- लोग पूछते हैं कि बिल्ली के गले में कौन घंटी बांध सकता है?
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) ने लोगों की धड़कन बढ़ा दिया है। महज एक हजार रुपए में परिवार का खर्च चलाने वालों की बात दिल दहलाने वाली है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि ईपीएफओ (EPFO) के अस्तित्व में रहने का क्या मतलब?
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पेंशनर्स कहते हैं इसे बंद कर देना चाहिए। हमारा सब जमा पैसा लौटा दें। पेंशन-वेंशन नहीं चाहिए, जब उनके पास हमें पेंशन देने के लिए पैसे ही नहीं…। जैसा कि वो कहते आये हैं कि EPFO लगातार घाटे में चल रही है।
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Anil Kumar Namdeo ने फेसबुक पर लिखा-हम देखते आये हैं कि सरकार की एक अहम नीति चलती आई है कि जो सरकारी संस्थान घाटे में चल रहीं हों, या तो उसका आधा निवेश निजी हाथों में कर दिया जाए। या बंद कर दिया जाए। या फिर अनुदान दे कर पुनर्जिवित कर दिया जाए।
पेंशर्न ने भड़ास निकालते हुए लिखा-अब जब EPFO रो-रो कह रही है कि वो लगातार घाटे में चल रही है,उसके पास पेंशनरों को देने के लिए पैसे नहीं है, तो फिर क्या कारण है कि सरकार ऐसी डूबती संस्था का कायाकल्प क्यूं नहीं करना चाहती? क्यूं नहीं इसे बंद करना चाहती?
ऐसी संस्था जो कल्याणकारी उद्देश्य को लेकर स्थापित की गई हो और वो अपने उद्देश्यों में पूर्णतः असफल साबित हो रही है। उसे बनाये रखने का क्या तर्क हो सकता है। असल बात तो ये है कि EPFO एक ऐसी संस्था है, जो बिना हल्दी फिटकरी लगाए,अरबो-खरबों का लाभ कमाते आई है। ऐसी संस्था को कौन सी सरकार है, जो बंद करना चाहेगी?
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लोग पूछते हैं कि बिल्ली के गले में कौन घंटी बांध सकता है? बिल्ली के गले में घंटी डालने वाली सरकार ही हो सकती थी,पर वो ऐसा क्यों करेगी…। वो तो आपके कल्याण के लिए वचन बद्ध है…आपके तमाम होने तक।