- केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन, वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय करती है।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। ईपीएस 95 राष्ट्रीय पेंशन संघर्ष समिति रायपुर (EPS 95 National Pension Struggle Committee Raipur) के अध्यक्ष Anil Kumar Namdeo का कहना है कि कौन कहता है पेंशन हमारा हक़ है? हकीकत सब जानते हैं, सरकार देश की मालिक है। मालिक का न्याय अन्याय अंतिम होता है। न्यायालय चाहे जो कहे,पेंशनरों के मामले में न्यायालयों ने अनेक फैसले जारी किए है,पर उन पर कितने अमल में लाए जाते हैं?
कानूनी प्रक्रिया की आड़ में न्याय के इन्तेजार में लाखों पेंशनरों की मौत हो जाती है। बचे हुए लोगों को फिर न्यायालयों की शरण में जाना होता है। ये क्रम चलता रहता है। आज भी जारी है। कुछ लोग सड़क में आंदोलन कर रहे हैं। कुछ लोग न्यायालयों में अपना सिर फोड़ रहे हैं। प्रश्न ये है कि क्या ऐसी होती हैं प्रजातंत्र में प्रजा की सरकारें?
श्याम लाल शर्मा का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा को सरकार द्वारा गलत तरीके से प्रस्तुत किए जाने और न्यायालय में चुनौती दी गई। अन्य जरूरतों के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मजबूर किया गया है, जो व्यावहारिक नहीं है या सरकार को न्यूनतम पेंशन को सम्मानजनक तरीके से डीए के साथ बढ़ाने और उसके लिए बजटीय प्रावधान बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
जब आपकी पेंशन की गणना निर्धारित प्रक्रिया के साथ की जाती है, तो मुझे लगता है कि सरकार को अन्यथा धन के उपयोग के लिए चुनौती नहीं दी जा सकती है।
सत्य नारायण मूर्ति ने कहा-अगर नियोक्ता पेंशन फंड में अधिक भुगतान करता है, तो उसे वेतन पैकेज में इसे समायोजित करना चाहिए। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय करती है, जिसमें पेंशन भुगतान की लागत को ध्यान में रखा जाता है। यही कारण है कि उनका वेतन हमेशा पीएसयू कर्मचारियों से कम होता है।
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