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EPS 95: Higher Pension, ईपीएस 95 संघर्ष समितियां, आश्वासन और मोदी की गारंटी कहां तक…

EPS 95: Higher Pension, ईपीएस 95 संघर्ष समितियां, आश्वासन और मोदी की गारंटी कहां तक…
  • पेंशनर्स की बात सरकार सुनेगी या नहीं, सोशल मीडिया पर शंका जाहिर की जा रही है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) को लेकर अब तक संघर्ष जारी है। पिछले 6-7 सालों से लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खुला हुआ है। सभी को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारियां मिलती रहती हैं कि वर्तमान में 1000 रुपए न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी के लिए अपने-अपने स्तर पर आंदोलन हो रहा है।

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सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए विगत 6-7 वर्षों से निरंतर विभिन्न प्रकार के आंदोलन करते आए हैं, पर आज दिनांक तक किसी को इसकी आशाजनक सफलता हासिल नहीं हो पाई है। इतना तो निर्विवादित तथ्य है कि सभी पेंशनरों की मंजिल तो एक ही है कि कोई कुछ भी करें, कोई भी कहे,पर पेंशन की रकम में इजाफा जल्द से जल्द हो।

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सोशल मीडिया पर पेंशनर्स ने लिख रहे हैं कि चिंता वाजिब है। एक तो यह कि इतनी कम रकम में कुछ होता नहीं। दूसरे यह कि कौन जाने कब उनको राम जी का बुलावा आ जाए।

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Higher Pension चाहने वालों की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं है। वो तो 2005 से कोर्ट के चक्कर काट रहे है। सर्वोच्च न्यायालय के 2016 और 2022 के दो दो फैसलों के बाद भी आज तक आज दिनांक तक किसी को उच्च पेंशन से नवाजा नहीं जा सका है। उनके लिए भी ये बेहद दुर्भाग्य की बात है।

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एक बात समझ में नहीं आती है कि न्यूनतम पेंशन की मांग करने वाली एक साथ सब मिल कर क्यूं कोई काम नहीं कर सकते? क्यूं एक दूसरे से अपने आपको श्रेठ साबित करने में लगे हुए हैं? कभी इस पर आपने जरूर विचार किया होगा।

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3000 मांग करने वाले अलग, 5000 वाले अलग,  7500 वाले अलग, 9000 मांगने वाले अलग। साथ ही सुप्रीम कोर्ट वाले अलग…। पर सरकार तो एक ही है न, जो बड़ी शक्तिशाली भी है। ऐसे में पहले से कमजोर लोग और भी कमजोर  हुए जा रहे हैं।

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एक पेंशनर्स ने लिखा-हम किसी की तकदीर तो नहीं बदल सकते, पर अपनी तश्वीर तो बदल ही सकते हैं…। समग्र शक्ति को एकीकृत कर आगे बढ़ कर अपने अधिकारों को छीनने की कोशिश करना चाहिए। सरकार का काम आसान होगा या कठिन प्रश्न ये नहीं…।

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प्रश्न हमारी विपरीत सोच का है। इसी 2023 के दिसम्बर माह में  कमांडर अशोक राउत जी के नेतृत्व में पेंशनरों की NAC नामक  एक अग्रणी संगठन के द्वारा दिल्ली में विशाल आंदोलन का आयोजन किया गया था,जिसका सरकार पर सकारात्मक प्रभाव देखने में आया है।

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और सरकार के जिम्मेदार नुमाइंदों द्वारा शीघ्र ही ठोस निर्णय लिए जाने का आश्वाशन दिया गया है। उक्त संगठन ने भी 31 दिसम्बर 2023 तक सरकार से निर्णय लेने की अपेक्षा की है। देखना होगा कि देश में चुनावी राजनैतिक माहौल के चलते सरकार पेंशनरों की कितनी सुध लेती है…या फिर सैंकड़ों उम्रदराज, कमजोर,साधनहीन, देश के वरिष्ठ नागरिक पेंशनरों के लिए फिर से आंदोलन के लिए कमर कसनी होगी।

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अगर ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री द्वारा पेंशनरों को दो-दो बार दिए आश्वासनों पर और “मोदी की गारंटी” जैसे नारों पर कितना विश्वास किया जा सकेगा…। शायद 2024 के चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा। सोशल मीडिया पर जागरुक पेंशनर्स ने अंत में लिखा-मित्रों आपको क्या लगता है, पेंशनरों का भला हो सकेगा? यदि हां तो कब तक?

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