- ईपीएस-95 पेंशनरों का आजाद मैदान में महाधरना, चुनाव से पहले मांगों की सुनवाई की अंतिम चेतावनी, अब आगे क्या।
- 8 वर्षों से लंबित मांगों पर अब तक नहीं हुआ कोई ठोस निर्णय।
- विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को पेंशनरों की चेतावनी।
सूचनाजी न्यूज, मुंबई। महाराष्ट्र के हजारों ईपीएस-95 पेंशनरों (EPS 95 Pensioners) ने मुंबई के आजाद मैदान में अपनी लंबित मांगों को लेकर एक विशाल ध्यानाकर्षण आंदोलन किया। इस आंदोलन में महाराष्ट्र के साथ-साथ गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ के हजारों पेंशनरों ने हिस्सा लिया।
पेंशनरों की प्रमुख मांगों में न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) 7,500 रुपये प्रति माह, महंगाई भत्ता, और पति-पत्नी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा शामिल हैं। ईपीएस-95 पेंशनरों की यह मांग पिछले 8 वर्षों से लंबित है, और इस दौरान कई बार संसद में सांसदों द्वारा इसे उठाया गया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
NAC रायपुर छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अनिल नामदेव का कहना है कि लाखों पेंशनर जिनका जीवन केवल औसतन 1,171 रुपये की मासिक पेंशन पर निर्भर है, बेहद कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि हर दिन लगभग 200-250 पेंशनर असमय अपनी जान गंवा रहे हैं, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है।
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कमांडर राउत ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले हमारी मांगों को नहीं माना गया तो सरकार को इसके नकारात्मक परिणाम चुनावों में भुगतने पड़ सकते हैं। पेंशनरों में भारी असंतोष है, और राज्य सरकार को पेंशनरों के समर्थन के बिना चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों को स्वीकार करती है तो हम उन्हें चुनाव में जीत दिलाने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पास अब भी मौका है कि वे राज्य के लाखों पेंशनरों और उनके परिवारों की आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये प्रति माह कराने का तत्काल कदम उठाएं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह असंतोष विधानसभा चुनावों में पेंशनरों के रूप में सरकार के खिलाफ एक बड़े वोटबैंक के रूप में उभर सकता है।
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ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में EPS-95 से जुड़े NAC संगठन के सदस्यों और उनके परिवारों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ है। पेंशनरों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह आंदोलन सिर्फ एक शुरुआत है, और यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो आने वाले समय में इससे भी बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी।
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