- स्वतंत्र निदेशक कन्हैया शारदा और नीलम सोनकर बोकारो दौरे पर पहुंचीं।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बीएसएल (BSL), अनाधिशासी कर्मचारी संघ बोकारो (Unofficial Employees Union Bokaro) के पदाधिकारियों ने सेल बोर्ड स्वतंत्र निदेशकों (SAIL Board Independent Directors) से मुलाकात कर वेज रीविजन, एरियर तथा कर्मचारी हित से जुड़े सभी मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट कराया है।
गुरुवार रात्रि स्वतंत्र निदेशक कन्हैया शारदा से तथा शुक्रवार सुबह नीलम सोनकर से मुलाकात कर बीएसएल तथा सेल कर्मियों (SAIL Employees) के मुद्दों को उनके समक्ष रखा गया। कर्मचारियों से जुड़े कई मुद्दों पर दोनों स्वतंत्र निदेशकों का रुख काफी सकारात्मक था। अगले सेल बोर्ड मीटिंग में उन्होंने कई मुद्दों को उठाने तथा लागू करवाने का आश्वासन भी दिया।
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सेल कर्मियों के मुद्दों की सूची और भड़ास
-वेतन समझौता MOA नहीं होने का कारण आज तक अंतिम रूप से मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) तथा पर्क्स प्रतिशत फाईनल नहीं हुआ है।
–MOA नहीं होने का कारण 39 माह का फिटमेंट एरियर और 58 माह का पर्क्स एरियर का आज तक निर्धारण नहीं हुआ है।
-गैर वैधानिक लाभों (ऋण तथा एडवांस) पर भी कुछ निर्णय नहीं हुआ है।
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–ग्रेज्युटी सीलिंग (Gratuity Ceiling) पर भी यूनियनों की सहमति नहीं ली गई है।
-वहीं, वेतन समझौता में अधिकारी वर्ग तथा दूसरे पीएसयू के मुकाबले किए गए भेदभाव को भी स्वतंत्र निदेशकों के समक्ष रखा गया।
-अधिकारी वर्ग को सम्पूर्ण लाभ देने के लिए उनके सभी बकाया का हिसाब करके राशि की व्यवस्था की गई।
-वहीं, 56000 कर्मचारियों को टरकाने के लिए 1000 करोड़ रुपया में ही अधूरा वेज रीविजन कर दिया गया।
जानिए किस मद में कहां-कितना
मद: अधिकारी: कर्मचारी : अन्य महारत्ना
MGB: 15%: 13%: 15%
Perks: 35%: 26.5%: 35%
Perks: 18 माह शून्य: 100%
एरियर 11000 अधिकारियों के वेज रीविजन पर खर्च राशि: 667 करोड़
56000 कर्मियों के वेज रीविजन के लिए मात्र 1000 करोड़
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जानिए अध्यक्ष और महासचिव क्या बोले
अध्यक्ष हरिओम का कहना है कि एक तरफ 10000 अधिकारी वर्ग को पर्क्स एरियर का लाभ देने के लिए 667 करोड़ रुपया। वहीं, 56000 कर्मचारियों के लिए मात्र 1000 करोड़ रुपया का ही प्रावधान किया गया, जबकि जनवरी 2017 से 71500 कर्मियों का वेज रीविजन अटका हुआ था। सेवानिवृत 15500 कर्मियों की सभी देनदारी को एनजेसीएस नेताओं के साथ मिलकर हड़प लिया गया है।
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वहीं, महासचिव दिलीप कुमार का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कंपनी का प्रबंधन, निजी क्षेत्र के क्रूर मालिकों जैसा व्यवहार कर रही है। वेज रीविजन में न तो संसदीय कमेटी की अनुशंसा का अनुपालन किया गया तथा न ही एनजेसीएस संविधान के नियमों का। बाहरी तथा रिटायर नेताओं ने एनजेसीएस को बंधक बना लिया है।
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