हिंदी पत्रकारिता में कानपुर से पटना तक के छात्रों की पकड़, पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाला नहीं होता बेरोजगार: प्रो. ओम प्रकाश सिंह

Deep hold of students from Kanpur to Patna in Hindi journalism, the one studying journalism will not be unemployed Prof. Omprakash Singh
  • हरियाणा और दिल्ली वाले भाषा में कट जाते हैं। आपको अवसर मिला है। इसका फायदा उठाइए।

सूचनाजी न्यूज, वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान में पुरातन छात्र समागम यादगार रहा। सन 1996 से लेकर अब तक के छात्रों का जमावड़ा हुआ। अलग-अलग बैच के छात्रों का एक छत के नीचे समागम हुआ। सबने वरिष्ठजनों की बातें सुनी और अपनी सुनाई। पूर्व पत्रकार और देवरिया से विधायक शलभ मणि त्रिपाठी भी शामिल हुए। संस्थान के पूर्व निदेशक प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने भी पत्रकारिता में कॅरियर और चुनौतियों पर बेबाकी से बात रखी।

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उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का छात्र कभी बेरोजगार नहीं रह सकता है। जो अवसर आज सबको मिल रहे हैं, उसे और विकसित करें। कभी सुप्रीम कोर्ट से रेडियो स्टेशन खोलने की अनुमति नहीं मिली थी। आज सोशल मीडिया के जमाने में संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं। हिंदी पत्रकारिता में कहीं कोई कमी नहीं है। हां, इस बात का जरूर ख्याल रखें कि सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने से बचें। यह जुआ, शराब से भी ज्यादा खतरनाक है। इससे बचिए। सोशल मीडिया तकनीकी सहयोगी है, लेकिन हमारे लिए भयावह खतरा भी है। जब कहीं नियुक्त हो जाएं, तब कीजिएगा।

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हिंदी पत्रकारिता में कॅरियर पर प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि कानुपर से पटना के बीच के लोग ही हिंदी पत्रकारिता के लिए अधिकतर चुने जाते हैं। हरियाणा और दिल्ली वाले भाषा में कट जाते हैं। आपको अवसर मिला है। इसका फायदा उठाइए।

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अच्छे पत्रकारों की मांग आ रही है। भाषा शुद्ध , लिखावट में प्रवाह, जैसी आवश्यकता हो, उतना लिख सकने वालों की मांग अधिक है। यह सब तब आएगा, जब लिखते-पढ़ते रहेंगे। पढ़ने की शैली विकसित कीजिए।

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पूर्व निदेशक प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने गुजरे जमाने को याद करते हुए कहा कि वह 1996 में संस्थान में शामिल हुए। संस्थान की स्थापना ही हुई थी। हमारे पास भवन था। बरसात में टपकता था। सामान खराब हो जाते थे। संघर्ष किया। कैमरे आए। बेहतर भवन बना। तकनीकी बदली और आज संस्थान सबके सामने है।

छात्रों से कहा कि अनुशासन की जरूरत होती है। 20 दिन से ज्यादा का टूर लेकर वह शैक्षणिक भ्रमण पर दूसरे राज्यों में जाते थे। छात्राओं का गार्जियन वह खुद होते हैं। आज तक कोई अप्रिय खबर नहीं आई। एक बार टूर में एक छात्र ने गलत किया, वह जिला परिषद के सदस्य के परिवार से थे।

उन्हें पूरी से वापस भेज दिया। अगर, सख्ती नहीं की जाती तो टूर में छात्राएं क्यों जाती। कठोर निर्णय लेना पड़ता है। अगर, नहीं लेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी। या अपराधी से समझौता कीजिए। मुझ पर आरोप नहीं लग सकता कि मैंने पक्षपात किया। आपको जीवन में निष्पक्षता का सामना करना चाहिए।

प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने टिप्स भी दिए। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा में शब्द सीमा का पालन करने की हिदायत दी। मूल्यांकन के दौरान छात्र जो गलती करते हैं, उसका जिक्र करते हुए कहा कि 50 शब्द कहा जाता है तो छात्र 200 शब्द में लिख देते हैं, जिसे काट दिया जाता है। 10 प्रतिशत तक की छूट होती है। धन्यवाद ज्ञापन डाक्टर नागेंद्र सिंह ने दिया। उन्होंने अपने गाइड प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह व अन्य शिक्षकों व साथियों के साथ संस्थान के गुजरे लम्हे को याद किया।

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