EPS 95 न्यूनतम पेंशन, FDI, सरकारी संपत्तियों की बिक्री पर BMS का मोदी सरकार पर फूटा गुस्सा, 18 मार्च को विरोध-प्रदर्शन

Bharatiya Mazdoor Sangh: BMS to hold protest on March 18 on the issue of EPS 95 minimum pension, FDI, sale of government properties
न्यूनतम पेंशन 5000 की मांग। 18 मार्च 2025 को जिला स्तर धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा।
  • बीएमएस कार्यसमिति सरकार को चेतावनी दे चुकी है।
  • बजट में संशोधन कर पारित किया जाए।
  • ईपीएफ की वेतन सीमा 15000 से बढ़ाकर 30000 करें।
  • ईएसआइसी की वेतन सीमा 21000 से बढ़ाकर 42000 करें।
  • सार्वजनिक सम्पत्ति की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  • बीमा/वित्तीय क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश पर रोक लगाई जाए।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension SCheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग मोदी सरकार से की जा रही है। लेकिन, अब तक कोई अमल नहीं हुआ है। इसके खिलाफ भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Mazdoor Sangh) सड़क पर उतरने जा रही है। बीएमएस की 158वीं अखिल भारतीय कार्यसमिति बैठक गुवाहाटी असम में प्रस्ताव पारित किया गया था।

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यूनियन का कहना है कि भारत सरकार का केन्द्रीय बजट 2025-2026 (Union Budget 2025-2026) में भारत सरकार द्वारा जहां आयकर सीमा बढ़ाकर कर्मचारी जगत को राहत दी गयी है। वही डेयरी उद्योग, मत्सय उद्योग, गिग वर्कर एवं लघु उद्योगों को भी राहत प्रदान की है।

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वरिष्ठ नागरिकों को भी टीडीएस द्वारा राहत देकर उनका सम्मान किया गया है। कैंसर जैसी बीमारी की दवा पर आयात शुल्क में छॅूट देकर राहत दी गई है। वहीं, स्टार्टअप चमड़ा उद्योग ढांचागत विनिर्माण के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसका कार्य समिति ने स्वागत किया।

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वहीं, वित्त मंत्री को 6 जनवरी 2025 को बजट पूर्व बैठक में भारतीय मजदूर संघ द्वारा दिए गए सुझावों पर अपेक्षा के अनुरूप पूरी तरह कार्यवाही नहीं की गई। कार्यसमिति यह अनुभव करती है कि प्रस्तुत बजट से ईपीएस 95 के 75 लाख से अधिक पेंशनर्स को कोई राहत नहीं दी गई, जिससे उनमें घोर निराशा व्याप्त है, क्योंकि इस मंहगाई के युग में 1000 रूपये से जीवन निर्वाह करना कल्पनातीत है।

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स्कीम वर्कर जैसे आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील के साथ-साथ असंगठित जैसे बीड़ी, प्लांटेशन, चाय बागान मजदूर, कृषि मजदूर एवं खनन मजदूरों की भी उपेक्षा की गई है।

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सरकार ने प्रस्तुत बजअ में वर्ष 2030 तक असेट मनीटाइजेशन के माध्यम से 10 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य तय किया है। वहीं जीवन बीमा निगम में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर सार्वजनिक सम्पत्ति की बिक्री का मार्ग खोलकर जले पर नमक छिड़का है और सरकार का यह कदम आत्मर्निभर भारत की अवधारण पर चोट है।

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भारतीय मजदूर संघ की मोदी सरकार से यह मांग

1.ईपीएस 95 की न्यूनतम पेंशन 5000 रुपए तत्काल की जाए व अंतिम तौर पर वेतन का 50 प्रतिशत मंहगाई राहत पेंशन का भुगतान किया जाए।
2. ईपीएफ की वेतन सीमा 15000 रूपये से बढ़ाकर 30000 रूपये और ईएसआइसी की वेतन सीमा 21000 रूपये से बढ़ाकर 42000 रूपये की जाए।
3. सार्वजनिक सम्पत्ति की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए।
4. बीमा/वित्तीय क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश पर रोक लगाई जाए।
5. स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारियों के समान वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा दी जाए।
6. असंगठित क्षेत्र हेतु पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई जाए।

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जिला स्तर धरना प्रदर्शन

भारतीय मजदूर संघ के केंद्रीय नेताओं ने कहा-1 मार्च से 10 मार्च तक व्यापक जन-जागरण किया जा रहा है। कार्यसमिति सरकार को चेतावनी दे चुकी है कि बजट में उपरोक्त के सम्बन्ध में संशोधन कर पारित किया जाए। अन्यथा 18 मार्च 2025 को जिला स्तर धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा।

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