इलेक्टोरल बांड पर भिलाई में हंगामा, माकपा ने किया SBI ब्रांच के सामने प्रदर्शन

  • माकपा ने कहा कि देश का कौन सा उद्योगपति अथवा धनाढ्य लोग किसी राजनीतिक दल को कितना चंदा दे रहे हैं। यह जानने का अधिकार देश के सभी मतदाताओं को है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआई पर लोगों का गुस्सा कम नहीं हो रहा है। इलेक्टोरल बांड को लेकर भिलाई तक आंच पहुंच गई है।

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (communist party marxist) जिला समिति दुर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) द्वारा इलेक्टोरल बांड (Electroral Bond) की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने के मामले में की जा रही आनाकानी के खिलाफ सेक्टर 1 शाखा के सामने प्रदर्शन किया गया।

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जिला समिति सचिव डीवीएस रेड्डी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अविलंब इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाए, ताकि निर्धारित समय के अंदर चुनाव आयोग द्वारा उसे सार्वजनिक किया जा सके ताकि किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड से कितना चंदा मिला है यह देश के मतदाता जान सकें।

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कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी पहुंची थी कोर्ट

ज्ञात हो कि भारत के कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी इकलौती ऐसी पार्टी है, जो न केवल कॉर्पोरेट चंदे का विरोध करती रही है बल्कि इलेक्टोरल बॉन्ड का शुरू से ही विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की,  जिसके नतीजा स्वरूप आज यह बातें सार्वजनिक हो रही हैं।

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चंदे का हिसाब जानने का अधिकार है हर मतदाता को

माकपा नेता पी वेंकट ने कहा कि देश का कौन सा उद्योगपति अथवा धनाढ्य लोग किसी राजनीतिक दल को कितना चंदा दे रहे हैं। यह जानने का अधिकार देश के सभी मतदाताओं को है। अन्यथा यह गुप्त इलेक्ट्रोल बॉन्ड ऐसे चुनावी भ्रष्टाचार को जन्म देगा, जिसके माध्यम से बड़े पैसे वाले लोग न केवल सरकार में बैठी राजनीतिक दल को गुप्त रूप से  इलेक्ट्रोल बॉन्ड के माध्यम से चंदा दें सकते हैं। बल्कि उस चंद के एवज में अपने पूरे कर्ज माफ करने के साथ-साथ अन्य अनैतिक फायदा उठा सकते हैं।

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क्या चुनाव के पहले इलेक्टोरल बॉन्ड को सार्वजनिक करने का गारंटी नहीं देंगे मोदीजी

माकपा नेता शांत कुमार ने कहा कि 70 साल का हिसाब का लकीर पीटने वाले प्रधानमंत्री मोदी जी 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को किसी भी तरह से जितने के लिए हर वादे पर अपनी गारंटी बता रहे हैं। बीजेपी के दिल्ली से लेकर स्थानीय नेता तक हर मुद्दे पर एक ही बात कहते हैं कि इसमें मोदी जी की गारंटी है।

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इतनी गारंटी का दम भरने वाले मोदी जी इस बात की गारंटी क्यों नहीं दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव के पहले इलेक्टोरल बॉन्ड के संदर्भ में पूरी जानकारी को हर हाल में सार्वजनिक करवा देंगे

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चंद उच्च अधिकारियों ने डुबाया स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का नाम

माकपा नेता अशोक खातरकर ने कहा कि देश का सबसे पुराना एवं हर आधुनिक सुविधा से सुसज्जित बैंक देश का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया है, जिसने इलेक्टोरल बॉन्ड के जानकारी को रखने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च करके नया सॉफ्टवेयर डेवलप किया था।

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स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को पहले से ही यह निर्देशित था कि यदि किसी मौके पर आवश्यकता पड़ने पर इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी बहुत आसानी से उपलब्ध करवाएगी, किंतु जब सुप्रीम कोर्ट ने इस जानकारी को नियत समय के अंदर चुनाव आयोग को उपलब्ध कराने को कहा तो स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के आला अधिकारियों द्वारा कोर्ट के दिए गए मोहलत से 2 दिन पहले कोर्ट में उपस्थित होकर यह कह देना कि इस जानकारी को मिलान करके चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाने में 137 दिन का समय लगेगा।

यह ना केवल हास्यास्पद एवं इस पूरे पर पर्दा डालने के लिए कोशिश करने वाला कृत्य प्रतीत होता है, बल्कि आधुनिक सॉफ्टवेयर उसे सुसज्जित स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को पूरे देश के आगे शर्मसार भी करता है।

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सेक्टर 1 ब्रांच ही दे सकता है यह सब जानकारी

माकपा नेता जगन्नाथ त्रिवेदी ने यहां तक दावा कर दिया कि यदि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा हुआ पूरा डाटा भिलाई के स्टेट बैंक को दे दे एवं भिलाई का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ठान ले तो भिलाई के सेक्टर 1 अथवा सिविक सेंटर जैसी ब्रांच भी इस बॉन्ड के संदर्भ में काम करके नियत तिथि के अंदर पूरी जानकारी उपलब्ध करवा सकता है, क्योंकि हर दिन भिलाई में ही सैकड़ो स्टेटमेंट निकाल कर ग्राहकों को उपलब्ध करवाने वाला स्टेट बैंक पूरी जानकारी को अपने उंगलियो के टिप पर रखता है। किंतु जानबूझकर मामले को उलझाने के कारण ही इस पूरी जानकारी को सामने नहीं लाने दिया जा रहा है।

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चुनावी बांड का खुलासा होते ही बहुत सी बातें आएगी सामने

माकपा नेता अताउर्रहमान ने कहा कि जैसे ही चुनावी बांड का खुलासा होगा इन सब बातों से भी पर्दा हटने लगेगा कि कैसे कोरोना काल में जब पूरा देश आर्थिक तंगी में चला गया था। तब दो-तीन पूंजीपति कैसे और अकूत पैसा कमा रहे थे। कैसे कुछ उद्योगपति आसानी से सारे घोटाले करके देश से बाहर जाकर आराम से रह रहे हैं। सरकार की कथनी एवं करनी पर से भी पर्दा उठेगा।

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