राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस 2025: बहादुरी में भिलाई स्टील प्लांट का फायर ब्रिगेड पूरे भारत में है मशहूर

National Fire Service Day 2025: Bhilai Steel Plant's fire brigade is famous all over India for its bravery
घटनास्थल पर अत्यधिक ज्वलनशील रसायन, विस्फोटक, गैस रिसाव या बहुस्तरीय संकट के बीच बीएसपी का फायर ब्रिगेड मुस्तैद रहता है।
  • 12 नए फायर टेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
  • भिलाई इस्पात संयंत्र की फायर ब्रिगेड: सेवा और साहस की निर्विवाद गाथा।
  • छत्तीसगढ़ की औद्योगिक पहचान के रूप में स्थापित सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL – Bhilai Steel plant) की फायर ब्रिगेड वह मौन शक्ति है, जो न तो अपने कार्य के लिए प्रशंसा की आकांक्षा रखती है, किंतु जब भी संकट आता है, वह समर्पण, तत्परता और अदम्य साहस के साथ सबसे पहले सामने होती है।

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छत्तीसगढ़ की औद्योगिक पहचान के रूप में स्थापित सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL – Bhilai Steel Plant), जहां लौह इस्पात का निर्माण होता है, वहीं उसके भीतर कार्यरत यह अग्निशमन इकाई एक अलग ही प्रकार का ‘फौलाद’ गढ़ती है-जो आत्मबल, तकनीकी दक्षता और मानव सेवा के संस्कारों से निर्मित है।

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मध्य भारत की सबसे सशक्त अग्निशमन सेवा केन्द्र, जो अन्याधुनिक तकनीक और संसाधनों से सुसज्जित है, जब भी कोई संकट आता है भिलाई अग्निशमन सेवा केन्द्र तत्काल अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती है।

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आग की घटनाओं की बात करें तो, आग का नाम सुनते ही हमारे मन में एक लाल गाड़ी और उसमें लगे दमकलकर्मी की छवि आ जाती है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने में लगे होते हैं। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि एक फायरफाइटर केवल आग बुझाने तक सीमित नहीं होता।

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उन्हें अपनी जान की परवाह किए बिना, हर तरह की आपातकालीन स्थिति में अपनी क्षमता और सूझबूझ का प्रदर्शन करना होता है। भिलाई इस्पात संयंत्र की फायर ब्रिगेड की टीम भी इसी प्रकार की जोखिम भरी और साहसिक कार्यों में निपुण है। यह फायर ब्रिगेड पूरे भारत में अपनी बहादुरी, कुशलता और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए प्रसिद्ध है।

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ट्रेनिंग, प्रिवेंशन, मेंटेनेंस और ऑपरेशन विंग्स

भिलाई इस्पात संयंत्र के फायर ब्रिगेड की विशेषता केवल संयंत्र की चारदीवारी तक सीमित नहीं है। यह विभाग संयंत्र के भीतर और बाहर, दोनों स्थानों पर संकट की हर घड़ी में एक दृढ़ चट्टान की तरह खड़ा नजर आता है। इसकी कार्यप्रणाली सुनियोजित और चार मुख्य विंग्स में विभाजित है। ट्रेनिंग, प्रिवेंशन, मेंटेनेंस और ऑपरेशन विंग्स। हालांकि तकनीकी दृष्टि से यह विभाजन प्रबंधन के लिए सहायक है, परंतु इन सभी विंग्स का समन्वय ही इस संस्था की आत्मा है।

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जागरूकता ही प्राथमिक रक्षा बनती है

ट्रेनिंग विंग युवाओं को केवल उपकरणों के प्रयोग का अभ्यास नहीं कराता, बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बना कर इस कठिन सेवा के लिए उन्हें तैयार करता है। यह प्रशिक्षण संयंत्र के बाहर भी संचारित किया जाता है, जिनमें स्कूल, अस्पताल, पुलिस विभाग और अन्य सामुदायिक संस्थान तक शामिल हैं जहां अग्नि सुरक्षा के प्रति जागरूकता ही प्राथमिक रक्षा बन जाती है।

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प्लांट के अंदर इनकी खास भूमिका

दूसरी ओर प्रिवेंशन विंग का कार्य संयंत्र के भीतर संभावित अग्नि-जोखिम वाले क्षेत्रों की समय रहते पहचान करना और वहां उचित अग्निशमन उपाय सुनिश्चित करना है। विशेष रूप से तेल के सेलर, क्रेन, गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप जैसी जगहें जो अग्नि के प्रति अधिक संवेदनशील और जोखिमपूर्ण इलाके हैं।

