एक तरफ डायरेक्टर इंचार्ज कर्मियों को सुविधाएं बढ़ाने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ विभाग की ढिलाई से मच्छरों के भीषण प्रकोप से शहरवासी परेशान हैं
।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। यशवंत फिल्म और नाना पाटेकर का डायलॉग-एक मच्छर इंसान को…। साल 1996 में आई मूवी का डायलॉग आज भी खूब चर्चा बटोरे हुए है। यही डायलॉग सेल के बोकारो स्टील प्लांट के कार्मिकों की जुबां पर भी है। मामला ही ऐसा है कि न चाहते हुए भी लोग बोलने को विवश हैं।
बीएसएल के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की ढिलाई और सुस्ती का खामिजया कर्मचारी और अधिकारी भुगत रहे हैं। घर से लेकर प्लांट तक मच्छरों का प्रकोप है। शाम ढलते ही मच्छरों का आतंक शुरू हो जाता है। मच्छरदानी के घेरे में ही बच्चों की पढ़ाई हो रही है। खुले में खेलने की आजादी पर पहरा लग गया है। घर के बाहर बच्चों की आवाजाही पर मानो रोक लगा दी गई है।
मच्छरों के रोकथाम के लिए विभाग को जितना सक्रिय होना चाहिए, हो नहीं रहा है। इसकी वजह से कार्मिक अब तंग आ चुके हैं। Suchnaji.com को बीएसएल के कार्मिकों ने फोटो संग अपनी पीड़ा सुनाई। एक कार्मिक ने बताया कि डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश इम्प्लाइज वेलफेयर की बात करते हैं।
ये खबर भी पढ़ें: SAIL BSP में 7 साल पहले मजदूर हो रहा जबरन रिटायर, अगला नंबर आपका तो नहीं…
हर स्तर पर पूरा साथ देने का दम भरते हैं। वहीं, पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट डीआइसी के दावों को ही ठेंगा दिखा रहा है। फॉगिंग अभियान के नाम पर मजाक किया जा रहा है। कोई बेहतर व्यवस्था न होने से बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। समय रहते विभाग सक्रिय नहीं हुआ तो मच्छरों की वजह से हर घर बीमारियों की चपेट में आएगा और जान तक जा सकती है।
एक अन्य कार्मिक ने कहा कि ये समझ में नहीं आ रहा है कि मच्छरों का प्रकोप सातवें आसमान पर है, आखिर में विभाग क्या कर रहा है? एक तरफ डायरेक्टर इंचार्ज कर्मियों को सुविधाएं बढ़ाने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ मच्छरों के भीषण प्रकोप से शहरवासी परेशान हैं।