- पेंशन विभाग महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार नीतियां बना रहा है, जिससे महिलाओं के लिए सम्मानजनक जीवन और जीवनयापन में आसानी सुनिश्चित हो सके।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत की भी अध्यक्षता की, जिसमें 12 मंत्रालयों, विभागों के पेंशनभोगियों की शिकायतों को शामिल किया गया और उनमें से 60 प्रतिशत का मौके पर ही समाधान किया गया।
- पेंशनभोगियों की शिकायतों का निवारण मोदी सरकार की उच्च प्राथमिकता है और पेंशनभोगियों की शिकायतों के शीघ्र समाधान के लिए पेंशन अदालतों का आयोजन किया जाता है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। नई दिल्ली में स्वैच्छिक एजेंसियों की स्थायी समिति (स्कोवा) (Standing Committee of Voluntary Agencies (SCOVA)) की 33वीं बैठक और 10वीं राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत लगी। केंद्रीय राज्य मंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी पहुंचे।
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उन्होंने कहा है कि जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में कार्यभार संभाला है, तब से बुजुर्ग नागरिकों और विशेष रूप से महिलाओं के लिए संवेदनशील होने के साथ एक के बाद एक पेंशन सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की गई है।
उन्होंने कहा कि समाज के इन वर्गों के लिए जीवनयापन को आसान बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग किया गया है।
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नई दिल्ली में स्वैच्छिक एजेंसियों की स्थायी समिति (स्कोवा-एससीओवीए) की 33वीं बैठक और 10वीं राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशन विभाग महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार नीतियां बनाने में लगा हुआ है, जिससे महिलाओं के लिए सम्मानजनक जीवन और जीवनयापन में यह आसानी से सुनिश्चित हो सके।
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एक तलाकशुदा बेटी और पारिवारिक पेंशन
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग में महिला-केंद्रित सुधारों पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आदेश जारी किए गए हैं जिसमें एक तलाकशुदा बेटी, जिसके मामले में यदि माता-पिता की मृत्यु से पहले तलाक की याचिका दायर की गई हो तो पारिवारिक पेंशन उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद तलाक की डिक्री जारी की गई थी, पात्र होगी।
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लापता कर्मचारियों के परिवार और पेंशन
मंत्री ने कहा कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आने वाले लापता कर्मचारियों के परिवार अब एफआईआर दर्ज होने के 6 महीने के भीतर पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर सकते हैं और इसके लिए 7 साल तक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी, जिसके बाद कर्मचारी को मृत मान लिया जाएगा।
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10 वर्षों के लिए अंतिम वेतन पर पेंशन
ऐसे मामलों में भी जहां सरकारी कर्मचारी की 7 साल की सेवा पूरी करने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को पहले 10 वर्षों के लिए अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर पर और उसके बाद अंतिम वेतन के 30 प्रतिशत की दर से पारिवारिक पेंशन देय होगी।
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सामाजिक निहितार्थों वाला सुधार विभाग
मंत्री ने कहा कि यहां तक कि सभी के जीवन को आसान बनाने के लिए दिव्यांगों के लिए पेंशन का भी संकल्प लिया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अधीन पेंशन विभाग बड़े सामाजिक निहितार्थों वाला सुधार विभाग बन गया है। उन्होंने पेंशनभोगी कल्याण संघों और आधिकारिक सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 गैर-आधिकारिक सदस्यों वाले एससीओवीए निकाय से विभाग के लाभ के लिए सुझाव और नए विचार प्रस्तुत करने को कहा। मंत्री ने बताया कि यह उनके सुझाव पर ही था कि पहले तीन फॉर्म की प्रथा के बजाय एक एकल पेंशन फॉर्म ही प्रस्तुत किया गया था।
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डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र
नवंबर, 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा प्रारम्भ (लॉन्च) किए गए जीवन प्रमाण (डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र) का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि यह पेंशनभोगी को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र ऑनलाइन, कभी भी और कहीं से भी जमा करने का विकल्प प्रदान करता है।
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फेस-ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एससीओवीए सदस्यों को यह बताते हुए गर्व अनुभव किया कि पेंशनभोगियों, पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए ‘जीवनयापन में आसानी’ बढ़ाने के लिए डीओपीपीडब्ल्यू ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया -यूआईडीएआइई) के सहयोग से 2021 में जारी किए गए किसी भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन से जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए किसी भी सरकारी विभाग से पहली “फेस-ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी” आधारित प्रणाली विकसित की है।
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घर से डीएलसी जमा करने की सुविधा
मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि डीओपीपीडब्ल्यू ने अक्षम पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए घर से डीएलसी जमा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकों, भारतीय डाक और भुगतान बैंक (आईपीपीबी) के साथ समन्वय किया है। इसी प्रकार, भविष्य प्लेटफॉर्म, एक एकीकृत ऑनलाइन पेंशन स्वीकृति प्रसंस्करण प्रणाली है, जिसे 01.01.2017 से सभी केंद्र सरकार के विभागों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत की भी अध्यक्षता की, जिसमें गृह मंत्रालय, रक्षा वित्त विभाग, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), आर्थिक मामलों के विभाग, पूर्व सैनिक कल्याण विभाग, आवास एवं शहरी कार्य, रेल मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय सहित 12 मंत्रालयों, विभागों की पेंशनभोगियों की शिकायतों को शामिल किया गया।
105 पेंशनभोगी शिकायतों को चर्चा के लिए सूचीबद्ध
105 पेंशनभोगी शिकायतों को चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें सेवानिवृत्ति मामले, पारिवारिक पेंशन मामले और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मामले शामिल हैं। 60 प्रतिशत मामलों का मौके पर ही निस्तारण किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशनभोगियों की शिकायतों का निवारण मोदी सरकार की उच्च प्राथमिकता है और पेंशनभोगियों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा पेंशन अदालतों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कई हितधारकों को मौके पर ही शिकायत निवारण के लिए एक मंच पर लाया जाता है।
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440 मामलों का मौके पर ही समाधान
वर्ष 2023 में, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 17 मई, 2023 और 23 अक्टूबर, 2023 को दो पेंशन अदालतों का आयोजन किया था। इन अदालतों के दौरान, 603 मामले उठाए गए, जिनमें से 440 मामलों का मौके पर ही समाधान किया गया।
गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और पुडुचेरी के पेंशनभोगी कल्याण संघ 33वें स्कोवा (एससीओवीए) विचार-विमर्श में भाग लेंगे।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), रेल मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, व्यय विभाग, केन्द्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ), वित्तीय सेवा विभाग, सीजीडीए और भारतीय स्टेट बैंक भी इस विचार-विमर्श में भाग लेंगे।