ईपीएस 95 पेंशन: दिल्ली से सोशल मीडिया तक सरकार पर दबाव, रिजल्ट शून्य

  • बिमलेंदु दास ने लिखा-24 चुनाव से पहले, इसे अंतिम रूप दिया जाए। अन्यथा सरकार दोबारा नहीं आएगी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन को लेकर लड़ाई जारी है। आंदोलन किस करवट बैठेगा, यह देखनी वाली बात है। पेंशनर्स अपनी आवाज को लगातार उठा रहे हैं। दिल्ली से लेकर सोशल मीडिया तक सरकार पर दबाव बनाने के लिए तरह-तरह के शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है।

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Ramakrisha Pillai ने फेसबुक पर लिखा-चाहे वो हारें या कोई कामयाब हो जाएं, तुम जो सपने देखते हो वो कामयाब नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम बता दो पैसे से सपने पूरे करने आएंगे? एक मध्यम वृद्धि संभव है और मुझे यकीन है कि यह अंतिम न्यूनतम पेंशन संशोधन के कुछ ही समय में या दस वर्षों के बाद आएगी।

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ईपीएस कॉर्पस के आकार को लगातार देख रहे हैं और ईपीएस कॉर्पस से इनफ्लो और आउट फ्लो को भूल रहे हैं कि उस फंड का 97% या उससे अधिक सदस्यों का है, जो अभी तक सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं। कुल ईपीएस सदस्यों में से केवल 3% से कम पेंशनभोगी हैं।

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सबसे अच्छा विकल्प माध्यम मीडिया है। पेंशन योग्य वेतन सीमा बढ़ाएं, सरकार बढ़ाएं। योगदान(1.16% से, न्यूनतम पेंशन(900+ करोड़ सालाना से) के लिए बजटरी सब्सिडी बढ़ाओ, और अधिक आय उत्पन्न निवेश अपनाओ।

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वहीं, जीवरत्नम वी. ने लिखा-असहाय पेंशनभोगी अपनी आजीविका के लिए भूखे मर रहे हैं और 2014 से पहले के ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को प्रति माह कम से कम 5000 रुपये की मासिक तदर्थ राशि दी जानी चाहिए और न्यूनतम पेंशन का निपटान होने पर तदर्थ राशि में कटौती की जा सकती है।

बिमलेंदु दास ने लिखा-24 चुनाव से पहले, इसे अंतिम रूप दिया जाए। अन्यथा सरकार दोबारा नहीं आएगी।

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