सेल के उत्पादन, रिकॉर्ड, बेहतर आँकड़ो की भरमार। फिर भी अवैध बोनस फॉर्मूला बरकरार।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल कर्मचारियों के बोनस को लेकर मांग का सिलसिला तेज हो गया है। हर स्तर पर आवाज उठाई जा रही है। सेल प्रबंधन पर दबाव बनाने के लिए सेल के सभी प्लांट से ये आवाज उठ रही है।
बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने सेल के निदेशक कार्मिक को कड़ा पत्र लिखकर एएसपीएलआईएस फॉर्मूला को बदलने की माँग किया है। अपने पत्र में यूनियनों/कार्मिको तथा प्रबंधन के बीच औद्योगिक संबंध खराब होने के लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
विगत 7 सालों में उत्पादन, लाभ, टर्नओवर , एबीटा , लेबर प्रोडक्टिविटि मे रिकॉर्ड बनने तथा कर्ज में कमी, मैनपावर कॉस्ट मे कमी होने के बावजुद सेल प्रबंधन द्वारा बोनस सहित सभी मामलों में तानाशाही भरा फैसला लिया जा रहा है। अधिकतर मामलों में यूनियनों को न्यायालय की शरण में जाना पड़ रहा है। इसी के परिपेक्ष्य में यूनियन को पूरे आँकड़े के साथ पत्र लिखना पड़ा है।
यूनियन द्वारा दिए गए आँकड़े उत्पादन का आँकड़ा —
वित्त वर्ष — क्रुड स्टील — सैलेबल स्टील
2024-25 —19.17 — 17.89
2023-24 — 19.24 — 18.43
2022-23 — 18.29 — 17.24
2021-22 — 17.36 — 16.89
2020-21 — 15.21 — 14.60
2019-20 — 16.15 — 15.14
2018-19 —16.26 — 15.06
(आँकड़े मिलियन टन में)
कंपनी द्वारा किया गया व्यापार /कुल बिक्री (आँकड़े करोड़ रुपये में)
2024-25— 102478
2023-24 —104545
2022-23 —103729
2021-22 —102805
2020-21 —68452
2019-20 —61025
2018-19 —66267
एबीटा तथा कर पूर्व लाभ का आँकड़ा (आँकड़े करोड़ रुपये में)
वर्ष — EBITDA — PBT
2024-25—11764 — 3009
2023-24 —12280 — 3688
2022-23 — 9379 — 2637
2021-22 — 22364 — 16039
2020-21 — 13740 — 6879
2019-20 — 11199 — 3171
2018-19 — 10283 — 3368
कंपनी पर कुल कर्ज तथा किया गया ब्याज भुगतान (आँकड़े करोड़ रुपये में)
वर्ष — कर्ज — ब्याज भुगतान
2024-25 — 29811 — 2792
2023-24 — 36315 — 2499
2022-23 — 30773 — 2037
2021-22 — 17284 — 1698
2020-21 — 37677 — 2817
2019-20 —54127 — 3487
2018-19 — 45170 — 3155
इस कारण कारण पीबीटी, एबीटा से 25% नीचे
बीएकेएस का कहना है कि कंपनी पर भारी कर्ज पिछले मॉर्डनाईजेशन के नाम पर लिए गए कर्ज तथा आगे के मॉर्डनाईजेशन के नाम पर प्रत्येक वर्ष किए जा रहे कैपेक्स के कारण है। सेल का एबीटा से भी पैसे को निकालकर कंपनी के कैपेक्स मे प्रत्येक वर्ष 6000 करोड़ रुपया से अधिक लगाया जा रहा है, जिसके कारण पीबीटी , एबीटा का 25% से नीचे है।
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अधूरा तथा अवैध वेज रीविजन लागू होने के बाद मैन पावर कॉस्ट
वर्ष— मैनपावर कॉस्ट (आँकड़े करोड़ रुपये में)
2024-25— 11658
2023-24 —11747
2022-23 — 12053
2021-22 — 12846
लेबर प्रोडक्टिविटि का आँकड़ा (आँकड़े टन क्रुड स्टील /मैन/वर्ष में)
2024-25— 615
2023-24 —579
2022-23 —521
2021-22 —461
2020-21 — 396
2019-20 — 400
2018-19 — 389
सेल में गैर कार्यपालक कर्मचारियों की संख्या तथा मिले एएसपीएलआईएस (बोनस) की राशि
वर्ष Non Ex कार्मिको की संख्या (31 मार्च तक)- प्रति कर्मचारी बोनस राशि-कुल बोनस राशि-कुल PBT का प्रतिशत
2024—45931— ₹26500— ₹121 करोड़—3.28%
2023 —49196— ₹23000— ₹113 करोड़— 4.28%
2022—51677— ₹28000 +12500 ₹209 करोड़ 1.3%
2021 —54782 —₹21000 —₹115 करोड़ —1.67%
2020 —57971— ₹16500 — ₹95.65 करोड़ —3.01%
2019 —60488— ₹15500— ₹93.75 करोड़ —2.78%
पीआरपी और बोनस पर ये नजरिया
यूनियन का कहना है कि सभी आँकड़े खुद बयाँ कर रहे है कि किस तरह सेल प्रबंधन द्वारा अपने ही गैर कार्यपालक कार्मिकों के साथ भारी भेदभाव किया जा रहा है। जहाँ एक तरफ सेल के चेयरमैन, डायरेक्टर सहित सभी अधिकारी कर पूर्व लाभ (PBT) का 5% हिस्सा बोनस रुपी PRP ले रहे है, जो अधिकारियो के वरिष्ठता के अनुसार तय होती है।
दूसरी तरफ सेल के गैर कार्यपालक कर्मचारियों को मनमाने तरिके से, एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर बोनस रुपी एएसपीएलआईएस फॉर्मुला (जो मैनेजमेंट द्वारा बनाया गया है) के हिसाब से , पिछले चार वर्षो से बोनस जबरदस्ती खाते में भेज दिया जा रहा है। यूनियन ने माँग किया है कि सेल गैर कार्यपालक कर्मियों को प्रोडक्शन रिलेटेड लागू किया जाए।
यूनियन के फॉर्मूला के हिसाब से अगर 30 पैसे प्रति किलो
(प्रति टन ₹300 बोनस ) क्रूड स्टील उत्पादन के दर से भी बोनस फॉर्मूला बनाया जाए तो
उत्पादन —19.17 मिलियन टन
कुल बोनस राशि —575.1 करोड़
गैर कार्यपालक कर्मचारियों की संख्या-42100
अनुमानित बोनस प्रति कर्मचारी— ₹1 लाख 36 हजार रुपया बोनस बनेगा।
न्यायालय की शरण मे जाना ही एक मात्र उपाय बचा
बीएकेएस भिलाई के महासचिव अभिषेक सिंह का कहना है कि कंपनी प्रबंधन ने अभी जो हालत बना कर रखा है, उससे तय है कि बोनस फॉर्मूला मामला भी कोर्ट की शरण में जाएगा।
वर्तमान समय में ऊपर के अधिकारी सभी मामलों को वर्षों से लटका रहे हैं। उसको हल कराने के इच्छुक भी नहीं हैं। अतः न्यायालय की शरण मे जाना ही एक मात्र उपाय बचा है।