केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त की बैठक विवाद पर CITU ने तोड़ी चुप्पी, कहा-बरकरार है SAIL प्रबंधन की फूट डालने की नीति, बनी रहेगी NJCS एकता

CITU broke silence on Central Chief Labor Commissioner's meeting controversy
सीटू नेता ने कहा-बहुमत बनाकर हस्ताक्षर करने के बाद संघर्षों के मैदान में सीटू ने सभी के साथ मिलकर संघर्ष किया।
  • 8 साल बीत जाने के बावजूद वेतन समझौता पूर्ण नहीं हो सका।
  • सेल कर्मचारियों के बकाया 39 माह के एरियर पर विवाद जारी।
  • सीटू ने एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट, एचआर पर्क्स की मांग को शामिल न करने पर साइन नहीं किया था।
  • एनजेसीएस यूनियन के घटक नेताओं ने सीटू पर जताई थी नाराजगी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त के यहां सेल प्रबंधन औ एनजेसीएस बैठक पर सीटू का बड़ा बयान आया है। भिलाई सीटू का कहना है कि कल की बैठक के बाद प्रबंधन के कुछ आला अधिकारी खुश होंगे कि हमने फिर से यूनियनों के बीच आपसी मनमुटाव को तेज कर दिया, क्योंकि प्रबंधन इन नीतियों पर लगातार चल रहा है।

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महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा कि 8 साल बीत जाने के बावजूद वेतन समझौता पूर्ण नहीं हो सका। किंतु इस फूंट से खुश होने वाले सभी एक बात समझ लें कि वह कितनी भी कोशिश कर लें, हम अपने हकों को जब तक ले नहीं लेते तब तक संयुक्त एवं स्वतंत्र संघर्षों को जारी रखेंगे। आने वाले दिनों में संयुक्त संघर्ष और तेज होंगे।

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बार-बार बहुमत का सहारा लेने वाला प्रबंधन भाग रहा है बहुमत से

सीटू नेताओं का कहना है कि प्रबंधन एवं अन्य दूसरे संगठनों के द्वारा 26 नवंबर 2024 को दिल्ली में मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय के आह्वान पर हुई बैठक के पश्चात सीटू पर किए जा रहे टीका टिप्पणी पर सीटू नेता ने कहा कि सर्वसम्मति से नौ वेतन समझौता होने के बाद प्रबंधन की चालबाजी के कारण दसवां वेतन समझौता शुरू से ही बहुमत की भेंट चढ़ गई।

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हर बैठक एवं निर्णय को बहुमत के हवाले कर दिया गया। किंतु बहुमत का सहारा लेने वाली प्रबंधन आज बहुमत से भाग रही है। इसीलिए मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय की मध्यस्थता में हुई बैठक में मिनट्स पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।

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प्रबंधन ने ही उड़ाई थी मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय, यूनियन प्रतिनिधि एवं प्रबंधन के बीच हुई बातचीत की धज्जियां

सीटू ने कहा-संयुक्त यूनियनों द्वारा वेतन समझौता पूर्ण करने की मांग को लेकर जनवरी 2024 में दो दिवसीय सेल व्यापी हड़ताल का आह्वान किया था, जिस पर मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय द्वारा दखल देकर 24 जनवरी को सुलह बैठक बुलाई गई।

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प्रबंधन ने उस बैठक में अपनी सहमति दी थी कि ढाई महीने के भीतर अर्थात अप्रैल 2024 तक कर्मियों के वेतन से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान कर लिया जाएगा। किंतु ढाई महीने बीत जाने के बावजूद भी प्रबंधन 1 इंच आगे नहीं बढ़ा, जिससे स्पष्ट हो गया कि प्रबंधन मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय के मध्यस्थ में हुए बैठक एवं निर्णय का कितना सम्मान करता है।

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सीटू के हस्ताक्षर करने से मना करते ही प्रबंधन ने भी लिया यू टर्न

यूनियन ने कहा-बहुमत के आधार पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुए संगठनों को प्रबंधन से सीखना चाहिए, क्योंकि आज सीटू के हस्ताक्षर करने से मना करते ही प्रबंधन भी यू टर्न लेते हुए साइन करने से मना कर दिया। किंतु, वहीं पर प्रबंधन के कहने पर कुछ यूनियनों ने अपने ही साथी यूनियनों का साथ छोड़कर बहुमत बना लिया, जिसका खामियाजा आज सबके सामने में मौजूद है।

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वहीं, सब आज सीटू को भला बुरा कहकर कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु सीटू ने हस्ताक्षर क्यों नहीं किया इसकी सच्चाई सबके सामने है।

जिन संगठनों ने बहुमत बनाकर दस्तखत किए थे, उसे भी लागू नहीं करवा पा रहे हैं वे

सीटू नेता ने कहा कि बहुमत बनाकर हस्ताक्षर करने के बाद संघर्षों के मैदान में सीटू ने सभी के साथ मिलकर संघर्ष किया। आने वाले दिनों में भी करता रहेगा। किंतु जल्दी बाजी में सीटू पर टिप्पणी करने वाले यह बताएं कि जिन संगठनों ने बहुमत बनाकर मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग से लेकर बोनस फार्मूले एवं बायोमेट्रिक की शर्त को जोड़ते हुए रात्रि पाली भत्ते में हस्ताक्षर किए हैं। वे उस बहुमत वाले अनुबंधों को भी पूरी तरह से लागू नहीं करवा पा रहे हैं इस सच्चाई को भी सब जानते हैं।

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