CG News: सीएम साय बोले-छत्तीसगढ़ में ट्राइबल म्यूजियम बनेगा पर्यटन और शोध का बड़ा केन्द्र

CG News: CM Sai said- Tribal Museum will become a big center of tourism and research in Chhattisgarh
  • मुख्यमंत्री ने किया राज्य के पहले ट्राइबल म्यूजियम का लोकार्पण।
  • आदिवासी परम्परा के अनुरूप प्रकृति शक्ति की पूजा कर किया म्यूजियम का शुभारंभ।
  • मुख्यमंत्री ने 300 नवचयनित छात्रावास अधीक्षकों को नियुक्ति सह पदस्थापना पत्र सौंपा।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने ट्राइबल म्यूजियम बनाकर आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और उनकी जीवनशैली को आमजन तक पहुँचाने के लिए अभिनव पहल की है। इसके लिए नवा रायपुर अटल नगर में करीब 10 एकड़ क्षेत्र में भव्य एवं आकर्षक आदिवासी संग्रहालय (ट्राइबल म्यूजियम) बनाया गया है। राज्य के पहले ट्राइबल म्यूजियम का लोकार्पण आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया।

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मुख्यमंत्री ने लोकार्पण कार्यक्रम में सबसे पहले आदिवासी परम्परा अनुरूप मुख्य द्वार पर द्वार पूजा व श्रीफल तोड़कर नवनिर्मित ट्राइबल म्यूजियम में प्रवेश किया। वहीं प्रवेश गैलेरी में पंचतत्व के साथ प्रकृति शक्ति की पूजा करते हुए मंगलकामना की। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम उपस्थित थे।

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ के निर्माता तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को धन्यवाद देते हुए कहा कि, अटल जी ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाया। अटल जी के कार्यकाल में ही जनजाति विकास के लिए केन्द्र सरकार में आदिम जनजाति कल्याण मंत्रालय का गठन हुआ। वहीं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान और विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के लिए पीएम जनमन योजना लागू किया है।

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मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भारत में आज आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मूर्मु राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रही हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पहचान हमारी सुंदर जनजातीय संस्कृति से है। छत्तीसगढ़ में जनजातीय संस्कृति में विविधता है और हर जनजातीय समुदाय की अपनी विशिष्ट पहचान है। प्रदेश 43 जनजातीय समुदाय हैं और इनकी अनेकों उपजातियाँ हैं।

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इसके साथ ही हमारे राज्य में विशेष पिछड़ी जनजातियाँ भी हैं। जनजातीय समुदाय का सुंदर संसार, इनका खानपान, पहनावा, संगीत, लोककला, वाद्ययंत्र, नृत्य इन सबकी झलक म्यूजियम में दिखेगी। इसमें 14 गैलरी हैं और हर गैलरी एक विशेष थीम पर बनाई गई है।

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मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस म्यूजियम में हमारे जनजातीय क्षेत्रों की बहुरंगी संस्कृति की झलक दिखाई गई है। यह झलक दर्शकों को इस बात के लिए प्रेरित करेगी कि वे बस्तर और सरगुजा घूमने जाएं और जिन चीजों को उन्होंने इस म्यूजियम में महसूस किया है उसे वहां प्रत्यक्ष रूप में देख सकें।

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ट्राइबल म्यूजियम के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने ट्राइबल म्यूजियम के शुभारंभ को गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासी बाहुल्य प्रदेश में आदिवासी संस्कृति को और उनकी जीवन पद्धति को सबके सामने रखने के लिए ट्राइबल म्यूजियम का निर्माण हुआ है।

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आदिवासी विकास मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि अब ट्राइबल म्यूजियम में एक स्थान पर ही छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले हर आदिवासी समुदाय के बारे में संपूर्ण जानकारी लोगों को मिल जाएगी।

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14 गैलरियों में दिखेगी जनजातीय संस्कृति :

