कर्मचारियों-पेंशनभोगियों को लाखों का नुकसान, नहीं मिलेगा बकाया एरियर, मोदी सरकार पर अखिलेश यादव भड़के

  • अखिलेश यादव का मोदी सरकार पर सीधा हमला।
  • अरबों के जहाज़ और टपकते भवनों के लिए तो पैसा है।
  • एक तरफ़ महंगाई का बढ़ना, दूसरी तरफ़ महँगाई भत्ता नहीं मिल रहा।
  • भाजपा सरकार बुजुर्गों की भी सगी नहीं है, जिनके दवा-देखभाल के ख़र्चे तो बढ़ रहे हैं लेकिन पेंशन नहीं।
  • राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान और रामजी लाल शर्मा ने सरकार से सवाल पूछा था कि सरकार बकाया कब देगी।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (Employee and Pensioners) को बड़ा झटका लगा है। लाखों रुपए बकाया एरियर के इंतजार में बैठे कार्मिकों व पेंशनर्स को 18 माह के डीए का एरियर केंद्र सरकार नहीं देगी। सरकार ने लोकसभा में जवाब भी दे दिया है। सरकार के जवाब पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Former Chief Minister Akhilesh Yadav) मोदी सरकार पर भड़क गए।

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एक्स पर पोस्ट करते हुए कर्मचारियों और पेंशनर्स का दर्द बयां किया और सरकार पर कटाक्ष किया। दावा किया जा रहा है कि एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मियों-पेंशनरों को सीधेतौर पर नुकसान हो रहा है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कर्मचारियों के बकाया एरियर भुगतान पर जवाब दिया कि मांगों का ज्ञापन सरकार को मिला है, लेकिन, फिलहाल अभी भुगतान करना संभव नहीं हो रहा है।

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पढ़िए अखिलेश यादव ने क्या-क्या कहा…

-सरकार के ‘वैश्विक आर्थिक महाशक्ति (‘Global Economic Superpower’)’ बनने के दावे का मतलब क्या ये है कि कर्मचारियों को उनके अधिकार का पैसा भी नहीं मिले।

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-केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों को 18 महीने के डीए का एरियर देने से मना करना, एक तरह से ‘सरकारी गांरटी’ से इंकार करना है।

-सरकार बताए लगातार बढ़ते ‘जीएसटी कलेक्शन, कई ‘ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी (Trillion Dollar Economy)’ का पैसा कहां जा रहा है?

-अरबों के जहाज़ और टपकते भवनों के लिए तो पैसा है लेकिन सही मायने में सरकार को चलाने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं।

-एक तरफ़ महंगाई का बढ़ना, दूसरी तरफ़ महँगाई भत्ता न मिलना, सीमित आय वाले कर्मचारियों पर दोहरी मार है।

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-घर की चिंता जब सिर पर हावी होगी, तो कार्य-क्षमता पर भी असर होगा, जिसका ख़ामियाज़ा सरकार को भुगतना पड़ेगा।

-भाजपा की  सरकारें वैसे भी चुनाव लड़ती हैं, काम तो करती नहीं हैं, और जो काम करते हैं उनको उचित वेतन नहीं देतीं।

-भाजपा सरकार बुजुर्गों की भी सगी नहीं है, जिनके दवा-देखभाल के ख़र्चे तो बढ़ रहे हैं लेकिन पेंशन नहीं।

अब क्या सरकार ये चाहती है कि वरिष्ठ नागरिक ‘पेंशन के लिए अनशन’ करें।

-रेलवे की छूट बंद करके वैसे भी भाजपा ने वरिष्ठ नागरिकों का अपमान-सा किया है।

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कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है, सरकार लौटाए

सरकार की तरफ से जवाब आने के बाद राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड ने बकाया भुगतान की मांग की है। स्पष्ट रूप से कहा है कि यह कर्मचारियों की मेहनत का पैसा है। इसलिए इसको रोका जाना ठीक नहीं है। कर्मचारी संगठनों ने डीओपीटी के सचिव (पी) से गुहार लगाई है कि केंद्र सरकार के कर्मियों व पेंशनरों को उनका हक दिया जाए।

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सरकार ने क्यों रोका था पैसा

बताया जा रहा है कि कोरोना काल के दौरान केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के डीए-डीआर पर रोक लगाई थी। राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान और रामजी लाल शर्मा ने सरकार से जानकारी मांगी थी कि क्या कर्मचारियों को कोरोना काल के दौरान रोके गए डीए-डीआर के एरियर का भुगतान जारी करने के लिए सक्रिय है या नहीं। सरकार यह भुगतान जारी नहीं कर रही है, तो उसका क्या कारण है।

इस पर सरकार का जवाब आया कि कोरोना काल में अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण डीए-डीआर रोका गया था। सरकार पर वित्तीय दबाव था।

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