
- सेल की जबरिया रिटायरमेंट लिस्ट में भिलाई स्टील प्लांट के एलएंडए के एजीएम अशोक कुमार रिसाली में रहते हैं।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) में अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दौर शुरू हो गया है। इसकी जद में भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के एजीएम अशोक कुमार आ गए हैं। इस्पात भवन में कामकाज की जिम्मेदारी दी गई थी। लंबे समय से यहां बतौर एजीएम कार्यरत रहे। लेकिन, कामकाज को लेकर कई सालों से जूझ रहे थे।
परिवार को बुलाकर प्रबंधन समझाता रहा। पिछले साल ही इनको कंपनी की सेवा से बाहर करने का फैसला हो गया था। स्थानीय अधिकारियों ने बचाने की पूरी कोशिश की। उच्च प्रबंधन ने भी रोकने की कोशिश की, पर सेल कारपोरेट आफिस में अशोक कुमार की कुंडली खुल चुकी थी। सेल के उच्चाधिकारियों में मौजूद एक अधिकारी का नाता भिलाई से रहा है। वह सारी वस्तुस्थिति से अवगत थे। इसलिए इनको बचाना नामुमकिन सा हो गया था।
सेल से जबरिया रिटायरमेंट की लिस्ट में भिलाई स्टील प्लांट के एलएंडए के एजीएम अशोक कुमार रिसाली में रहते हैं। इनके पिता महालिंगम भी बीएसपी से रिटायर हुए थे। अब वह दुनिया में नहीं हैं। अशोक कुमार के साथ काम करने वाले अधिकारियों के मुताबिक वह इस्पात भवन के थर्ड फ्लोर में बैठते थे।
हाउस कीपिंग, गेट पास आदि कार्य की जिम्मेदारी प्रबंधन ने दी थी। लेकिन, बीमारी की वजह से वह कामकाज को लेकर गंभीर नहीं हो पा रहे थे। विभाग ने लिखित में इन्हें सरेंडर करने की बात बोल दी थी। किसी तरह समझाकर मामला खींचा गया। करीब 11 साल बाद एजीएम पद पर प्रमोट हुए थे।
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लगातार सी ग्रेड के मापदंड से वह फंस गए। कारपोरेट आफिस से पिछले साल ही दबाव आया था कि Compulsory Retirement दे दीजिए। स्थानीय प्रबंधन ने अधिकारी और उनकी पत्नी को बुलाकर सारी बात बताई। यहां तक सुझाव दिया गया कि रिजाइन कर दीजिए, ताकि छवि खराब न होने पाए। लेकिन, इस बात पर पत्नी तैयार नहीं हुईं।
बीच का रास्ता निकालते हुए सबैटिकल लीव दे दिया गया। स्थानीय प्रबंधन को उम्मीद थी कि 3 साल तक वह लीव पर रहेंगे तो नौकरी बच जाएगी। लेकिन, ऐसा न हो सका। सेल प्रबंधन ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फरमान जारी कर दिया।