श्रम मंत्रालय का ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के लिए प्लान, श्रमिकों-रोजगार पर बड़ी रिपोर्ट

  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने भुवनेश्वर, ओडिशा में पूर्वी राज्यों के साथ चौथी क्षेत्रीय बैठक का आयोजन किया।
  • सरकार ईएलआई योजनाओं के तहत रोजगार सृजन, रोजगार को बढ़ावा देने पर फोकस कर रही।
  • श्रम शक्ति के औपचारिकरण के लिए बड़े उद्यमों और एमएसएमई दोनों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध: सचिव एल एंड ई
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव ने भुवनेश्वर में पूर्वी राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के साथ एक क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता की।
यह श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा देश भर में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के साथ श्रम और रोजगार के खास मुद्दों पर क्षेत्रीय परामर्शों की श्रृंखला में चौथी बैठक है।
अपने उद्घाटन भाषण में, श्रम और रोजगार (एल एंड ई) सचिव सुमिता डावरा ने गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन को सुगम बनाने और सभी श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के प्रयासों में तालमेल बनाने के लिए केंद्र सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग और संवाद को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए तथ्यों की जानकारी दी।
डावरा ने कहा कि रोजगार सृजन और कौशल व रोजगार क्षमता में वृद्धि माननीय प्रधानमंत्री के विकसित भारत@2047 के विजन को साकार करने के प्रमुख पहलू हैं।

ये खबर भी पढ़ें: ईपीएस 95 पेंशन कैलकुलेशन को लेकर नई बात, ऐसा हो फॉर्मूला

इस दिशा में, उन्होंने कहा, 2024-25 के केंद्रीय बजट में 1,07,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना की घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार ईएलआई योजनाओं के तहत रोजगार सृजन, रोजगार को बढ़ावा देने और श्रम शक्ति के औपचारिकरण के लिए बड़े उद्यमों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा किए गए श्रम सुधारों, जिसमें श्रम संहिताएँ शामिल हैं, पर चर्चा की गई। सचिव ने कहा कि एक ऐतिहासिक पहल में, भारत सरकार ने श्रम कल्याण को बढ़ावा देने के साथ-साथ निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 29 श्रम कानूनों को 04 श्रम संहिताओं को अद्यतन, सरलीकृत और समेकित किया है।

ये खबर भी पढ़ें: कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय से बड़ी खबर, 60 लाख कर्मचारियों ने CPGRAMS का उठाया फायदा, अब 21 दिन में रिजल्ट

मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा, श्रमिकों और नियोक्ताओं के संगठनों के साथ संहिताओं के क्रियान्वन पर सहमति बनाने के लिए परामर्शों की श्रृंखला आयोजित कर रहा है।
इस संदर्भ में, राज्यों से आग्रह किया गया कि वे श्रम संहिताओं के तहत केंद्रीय नियमों के साथ सामंजस्य स्थापित करके और उनके साथ जोड़ते अपने संबंधित मसौदा नियमों में खामियों और विचलन को दूर करें।
ई-श्रम के तहत प्रगति के प्रदर्शन के जरिए असंगठित श्रमिकों के लिए संगठित श्रमिकों के समान व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के विजन पर प्रकाश डाला गया।
एक ही पोर्टल पर कौशल और नौकरियों तक पहुंच सहित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच बनाने के लिए भवन एवं निर्माण श्रमिकों (बीओसीडब्ल्यू), स्ट्रीट वेंडर, ऑटो चालकों आदि सहित असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल में शामिल करने के महत्व पर चर्चा की गई।

30 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराया

गौरतलब है कि 2021 में शुरुआत के बाद से 30 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।

ये खबर भी पढ़ें: UPS की तरह EPS 95 पेंशन की मांग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-श्रम मंत्री को 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन की चिट्ठी

प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित श्रमिकों के लिए केंद्र और राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं तक आसान पहुंच के लिए इसे अधिक प्रभावी ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल के साथ दो-तरफ़ा एकीकृत करने की राज्यों की जरुरत के मद्देनजर इसे एक जरूरी काम के तौर पर चिन्हित किया गया था।

श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं

बैठक में हाल ही में लॉन्च किए गए बीओसीडब्ल्यू प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) पोर्टल की भूमिका पर जोर दिया गया, जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को बीओसी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के डेटा-संचालित योजना और अधिक प्रभावी कार्यान्वयन में सहायता करता है।
राज्यों से अनुरोध किया गया था कि वे बीओसी श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा सहित सामाजिक सुरक्षा के कवरेज की सत्यापित जानकारी को एमआईएस पोर्टल पर पूरा करें।

उन्नत एनालिटिक्स से लैस एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड

केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अधिक सटीक रोजगार संबंधी डेटा के समय पर संकलन के लिए एक साझा तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई, जिसे उन्नत एनालिटिक्स से लैस एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड में फीड किया जाएगा, जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर नीतियां विकसित करने में मदद करेगा।

ये खबर भी पढ़ें: UPS की तरह EPS 95 पेंशन की मांग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-श्रम मंत्री को 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन की चिट्ठी

वेब-आधारित निरीक्षण के लिए किए गए डिजिटल हस्तक्षेप

राज्यों के प्रतिनिधियों ने प्रमुख श्रम और रोजगार मुद्दों पर अपने विचार, अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम प्रैक्टिस को साझा किया, खासकर अनुपालन में आसानी और वेब-आधारित निरीक्षण के लिए किए गए डिजिटल हस्तक्षेप। राज्य के प्रमुख सचिव, सचिवों, श्रम आयुक्तों ने इंटरैक्टिव बैठक की सराहना की और प्रयासों में सहयोग का आश्वासन दिया।