- बीएसएल के ट्रैफिक डिपार्टमेंट के कर्मचारी प्रदीप कुमार गोस्वामी पिछले 2 साल से गंभीर रूप से बीमार थे।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के बोकारो स्टील प्लांट से बड़ी खबर आ रही है। गंभीर रूप से बीमार कर्मचारी की मौत हो गई है। मेडिकल बोर्ड की ढिलाई पर ठीकरा फोड़ दिया गया है। पीड़ित परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्त मिलेगी या नहीं, इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। बीएसएल प्रबंधन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई है।
बीएसएल के ट्रैफिक डिपार्टमेंट के कर्मचारी प्रदीप कुमार गोस्वामी पिछले 2 साल से गंभीर रूप से बीमार थे। बीजीएच में उपचार चल रहा है। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई है। 4 बेटी और एक बेटा है। 3 बेटी की शादी हो चुकी है। 10 साल की सर्विस बची है।
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पिछले 2 साल से ड्यूटी नहीं कर रहे थे। परमानेंट अनफिट घोषित करने के लिए मेडिकल बोर्ड मीटिंग होनी थी। इससे पहले ही मौत हो गई है। इसलिए परिवार की तरफ से कहा जा रहा है कि बीएसएल अस्पताल प्रबंधन की गलती है।
ढिलाई का खामियाजा परिवार क्यों भुगते। नियोजन की मांग की जा रही है। विस्थापित क्षेत्र बालीडीह के रहने वाले प्रदीप को विस्थापित कोटे से ही नौकरी मिली थी। दावा किया जा रहा है कि बीजीएच में आंदोलन होना तय है।
बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने कहा…
बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हरिओम का कहना है कि हर मौत पर राजनीति होती है। ऐसी पटकथा रचा जाता है प्रबंधन के द्वारा। प्रदीप कुमार गोस्वामी के निधन के बाद भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। इस प्रकार की घटनाओं का घटित होना संयंत्र के लिए दुखद तथा चिंताजनक है।
हमने पहले भी डायरेक्टर मानव संसाधन,कॉरपोरेट कार्यालय से पत्र लिखकर यह मांग किया था कि मेडिकल इनवेलिडेशन बोर्ड (MIB)को पुनः गठित करने की आवश्यकता है, ताकि कर्मचारी तथा उनके परिजनों को न्याय मिल सके। वर्तमान MIB इतनी सक्षम नहीं की किसी के अक्षमता का निर्णय ले सके। वहीं राजनीति दबाव में निर्णय लेती है, जो कि उचित नहीं है।
जानिए क्या है मेडिकल इनवैलिडेशन बोर्ड
यह एक चिकित्सा मूल्यांकन करने वाला पैनल है, जो किसी व्यक्ति को उसकी शारीरिक या मानसिक अक्षमता के कारण नौकरी या किसी सेवा के लिए अयोग्य (invalide) घोषित करता है। यह बोर्ड चोट रिपोर्ट, शारीरिक परीक्षा और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों के आधार पर अपनी राय और सिफारिशें प्रदान करता है। यह बोर्ड सेवा से किसी व्यक्ति की स्थायी अमान्यता का निर्णय करने में मदद करता है और अक्सर सरकारी या सशस्त्र बलों में कार्यरत कर्मियों के लिए होता है।












