- आठ वर्षों के बुजुर्गों के अहिंसक करुणामय आन्दोलन के वावजूद सरकार उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाई।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। पेंशनर्स Indranath Thakur ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर सरकार और ईपीएफओ पर भड़के हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने मन की बात को साझा किया। सभी पेंशनर्स को संदेश दिया कि बीजेपी चुनाव समीति को अंदाजा नहीं है कि EPS 95 pensioners का देश भर में कितना समर्थन है।
पिछले चुनाव 2019 के समय ही बुजुर्ग पेंशनर्स से वादा किया था कि उनकी सरकार न्यूनतम पेंशन पर सकारात्मक निर्णय लेगी। किन्तु आठ वर्षों के बुजुर्गों के अहिंसक करुणामय आन्दोलन के वावजूद सरकार उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाई।
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इस लोकसभा चुनाव में भी वही गाना सुनाया जा रहा है कि अगली सरकार वृद्धों के हित की बात करेगी। इसलिए वृद्धों का आशीर्वाद भी अगली 2029 लोकसभा चुनाव में मिलेगा। अब बात सरकार के समझ में कुछ आ रही है।
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मतदाताओं की यह सरकार उपेक्षा कर रही
पेंशनर्स ने दावा किया कि 85 लाख बुजुर्ग पेंशनर्स हैं। भारत के औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत 7 करोड़ कर्मचारी हैं, जो पेंशन के भविष्य के भोक्ता हैं। 8 करोड़ कर्मचारियों के सिर्फ पति-पत्नी 16 करोड़ दम्पतियों के बाल-बच्चे और उनका हित अपेक्षित पचास साठ करोड़ मतदाताओं की यह सरकार उपेक्षा कर बहुत ग़लत किया है।
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EPS 95 pensioners के मतदाताओं में जातियों/मजहबी समूहों, पुरुष-महिला सदस्यों सभी का प्रतिनिधित्व है। उनका संगठन NAC भी एपोलिटिकल है। उसके बाद लोकतंत्र में उनकी शक्ति का अनुमान करें। NAC के 58 सदस्य भी लोकसभा चुनाव में स्वयं उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
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प्रत्येक राज्य के हर जिले में फैला संगठन
इस संगठन का फैलाव देश के प्रत्येक राज्य के हर जिले में फैला हुआ। सक्रिय सदस्यों का समूह है। यह एक अलग बात है। जिन दलों के सांसद ने उनकी मांग का समर्थन किया है, बूढ़े बुजुर्ग (सेवानिवृत्त) चुनाव में उनका समर्थन करेंगे तथा जिन जिन सांसदों/मंत्रियों ने पेंशनर्स का विरोध किया है, उन्हें चुनाव में हराने की वे जरूर ही कोशिश करेंगे।
मरता क्या नहीं करता…?
ठीक है, सरकार अपनी राह चले और पेंशनर्स अपने हित की रक्षा के लिए जान लगा देंगे। मरता क्या नहीं करता…? बीजेपी की वर्तमान सरकार ने बूढ़े बुजुर्गों की उपेक्षा की है। उनके द्वारा जमा किये हुए पेंशन फंड का अपहरण कर अच्छा नहीं किया है।
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अब जब वे अपने संचित 9 लाख करोड़ के कॉर्पस के एक लाख करोड़ रुपए की ब्याज धन से सिर्फ 7500+DA और मेडिकल सुविधाएं मांग कर संतुष्ट होना चाहते हैं तो यह सरकार टालने का काम कर रही है। यह ठगी नहीं तो और क्या है?