Employees Pension Scheme 1995: मामूली पेंशन और जीर्ण बैंक बैलेंस में बीमार जीवनसाथी की देखभाल…

  • ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोत्तरी की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर मन की बात।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization (EPFO)) और केंद्र सरकार (Central ) को आड़े हाथ लेने वाले पेंशनभोगियों के मन की बात पढ़िए। पेंशनर्स अपना दर्द सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं कन्नन रामानुजम। वह लिखते हैं कि जो लोग इस भारत में पैदा हुए हैं, वे या तो अमीर होंगे या बहुत गरीब। उन्हें मध्यम वर्ग की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए।

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सिस्टम पर कटाक्ष करते हुए वह लिखते हैं कि अगर वे मध्यम वर्ग के परिवार में रहते हैं, तो उन्हें 60 से 62 साल की उम्र में स्वर्ग में भेज दिया जाना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार के सदस्यों को खुश न देख सकें और उनका आनंद न ले सकें। हमारे देश में केवल राजनेता और मंत्री ही 60 से 100 साल की उम्र में ऐसा आनंद ले सकते हैं।

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इसी उद्देश्य से हमारे राष्ट्रपिता ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता ली और मध्यम आय वर्ग को अपने जीवन के अंत तक कष्ट सहने के लिए मजबूर किया, जबकि उन्होंने अपने परिवारों को देखे बिना ही अपने लिए काम किया। इस पूरी राजनीति को खत्म कर दिया जाना चाहिए और जो भी आए, उसके पास कोई संपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्या यह संभव है?

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बच्चे जब अकेला छोड़ देते…

सुखेंदु मंडल का इस पर कमेंट आया। उन्होंने लिखा-वास्तव में बहुत मूल्यवान सुझाव। वास्तव में हम घर पर बेकार बैठे हैं। लेकिन, हम भगवान की दया पर हैं। जब विवाहित बच्चे हमें अकेला छोड़ देते हैं, तो हमारे पास अपनी बहुत ही मामूली पेंशन और जीर्ण बैंक बैलेंस के साथ बीमार जीवनसाथी की देखभाल करने का कोई विकल्प नहीं होता।

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भाजपा को लेकर पेंशनर्स का कमेंट

रविन्द्रन मेनन भी मन की बात करने वालों में शामिल हो गए। उन्होंने लिखा-पिछले संसदीय चुनाव के परिणाम वरिष्ठ ईपीएफ पेंशनभोगियों के प्रति भाजपा की लापरवाही को दर्शाते हैं। त्रिपुरारी सरन ने कहा-2040 सीट आने पर लगा भी शर्म नहीं है, अब दुख लिखने से कोई फायदा नही है।

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