- रायगढ़ लोकसभा सीट से BJP के विष्णुदेव साय ने 1999, 2004, 2009 में जीतकर सांसद बने। 2014 चुनाव में चौथी बार विष्णुदेव साय सांसद निर्वाचित हुए थे।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। झारखंड, ओडिशा से लेकर पूर्वोत्तर के राज्य आदिवासी बाहुल्य है। यहां के आदिवासी वोटर्स हमेशा राजनैतिक स्थिति, प्रधानमंत्री (PM) फेस, क्षेत्रीय प्रत्याशी और पार्टी के आधार पर वोट करते रहे है। कहने का मतलब है कि देश के बड़े आदिवासी राज्यों के वोटर्स कभी किसी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिए है तो कभी उसी पार्टी को सत्ता से बेदखल भी किए है।
लेकिन छत्तीसगढ़ का बहुत बड़ा आदिवासी समाज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ ही है। यहां का आदिवासी समाज BJP को ही समर्थन देते आ रहा है। ऐसा हम नहीं, बल्कि इलेक्शन कमिशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ-साफ यहीं प्रतीत हो रहा है।
देश में बड़ी आदिवासी आबादी वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है। यहां उत्तर में सरगुजा से लेकर बस्तर तक आदिवासी समाज बड़ी संख्या में निवास करता है। इसलिए प्रदेश की 11 में से चार लोकसभा सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है। एक नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ में अब तक पांच बार लोकसभा के चुनाव हुए है। लेकिन पांचों चुनाव पर देखे तो अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए छत्तीसगढ़ की आरक्षित चारों सीटों पर कभी कांग्रेस जीत नहीं पाई।
चारों सीटों पर हमेशा कमल खिलता रहा है। प्रदेश के सबसे उत्तर में स्थिति सरगुजा लोकसभा ST समाज के लिए आरक्षित है। प्रदेश के उत्तर पूर्व में मौजूद रायगढ़ सीट भी ST रिजर्व है। जबकि प्रदेश के सबसे दक्षिणी भाग में मौजूद बस्तर संसदीय क्षेत्र से भी आदिवासी समाज का ही कोई व्यक्ति जनप्रतिनिधि निर्वाचित हो पाता है। वहीं बस्तर अंचल के अधीन आने वाले और दुर्ग संभाग तक फैले कांकेर लोकसभा से भी अनुसूचित जनजाति समाज का ही प्रत्याशी चुनाव लड़ सकता है।
साल 2019 में पहली बार कांग्रेस प्रदेश की ST रिजर्व सीट पर जीत पाई थी। तब बस्तर से मौजूदा PCC चीफ दीपक बैज सांसद बने थे। छत्तीसगढ़ गठन के बाद यहां की ST रिजर्व सीट पर यह कांग्रेस की पहली जीत थी। इसके बाद अब तक और पहले भी कभी कांग्रेस यहां जीत नहीं पाई। हमेशा से ही इन सीटों पर कमल ही खिलता रहा है।
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बस्तर लोकसभा सीट
1999 के लोकसभा में यहां से BJP के बलीराम कश्यप ने कांग्रेस के महेन्द्र कर्मा को पराजित किया था। साल 2004 के चुनाव में बलीराम कश्यप ने दोबारा महेन्द्र कर्मा को हराया। 2009 लोकसभा चुनाव में BJP के बलीराम कश्यप ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी शंकर सोढ़ी को पटखनी दी थी।
2014 चुनाव में बलीराम कश्यप के पुत्र और BJP उम्मीदवार दिनेश कश्यप ने दीपक कर्मा को हराया था। साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस पहली बार जीत पाई और यहां से मौजूदा PCC चीफ दीपक बैज ने बैदूराम कश्यप को हराकर जीत दर्ज की थी। जबकि 2024 चुनाव में यहां से BJP उम्मीदवार महेश कश्यप ने कांग्रेस के कवासी लखमा को मात दी।
कांकेर लोकसभा सीट
साल 1999 के चुनाव में यहां BJP के सोहन पोटाई ने छबीला अरविंद नेताम को हराया था। 2004 लोकसभा चुनाव में फिर सोहन पोटाई ने गंगा पोटाई ठाकुर को पराजित किया था। 2009 में तीसरी बार BJP के सोहन पोटाई ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को हराया था।
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2014 में BJP के विक्रम मंडावी ने कांग्रेस उम्मीदवार फूलोदेवी नेताम को मात दी थी। 2019 इलेक्शन में BJP के मोहन मंडावी ने बीरेश ठाकुर को हराया। जबकि वर्ष 2024 में BJP के भोजराज नाग ने कांग्रेस के बीरेश को फिर पटखनी दी।
रायगढ़ लोकसभा सीट
यहां साल 1999 में BJP के विष्णुदेव साय ने कांग्रेस की पुष्पा देवी सिंह को हराया था। 2004 चुनाव में विष्णुदेव साय ने रामपुकार सिंह को हराया। 2009 में विष्णुदेव साय ह्रदयराम राठिया को हराकर सांसद बने। 2014 चुनाव में चौथी बार विष्णुदेव साय सांसद निर्वाचित हुए। जबकि 2019 में BJP की गोमती साय ने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराकर क्षेत्र से MP बनी थी। 2024 चुनाव में BJP के राधेश्याम राठिया ने कांग्रेस की मेनका देवी को पराजित किया।
सरगुजा लोकसभा सीट
यहां 1999 में कांग्रेस के खेलसाय सिंह सांसद थे। राज्य गठन के बाद 2004 में हुए पहले चुनाव में BJP के नंदकुमार साय ने खेलसाय सिंह को हराकर जीत हासिल की। साल 2009 में BJP के मुरारीलाल सिंह ने प्रतिद्वंद्वी भानुप्रताप सिंह को हराया था।
वर्ष 2014 में BJP के कमलभान सिंह मरावी यहां से सांसद बने थे। वर्ष 2019 में भाजपा की रेणुका सिंह ने कांग्रेस के खेलसाय सिंह को पराजित किया था। जबकि 2024 में BJP से चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस की शशि सिंह को बड़े अंतरों से हराया।