भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों के प्रमोशन में NEPP की अड़चन, प्रबंधन थमा रहा चिट्ठी, मचा हड़कंप

NEPP is an obstacle in the promotion of Bhilai Steel Plant employees, management is handing over the letter
NEPP प्रमोशन पालिसी के रूझान आने लगे हैं। कर्मियों को उनके कार्मिक विभाग से अप्रेजल से संबंधित चिटिठयां मिलने लगी है।
  • पिछले दिनों सेल में 11 अधिकारियों की नौकरी चली गई। कर्मचारियों को मिली चिट्ठी को लेकर डर का माहौल।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट (SAIL – Bhilai Steel plant) के कर्मचारियों से जुड़ी बड़ी खबर है। प्रमोशन पॉलिसी NEPP फिर से चर्चा में है। 25 जून 2021 को उस समय की तात्कालिक मान्यता यूनियन द्वारा प्रबंधन के साथ एक समझौता किया गया था, जिसमें उन्होंने हस्ताक्षर किया और बताया गया कि इसके फायदे हैं। उन फायदे को लेकर साइन करने वाली यूनियन ने लोगों के बीच जाकर फायदे गिनाए।

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विरोधी यूनियनों ने उसके नुकसान गिनाए और प्रबंधन ने फायदे को बताएं एवं नुकसान वाले पार्ट का जिक्र ही नहीं किया या उन्हें टाल दिया। लेकिन इसे जहां लागू करना था, वहां लागू नहीं किया गया। जी हां हम सेक्टर-9 अस्पताल की बात कर रहे हैं, जहां फायदा होता।

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लेकिन अब सच्चाई सामने आने लगी है। कुछ दिनों से लगातार कर्मियों को चिट्टियां मिल रही है और उस चिट्ठी में उन्हें बी ग्रेड देने और उनके काम का आकलन का जिक्र किया गया है। जिन लोगों को यह चिट्टियां मिली है, उनकी बात करें तो वह डरे हुए हैं और उनका डर जायज है, क्योंकि पिछले दिनों सेल में 11 अधिकारियों की नौकरी चली गई।

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उसका प्रचार भी खूब हुआ। डरना स्वाभाविक है। लेकिन आधी-अधूरी जानकारी में पत्रों को लेकर जब उन कर्मचारियों की बात कर रहे हैं तो कोई उनके मजे ले रहा है, तो कोई उन्हें नौकरी से निकालने की बात कर रहा है। तो कोई उन्हें सही जानकारी के लिए यूनियन लीडर से मिलने को कह रहा है।

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कार्मिक विभाग तो नाइट शिफ्ट करने के बाद कर्मी को कार्मिक कार्यालय बुलाने का फरमान जारी किया है। बायोमेट्रिक लगाने कर्मी चिट्ठी लेकर खड़े हैं और उस चिट्ठी की आड़ में अन्य कर्मचारी उन पर ज्ञान उढेल रहे हैं। कोई कहता है तुमने साहब को ऐसे कहा, इसलिए तुम नेताजी से उलझे, इसलिए तो तुम्हारे काम करने का तरीका ठीक नहीं है।

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कोई कहता है तुम्हारे बात करने का तरीका ठीक नहीं है। कुल मिलाकर एक यूनियन द्वारा किए गए हस्ताक्षर का नतीजा आज यह लोग भुगत रहे हैं, क्योंकि उस एग्रीमेंट में 10% लोग को B या C ग्रेड देना ही था।

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लेकिन समीक्षा का विषय एवं लोगों के बीच चर्चा का विषय यह है कि जो व्यक्ति तीनों शिफ्ट में नौकरी कर रहा है। यह बी ग्रेड या सी ग्रेड उन्हीं कर्मचारियों को दिया गया है। जिनमें बहुत सारे लोग शारीरिक रूप से अक्षम है। या यूं कहे कुछ लोग इसमें डंडा लेकर भी चल रहे हैं। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी और तमाम मुश्किलों के बाद भी अपनी नौकरी को करने का प्रयास कर रहे हैं।

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यानी काम की समीक्षा हो रही है या जो व्यक्ति काम कर रहा है, उसके काम की समीक्षा हो रही है। लेकिन इन्हीं की आंखों के सामने वर्षों से या यू कहे ज्वाइनिंग के समय से ही नेतागिरी के नाम पर जनरल शिफ्ट में आकर हाजिरी लगाकर या बायोमेट्रिक लगने के बाद दिन में दो बार चेहरा दिखा कर जो आदमी निकल जा रहा है, उनमें से कितने लोगों को बी ग्रेड दिया गया है। या यूं कहें जो काम कर रहा है, उसकी समीक्षा हो रही है जो काम नहीं कर रहा है उसकी कोई समीक्षा नहीं हो रही है। उसका कोई ग्रेडिंग सिस्टम नहीं है।

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प्रबंधन का यह कैसा आकलन है। ग्रेडिंग सिस्टम है। वह कर्मचारी जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी नौकरी कर रहे हैं। हां इसमें हर कर्मचारी ऐसा नहीं है। लेकिन एक लंबी उम्र तक ईमानदारी से नौकरी करने के बाद कुछ शारीरिक या मानसिक परेशानी आती है, उसे स्थिति में या उसे व्यक्ति को आज ग्रेडिंग/अप्रेजल की चिटिठयां ज्यादातर लोगों को पकड़ाया गया है। यह कहीं ना कहीं इस पूरी व्यवस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहा है?

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