
- कारवाई करने या जवाब देने के अंतिम तिथि के एक सप्ताह के बाद दिया जवाब।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। एनजेसीएस (NJCS) में सुधार के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस्पात मंत्रालय को दिए गए 90 दिन के समय के बाद सेल प्रबंधन ने इस्पात मंत्रालय को अपना जवाब सौंपा है। जिसको इस्पात मंत्रालय ने यूनियन के पुराने ई मेल पर 12 मार्च को भेजा है।
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अपने जवाब में सेल प्रबंधन ने एनजेसीएस के वर्तमान क्रियाकलाप तथा ठाँचे को जायज ठहराया है तथा 1970 के दशक में गठित एनजेसीएस के नियमों के तहत ही निर्णय लेने का हवाला दिया है। जबकि यूनियन ने अपने पत्र में एनजेसीएस में यूनियन प्रतिनिधियों के मनोयन तथा कई समझौते पर सबूत के साथ सवाल उठाया था। वर्तमान श्रम कानूनों के हिसाब से एनजेसीएस के पुर्नगठन का माँग किया था।
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यूनियन द्वारा उठाए गए तथ्य
1 . एनजेसीएस में सेल के प्रत्येक प्रमुख यूनिट से रिकॉगनाईज्ड ट्रेड यूनियन का प्रावधान किया गया है तो 5 ट्रेड यूनियनों को 3-3 , कुल 15 मनोयन का सीट क्यों?
2 . सेल स्तर पर बगैर मेंबरशीप वेरिफिकेशन हुए पाँचो ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस तथा बीएमएस को 3-3 मनोयन का सीट किस कानून के तहत प्रदान किया जा रहा है?
3 . निर्वाचित रिकॉगनाईज्ड ट्रेड यूनियन नेताओं की शक्तियों को, मनोनित यूनियन नेताओं से कम कैसे रखा गया?
4 . सिर्फ 5 यूनियन के ही बाहरी, उम्रदराज तथा गैर निर्वाचित यूनियन नेताओं का मनोयन किस कानुन के तहत किया जा रहा है?
5 . एनजेसीएस का गठन बगैर कानूनी प्रावधान के किस कानुन के तहत हुआ है ?
6 . एनजेसीएस में हुए अभी तक सभी समझौते का कानूनी आधार क्या है?
7 . एनजेसीएस को ट्राई पार्टी से बाई पार्टी कमेटी किस सरकारी एजेंसी या मंत्रालय की मंजुरी से बनाया गया ?
8 . पाँचों यूनियनों के सभी वरिष्ठ नेता एक दशक से मनोनित कैसे हो रहे है?
9 . एनजेसीएस की मीटिंग सेल प्रबंधन की मनमर्जी पर क्यो बुलाई जाती है ?
10 . एनजेसीएस मीटिंग का वार्षिक कैलेण्डर, एजेंडा आदि क्यो जारी नही किया जाता है ?
दिल्ली उच्च न्यायालय जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं
कोई भी संगठन की लोकप्रियता उसके सदस्यों की कार्यप्रणाली पर निर्भर करती है। कर्मचारियों के एनजेसीएस तथा अधिकारियों के सेफी संगठन उसका उदाहरण है। जहाँ सेफी के सभी पदाधिकारी निर्वाचित है तो एनजेसीएस में 95 वर्ष , 90 वर्ष , 80 वर्ष तथा 72 वर्ष के वर्षो से मनोनित नेताओं की भरमार है।
एक तरफ सेफी, अधिकारियों के सभी मुद्दो को हल करवा चुकी है तो दूसरी तरफ एनजेसीएस में कर्मचारियों के इतने मुद्दे अटके हुए है कि मुद्दों का संविधान (40 से अधिक अटके मुद्दे) तैयार हो चुका है। हमारी यूनियन पुनः दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण में जा रही है।
हरिओम, अध्यक्ष , बीएकेएस बोकारो
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