भारतीय मजदूर संघ: ईपीएफ की वेतन सीमा 30000 और ईएसआइसी की करें 42000, न्यूनतम पेंशन चाहिए 5 हजार

Bharatiya Mazdoor Sangh: EPF salary limit should be 30000 and ESIC 42000, minimum pension should be 5000
  • मंहगाई के युग में 1000 रूपये से जीवन निर्वाह करना कल्पनातीत है।
  • भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Mazdoor Sangh) ने सरकार को झकझोरा।
  • ईपीएस 95 की न्यूनतम पेंशन 5000 रुपए तत्काल करने की मांग की है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Mazdoor Sangh) पर अक्सर आरोप लगता रहा है कि केंद्र सरकार खासतौर से मोदी सरकार के खिलाफ नेता खामोशी को अपना लेते हैं। सरकार के खिलाफ मुखर होकर नहीं बोलते हैं। इस दाग को मिटाने के लिए पूर्व की तरह एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर बीएमएस नेता भड़के हुए हैं।

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सरकार से मांग किया है कि ईपीएफ (EPF) की वेतन सीमा 15000 रुपए से बढ़ाकर 30000 और ईएसआइसी की वेतन सीमा 21000 रुपए से बढ़ाकर 42000 रुपए की जाए। कर्मचारियों की भावना के साथ किसी तरह का खिलवाड़ सरकार न करे। कर्मचारी हित में फैसला ले।

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बीएमएस के केंद्रीय नेताओं ने कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995), केन्द्रीय बजट 2025-2026 (Union Budget 2025-2026) पर अपनी नाराजगी से सरकार को अवगत करा दिया है।

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भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Mazdoor Sangh) ने ईपीएस 95 की न्यूनतम पेंशन 5000 रुपए तत्काल करने की मांग की है। साथ ही अंतिम तौर पर वेतन का 50 प्रतिशत मंहगाई राहत पेंशन का भुगतान किए जाने की वकालत की।

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सरकारी कारखानों एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी बीएमएस के नेताओं ने की है। वहीं, एलआइसी बीमा/वित्तीय क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश पर रोक न लगाने से भारी नुकसान की आशंका जताई गई है। सरकार को सुझाव दिया गया है कि शत प्रतिशत विदेशी निवेश यानी एफडीआई पर रोक लगाई जाए।

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वहीं, स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारियों के समान वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा देने और असंगठित क्षेत्र के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

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बीएमएस के नेताओं का गुस्सा इसलिए भड़का हुआ है कि वित्त मंत्री को 6 जनवरी 2025 को बजट पूर्व बैठक में भारतीय मजदूर संघ द्वारा दिए गए सुझावों पर कोई अमल नहीं किया गया। अपेक्षा के अनुरूप पूरी तरह कार्यवाही नहीं की गई।
प्रस्तुत बजट से ईपीएस 95 के 75 लाख से अधिक पेंशनर्स को कोई राहत नहीं दी गई, जिससे उनमें घोर निराशा व्याप्त है, क्योंकि इस मंहगाई के युग में 1000 रूपये से जीवन निर्वाह करना कल्पनातीत है।

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