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CITU 54th Foundation Day 2024: कर्मचारियों के बीच सीटू ही क्यों पर प्रेजेंटेशन, बयां की संघर्षों की दास्तां

CITU 54th Foundation Day 2024: कर्मचारियों के बीच सीटू ही क्यों पर प्रेजेंटेशन, बयां की संघर्षों की दास्तां
  • प्रस्तुतीकरण के दौरान सीटू नेताओं ने कहा कि सीटू का सिद्धांत वैज्ञानिकता के सिद्धांत पर आधारित है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 30 मई 1970 को गठित सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू (Centre of Indian Trade Unions CITU) का 30 मई 2024 को 54 साल पूरा किया। सीटू इन 54 सालों में मजदूर वर्ग के संघर्षों को अभूतपूर्व इतिहास में दर्ज किया है।

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इस अवसर पर कूर्मी भवन सेक्टर 7 में सीटू के कैडर का परिवार सहित एक समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत में सीटू की स्थापना से लेकर आज तक सीटू से हमेशा के लिए बिछड़ गए साथियों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दिया गया सीटू के अध्यक्ष विजय जांगड़े ने स्वागत उद्बोधन किया। इसके पश्चात सीटू के जिला संयोजक शांत कुमार ने उपस्थित साथियों को बधाई संदेश दिया।

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सीटू ही क्यों ? विषय पर दिया गया प्रस्तुतीकरण

सीटू की स्थापना एवं भिलाई के अंदर मान्यता काल एवं उसके पश्चात किए गए कार्यों पर आधारित “सीटू ही क्यों” विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया गया जिसमें बताया गया कि सीटू अपने मान्यता कार्यकाल में तीन दिन के स्वयं के प्रमाण पत्र से हाफ पे लीव लेने से लेकर 2CL के बीच साप्ताहिक अवकाश आने पर CL में गिनती न करने सहित कई कार्य किया।

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प्रस्तुतीकरण में सीटू के साथियों ने बताया कि चुनाव जीतना सीटू के लिए कोई स्टेटस सिंबल नहीं है, बल्कि सीटू के जीतने से आंदोलन को तेज करने कर्मियों के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा निर्णय लेने के लिए प्रबंधन पर दबाव बनाने तथा संयुक्त एवं स्वतंत्र आंदोलन को और मजबूत करने के लिए बल मिलता है।

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हर क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं सीटू के साथी

सीटू नेताओं ने कहा हर क्षेत्र में कर्मियों के पक्ष में नीतियों को बनाने तथा कर्मियों के लिए अधिक से अधिक सुविधाओं को हासिल करने के लिए हर क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। अस्पताल में इलाज की व्यवस्था से लेकर स्कूलों की व्यवस्था तक टाउनशिप में आवास व्यवस्था से लेकर पेयजल की व्यवस्था तक हर मोर्चे पर सीटू के साथी अपने स्तर पर कार्य करते हैं संयंत्र में घटने वाली दुर्घटनाओं पर विस्तृत रिपोर्ट बनाकर उसे सार्वजनिक करते हुए उस घटना को दोबारा से न घटने एवं उस दुर्घटना से सबक लेने का संदेश कर्मियों तक पहुंचाते हैं।

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सीटू ने ट्रेनीज के लिए ट्रेनिंग पीरियड में बचे हुए छुट्टियों को कैरी फॉरवार्ड करवाने, ट्रेनीज स्टाइपेंड बड़वाने, ट्रेनिंग पीरियड में ही आवास दिलाने, ईएफबीएस की सुविधा शुरू करवाने सहित अन्य कई कार्य किए हैं। सीपीएफ लोन में दलाली रोकने, रेफरल को आसान बनाने का श्रेय भी सीटू को ही जाता है।

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वैज्ञानिकता के सिद्धांत पर चलता है सीटू

प्रस्तुतीकरण के दौरान सीटू नेताओं ने कहा कि सीटू का सिद्धांत वैज्ञानिकता के सिद्धांत पर आधारित है। वैज्ञानिकता के सिद्धांत में ठोस परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण करके बात रखा जाता है। संयंत्र का मामला हो, वेतन समझौता का मामला हो या कोई भी राजनीतिक विश्लेषण हो। सीटू हमेशा ही ठोस परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण करके अपनी बातों को रखता है इसीलिए सीटू की बातें हमेशा सही होती है।

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कई बार कर्मियों से चर्चा के दौरान जिन बातों का जानकारी नहीं होता उस पर सीटू बड़बोलापन दिखाते हुए तुरंत अनाप-शनाप बयान बाजी नहीं करता है, बल्कि जानकारी हासिल करके कर्मियों के बीच अपनी बात रखता है। इसीलिए ट्रेड यूनियन के क्षेत्र में सीटू अपनी अलग पहचान रखता है।

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राजनीति की पाठशाला है ट्रेड यूनियन

कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुतीकरण में सीटू नेता ने कहा कि कई लोग इस बात का प्रचार करते हैं कि ट्रेड यूनियन को केवल श्रमिकों के आर्थिक मांग तक सीमित रहना चाहिए। किंतु संघर्षों के दौरान यह बात सामने आती है कि हम जिस मुक्ति की बात कर रहे हैं। वहां केवल और केवल राजनीतिक लड़ाई लड़कर ही संभव है 8 घंटे का कार्य दिवस हो या फिर अफॉर्डेबिलिटी क्लाज हटाने की बात हो, सार्वजनिक उद्योगों को बचाने की बात हो या फिर बेहतर वेतन के लिए संघर्ष की बात हो।

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हर जगह मुनाफे के होड़ में पूंजीपतियों अथवा शासक वर्ग द्वारा शोषण और दमन का चक्र चलाया जाता है, जिसके खिलाफ राजनीतिक लड़ाई लड़कर ही पूंजीवादी राज सत्ता को परास्त कर मजदूर वर्ग को गुलामी से मुक्त करवाया जा सकता है। यह सब बातें मजदूर अपनी लड़ाई के दौरान सीखता जाता है इसीलिए ट्रेड यूनियन को राजनीति की पाठशाला कहते हैं

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सीटू के इन नेताओं ने निभाई खास भूमिका

पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण तैयार करने एवं प्रस्तुत करने में डीवीएस.रेड्डी, सविता मालवीय, जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी, जोगा राव, केवेन्द्र सुंदर, आर.एल. बेनर्जी, अशोक खातरकर, एसपी डे, शांत कुमार, सार्थक बनर्जी की सामूहिक भागीदारी रहे।

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