गौरतलब है कि जनजातीय संग्रहालय में कुल 14 गैलरियां हैं, जिनमें जनजातीय जीवनशैली के सभी पहलुओं का बहुत ही खूबसूरत ढ़ंग से जीवंत प्रदर्शन किया गया है। इनमें जनजातियों के भौगोलिक विवरण, तीज-त्यौहार, पर्व-महोत्सव तथा विशिष्ट संस्कृति, आवास एवं घरेलू उपकरण, शिकार उपकरण, वस्त्र (परिधान) एवं आभूषण, कृषि तकनीक एवं उपकरणों, जनजातीय नृत्य, जनजातीय वाद्ययंत्रों, आग जलाने, लौह निर्माण, रस्सी निर्माण, फसल मिंजाई (पौधों से बीज अलग करना), कत्था निर्माण, चिवड़ा-लाई निर्माण, मंद आसवन, अन्न कुटाई व पिसाई, तेल प्रसंस्करण हेतु उपयोग में लाने जाने वाले उपकरणो व परंपरागत तकनीकों, को दर्शाया गया हैं। वहीं सांस्कृतिक विरासत के अंतर्गत अबुझमाड़िया में गोटुल, भुंजिया जनजाति में लाल बंगला इत्यादि, जनजातीय में परम्परागत कला कौशल जैसे बांसकला, काष्ठकला, चित्रकारी, गोदनाकला, शिल्पकला आदि का एवं अंतिम गैलरी में विषेष रूप से कमजोर जनजाति समूह यथा अबूझमाड़िया, बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर एवं राज्य शासन द्वारा मान्य भुंजिया एवं पण्डो के विशेषीकृत पहलुओं का प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय में डिजिटल एवं एआई तकनीक के माध्यम से जनजातीय संस्कृति का भी प्रदर्शन किया गया है। क्यूआर कोड स्कैन करते ही सम्बंधित झांकी की सम्पूर्ण जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगी।

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कथानक समिति के सदस्यों का सम्मान :

ट्राइबल म्यूजियम बनाने में सहायक रहे विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों एवं समाज के पदाधिकारियों का सम्मान भी मुख्यमंत्री श्री साय के हाथों मंच से किया गया। ट्राइबल म्यूजियम में कथानक समिति में पंडित रविशंकर शुक्ल विवि. में मानव विज्ञान अध्ययनशाला के प्रो. (डॉ.) अशोक प्रधान, शासकीय गुंडाधूर महाविद्यालय की डॉ. किरण नुरुटी, कंवर समाज के प्रतिनिधि श्री गंगाराम पैंकरा, बैगा समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री ईतवारी राम मछिया बैगा, बिंझवार समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री बेदराम बरिहा, हल्बा समाज के अध्यक्ष श्री लतेल राम नाईक, मुरिया समाज के जिला अध्यक्ष श्री धनीराम सोरी एवं राजगोंड समाज के जिला अध्यक्ष श्री तुलाराम ठाकुर को सम्मानित किया गया।

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‘प्रयास’ के होनहारों को प्रशस्ति पत्र देकर किया प्रोत्साहित :

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने ‘प्रयास’ आवासीय विद्यालय के 112 विद्यार्थियों से भी मुलाक़ात की, जिन्होंने जेईई(JEE) की मुख्य परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। मुख्यमंत्री ने सभी विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयास आवासीय विद्यालय के बच्चे न सिर्फ़ खुद के लिए, बल्कि पूरे आदिवासी समाज और राज्य के लिए प्रेरणा हैं।

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नियुक्ति पत्र मिलने पर खिले चेहरे

राज्य सरकार ने बीते दिनों व्यापम के माध्यम से छात्रावास अधीक्षकों के 300 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की। इसमें नवचयनित छात्रावास अधीक्षकों को नियुक्ति पत्र सह पदस्थापना पत्र सौंपा गया। कार्यक्रम में प्रतीकात्मक रूप से 11 छात्रावास अधीक्षकों को मंच पर आमंत्रित कर मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया।

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