- ईपीएस 95 राष्ट्रीय पेंशन संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव ने तर्क के साथ बात रखी।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995: ईपीएस 95 हायर पेंशन और न्यूनतम पेंशन को लेकर देशभर में आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार के खिलाफ पिछले 8 साल से पेंशनभोगी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, मांग पूरी नहीं हो पा रही है।
छत्तीसगढ़ के पेंशनभोगी एवं ईपीएस 95 राष्ट्रीय पेंशन संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम के 2014 पूर्व सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को उच्च पेंशन से इनकार किया गया है। हैरत की बात है कि खाद्य निगम प्रबंधन की किसी भी दलील को EPFO मानने को तैयार नहीं है। आखिर ज़िम्मेदार कौन?
सर्वोच्च न्यायालय आदेश का एक आशा भरा पक्ष.. ऐसा भी
अनिल नामदेव कहते हैं कि भारतीय खाद्य निगम के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि 1 सिंतबर 2014 में किए गए संसोधन के पूर्व जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें भी उच्च पेंशन की पात्रता होगी। बशर्त कि उन्होंने नियमों में किए उक्त संसोधन के पूर्व para 11(3) के ऑप्शन प्रस्तुत किये थे, जिसे या तो EPFO ने स्वीकार करने से मना कर दिया था, या ऐसे ऑप्शन अभी भी प्रक्रिया अधीन हैं।
यहाँ उल्लेखनीय होगा कि भारतीय खाद्य निगम प्रबंधन ने वर्ष 2006 के दौरान ही अपने कर्मचारियों के लिए para 11(3) की कार्यवाही लिए जाने की दो बार लिखित में अनुमति प्रदान करने की प्रार्थना की थी, जिसे EPFO ने अपने पत्र 19.06.2006 के माध्यम से उक्त प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया,अर्थात अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
यदि सर्वोच्च न्यायालय के 04.11.2022 के आदेश पर बारीकी से गौर किया जाए तो स्पष्ट है कि खाद्य निगम के समस्त ऐसे सेवनिवृत्तों को उच्च पेंशन प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया जा चुका है,जो 1 सितंबर2014 पर नियमों में किये संसोधन के पूर्व सेवा निवृत्त हो गए हैं।
भारतीय खाद्य निगम के सेवानिवृत्त को जिन उपरोक्त परिस्थितियों में उच्च पेंशन की पात्रता निर्धारित की गई है। ऐसे अन्य संस्थाओं के लिए भी स्वतः लागू माने जाएंगे…। इस पर किसी भी प्रकार की संशय नहीं होना चाहिए।
अब EPFO और श्रम मंत्रालय से विनम्र पूर्वक मांग की गई कि उक्त आदेश के आलोक में संबंधित पात्रता प्राप्त पेंशनरों को सूचित कर मार्गदर्शन देने और शीघ्र कार्यवाही कर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करें।












