीधे फरीद नगर ईदगाह में 07: 30 नमाज़ अदा होगी।

बता दें कि भिलाई में शुरुआती दौर में ईद की नमाजें सेक्टर-1 में होती थी। वहीं रोजाना की पांचों वक्त की नमाज बोरिया (आज प्लांट के अंदर का हिस्सा) बस्ती की अस्थाई मस्जिद में पढ़ी जाती थी। बाद के दौर में सेक्टर-6 में आलीशान मस्जिद बनीं और फिर कुछ साल बाद ईदगाह मैदान तैयार हुआ। तब से यहां नमाजें हो रही हैं।

भिलाई स्टील प्लांट के वित्त विभाग से 1995 में रिटायर और भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट के सदर रहे एमआर अंसारी बताते हैं कि उन्हें डायरी लिखने की शुरू से ही आदत रही है, इसलिए वह रोजमर्रा की बातें नोट कर लिया करते हैं और आज भी वह इसे जारी रखे हुए हैं। यह बोरिया बस्ती बाद के दौर में बीएसपी के 40 लाख टन विस्तारीकरण में हटा दी गई और यहां प्लेट मिल और बोरिया स्टोर्स सहित दूसरे निर्माण हुए। वहीं यहां के रहने वालों को अलग-अलग सेक्टर में आवास दिए गए।

अंसारी अपनी डायरी दिखाते हुए बताते हैं वह 1959 में आए, इसलिए 1960 से उन्होंने ईदुल फित्र और ईदुल अजहा का रिकार्ड रखना शुरू किया। जिसमें दिन-तारीख, जगह और नमाज पढ़ाने वाले ईमाम का नाम दर्ज कर लेते हैं। पुरानी डायरी के पन्ने जर्जर हो गए थे, इसलिए अब उसे नए सिरे से दूसरी डायरी में उतार लिया है।

अंसारी बताते हैं सेक्टर-1 क्लब और नेहरू हाउस के बीच आज जहां क्रिकेट मैदान है, वहां 1956 से दोनों ईद की नमाज शुरू हो गई थी। तब बीएसपी के टेलीफोन विभाग में सेवारत और सेक्टर-1 में ही रहने वाले कारी अब्दुल खालिक हाशमी यहां हर साल ईद की नमाज पढ़ाया करते थे।

उन्होंने बताया कि शुरूआती दौर में बोरिया बस्ती में सभी धर्म के लोगों ने अस्थाई तौर अपने-अपने आराधना स्थल बनाए थे। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी बोरिया बस्ती में एक अस्थाई मस्जिद बनाई थी, जहां पांचों वक्त और जुमे की नमाज होती थी। आज जहां बीएसपी का बोरिया स्टोर्स है, वहीं यह मस्जिद थी।

अंसारी ने बताया कि बाद में सेक्टर-6 में बीएसपी की ओर से मस्जिद के लिए जमीन मिली तो फिर 1962 से सेक्टर-6 मस्जिद की जगह पर दोनों ईद की नमाज होने लगी। यहां कारी हाशमी के अलावा बीएसपी के ही कर्मी हाफिज खलील व अन्य लोग साल-दर-साल ईद की नमाजें पढ़ाते रहे। फिर साल 1969 से हाफिज अजमलुद्दीन हैदर यहां नमाज पढ़ाते रहे, जो सिलसिला साल 2013 तक चला और उनके बाद से हाफिज इकबाल अंजुम हैदर नमाज पढ़ा रहे हैं।