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जहाँ आग लगने का खतरा अधिक रहता है। यह विभाग उस सोच को मूर्त रूप देता है कि ‘सुरक्षा एक सतत प्रक्रिया है’, न कि कोई एक बार किया गया उपाय। यही कारण है कि संयंत्र में लगे 16,200 से अधिक फायर एक्सटिंग्विशर्स का हर चार माह में परीक्षण किया जाता है और उनकी गुणवत्ता व कार्यक्षमता सुनिश्चित करने हेतु उन पर निरंतर निगरानी रखी जाती है।

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12 नए फायर टेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित

वहीं मेंटेनेंस विंग की भूमिका उपकरणों की सतत उपयुक्तता सुनिश्चित करने की है। चाहे वह दमकल वाहन हों, पंप हों, इमरजेंसी लाइटिंग उपकरण या गैस लाइन से जुड़ी विशेष प्रणाली-प्रत्येक यंत्र की संपूर्ण कार्यक्षमता इस विभाग की सतर्कता का परिणाम है।

हाल ही में संयंत्र प्रबंधन द्वारा 12 नए फायर टेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, इनका निरीक्षण और सही तरीके से संचालन सुनिश्चित करने का कार्यभार भी मेंटेनेंस विंग पर होता है।

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इनके कंधों पर अग्निकांड से लेकर रेस्क्यू तक

परंतु इन सबके बीच सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाता है ऑपरेशन विंग, जिसके कंधों पर अग्निकांड से लेकर रेस्क्यू, गैस ब्लैंकिंग से लेकर डिब्लैंकिंग, वीआईपी ड्यूटी से लेकर मॉक ड्रिल तक की समस्त ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। यही वह विभाग है, जो फायर कॉल मिलते ही मात्र 30 सेकंड में घटनास्थल की ओर तत्परता से रवाना हो जाता है।

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और जब घटनास्थल पर अत्यधिक ज्वलनशील रसायन, विस्फोटक, गैस रिसाव या बहुस्तरीय संकट होते हैं, तब यही विभाग अपने प्रशिक्षित कर्मियों के साथ बिना किसी हिचकिचाहट के कार्य करता है।

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रायपुर ट्रांसफॉर्मर यार्ड की आग सबको याद है

इनकी सेवा-भावना का एक जीवंत उदाहरण रायपुर के गुढ़ियारी स्थित ट्रांसफॉर्मर यार्ड में घटी आग की वह बड़ी घटना है, जहां संयंत्र से बाहर निकलकर इस फायर ब्रिगेड ने आठ घंटे तक निरंतर कार्य करते हुए न केवल आग पर नियंत्रण पाया, बल्कि एक संभावित भीषण आपदा को टाल दिया।

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फायर कॉल की संख्या में उल्लेखनीय कमी

इस फायर ब्रिगेड की सबसे बड़ी ताकत है-इसका मानवीय पक्ष। यहां कार्यरत अग्निशमन कर्मियों के लिए कोई दिन, कोई रात, कोई सीमित जिम्मेदारी नहीं होती। उनके लिए हर वह क्षण सेवा का अवसर है, जब कहीं भी किसी जीवन पर संकट मंडरा रहा हो।

संयंत्र द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रभाव भी संयंत्र के कर्मचारियों और नागरिकों के जीवन पर व्यापक है। इन कक्षाओं के माध्यम से संयंत्र कर्मचारी ही नहीं, आम नागरिक भी अग्नि सुरक्षा के प्रति सजग होते हैं। यही सजगता उन स्थायित्व पूर्ण परिवर्तनों को जन्म देती है, जिनके परिणामस्वरूप आज संयंत्र में फायर कॉल की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

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‘रिएक्टिव एजेंसी’ नहीं, बल्कि ‘प्रिवेंटिव सिस्टम’

आंकड़ों के पीछे की सच्चाई यह है कि प्रशिक्षण, जागरूकता, सतर्क निरीक्षण, और आधुनिक संसाधनों के एकीकृत प्रयोग से अब फायर ब्रिगेड केवल ‘रिएक्टिव एजेंसी’ नहीं रह गई है, बल्कि यह एक ‘प्रिवेंटिव सिस्टम’ के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। संयंत्र में अग्निशमन की तकनीकी दक्षता और मानवीय प्रतिबद्धता, दोनों का समन्वय एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है कि जब संसाधन और सेवा भाव साथ चलते हैं, तब सुरक्षा केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व बन जाती है।

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