RSP से सिर्फ आरके बिसारे का प्रमोशन, सेलम स्टील प्लांट के बने मुखिया, BSP से गहरा नाता, पढ़ें किस लिए मिली जिम्मेदारी

Rourkela Steel Plant CGM RK Bisare Becomes ED of Salem Steel Plant Read Planning
  • सेल में 36 साल की सेवा पूरी हो चुकी है। दिसंबर 2027 में रिटायरमेंट है।

अज़मत अली, भिलाई। राउरकेला स्टील प्लांट से एकमात्र सीजीएम का प्रमोशन हुआ है। न्यू प्लेट मिल के सीजीएम आरके बिसारे अब सेलम स्टील प्लांट के मुखिया होंगे। ईडी आरके बिसारे का भिलाई स्टील प्लांट से पुराना नाता है। परिवार आज भी भिलाई में रहता है। प्रमोशन ऑर्डर आया तो वह भिलाई में थे। खबर लगते ही चाहने वालों का तांता सेक्टर 10 स्थित आवास पर देर रात तक लगा रहा।

काम के बल पर भिलाई से राउरकेला स्टील प्लांट तक रिकॉर्ड बनाने वाले आरके बिसारे को नई जिम्मेदारी सौंपते हुए सेल चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने काफी संभावनाएं जताई है। सेल में 36 साल की सेवा पूरी हो चुकी है। दिसंबर 2027 में रिटायरमेंट है।

सेलम स्टील प्लांट को संवारने का प्लान तैयार है। सेलम, भद्रावति और अलॉय को लेकर पैकेज बन गया है। सेल के अधीन ही रहेगा। फास्ट ट्रैक पर काम किया जाएगा। इसलिए आरके बिसारे को ईडी बनाकर सेलम भेजा गया है, जबकि भिलाई लाने की बात भी सामने आ रही थी। लेकिन, सेलम को पटरी पर लाने के लिए आरके बिसारे को जिम्मा सौंपा गया है।

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हाइड्रोलिक के क्षेत्र में मजबूत पकड़

भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वहीं से पढ़े-लिखे आरके बिसारे ने साल 1989 में भिलाई स्टील प्लांट में सेवा शुरू की थी। हाइड्रोलिक के क्षेत्र में मजबूत पकड़ने की वजह से प्लेट मिल में मौका मिला। नई पहचान दिलाई। उत्पादन का दनादन रिकॉर्ड कायम किया। जूनियर मैनेजर से सीजीएम तक प्लेट मिल रहे। काम से कभी भी कोई कम्प्रोमाइज नहीं किया। प्लांट को पूरा समय देते रहे।

आरएसपी में लगातार रिकॉर्ड बनाने का भी खिताब

साल 2012 में जीएम बनाए गए। 2021 में सीजीएम का पद मिला। 2024 में राउरकेला स्टील प्लांट ट्रांसफर किया गया था। आरएसपी में लगातार रिकॉर्ड बनाने से सेल चेयरमैन की उम्मीदें बढ़ती गई। टीम को मोटिवेट करते रहे। सेफ्टी पर बुनियादी काम हुआ। चेयरमैन और डीआईसी की बात का पालन खुद खड़े होकर कराते रहे।

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बड़ा सोचो-बड़ा करो…

ज़िद, जज़्बा और जुनून के साथ आरके बिसारे काम करने की बात करते हैं। कार्यस्थल पर जरूरत पड़ते ही सबसे पहले पहुंचने से फायदा यह होता है कि मातहत अधिकारी और कर्मचारी भी सक्रिय हो जाते हैं। चेयरमैन और डीआइसी की सोच को क्रियान्वित करना आसान होता है। पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब ने कहा था बड़ा सोचो-बड़ा करो…इस फॉर्मूले को आरके बिसारे भी अपना चुके हैं।

समाजसेवा भी भी आरके बिसारे की भूमिका खास

सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन में भी आरके बिसारे सबसे आगे रहते हैं। सेक्टर 5 के सड़क 40 स्थित मंदिर में एक स्कूल संचालित करते हैं। जहां जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च संस्था उठाती है। सेल में कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा राज यह है कि टीम वर्क की छाप दिखी।

उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन पर अमल करना और कंपनी हित में एक कॉल पर सबसे पहले पहुंचने की ललक ने इन्हें औरों से अलग कर दिया। उच्च प्रबंधन तक पहचान बनती गई और साथी अधिकारियों-कर्मचारियों का साथ मिलता गया। यही वजह है कि एक के बाद एक प्रमोशन भी मिलता गया।