सेल हड़ताल की तारीख आई नजदीक, प्रबंधन जुटा ब्रेनवॉश में

पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने प्रबंधन की उधेड़ी बखिया। कहा-कर्मचारियों और अधिकारियों में भेदभाव पड़ेगा भारी।
SAIL strike date nears, management busy in brainwashing
  • हड़ताल के मद्देनजर अचानक शुरू हुआ कई स्तर पर कॉन्सुलेशन।

सूचनाजी न्यूज, भिजाई। सेल बोनस (SAIL Bonus) और बकाया एरियर आदि को लेकर 28 अक्टूबर को हड़ताल है। सीटू भिलाई के महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि अचानक दिल्ली से लेकर संयंत्र के निचले स्तर तक 28 अक्टूबर के हड़ताल को लेकर काउंसलिंग का दौरा शुरू हो गया है।

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यह कॉन्सुलेशन मीटिंग पिछली बार लोकसभा चुनाव के पहले केंद्रीय श्रम आयुक्त के स्तर पर आयोजित हुआ था एवं उन्होंने ढाई महीने में सब कुछ समाधान कर लेने की बात कही थी। बावजूद इसके उस बैठक में आश्वासन देने वाला प्रबंधन केंद्रीय श्रम आयुक्त एवं यूनियनों के सामने किए हुए वादों का कोई मान नहीं रखा। अब देखना होगा कि आज केंद्रीय श्रम आयुक्त इस पर अपना क्या पक्ष रखते हैं।

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क्या स्थानीय प्रबंधन पूरा कर पाएगा हमारी मांगों को

सीटू के सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा कि दिल्ली रायपुर एवं भिलाई की उच्च प्रबंधन द्वारा कॉन्सुलेशन बैठक बुलाना तो समझ में आता है। किंतु जब स्थानीय प्रबंधन बैठक बुलाकर यूनियनों से चर्चा करता है तो वह समझ से परे है, क्योंकि सीटू का मानना है कि जिन मांगों को लेकर हड़ताल आयोजित है, उनमें से एक भी मांग पर स्थानीय प्रबंधन कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि 5 जून 2023 को सीटू ने संयंत्र के सभी मुख्य महाप्रबंधकों को लंबित मुद्दों को लेकर मांग पत्र दिया था। उस समय मुख्य महाप्रबंधकों ने कहा था कि यह हमारे दायरे से बाहर की बात है।

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यहां तक की ठेका मजदूरों को पूरा वेतन दिलाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रबंधन की है किंतु स्थानीय प्रबंधन उस काम को भी नहीं कर पाता है स्थानीय प्रबंधन का बस एक ही बात कहना होता है कि यह सब मांगे ऊपरी स्तर की है हम कुछ नहीं कर सकते तो ऐसे में स्थानीय प्रबंधन को इन सब बातों पर कॉन्सुलेशन का दिखावा नहीं करना चाहिए।

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तब चिंतित नहीं रहता है प्रबंधन जब घंटो बाधित रहता है उत्पादन

सीटू नेता अशोक खातरकर ने कहा कि संयंत्र के कई विभाग कभी ब्रेकडाउन के कारण तो कभी उत्पादन न करने के निर्देशों के कारण घंटों बंद रहते हैं। तब प्रबंधन बिल्कुल चिंतित नहीं रहता है, किंतु जैसे ही हड़ताल का आह्वान होता है। प्रबंधन अचानक से उत्पादन का पिटारा लेकर बैठ जाता है। इसीलिए प्रबंधन को कर्मियों के आंदोलन को बाधित करने के लिए उत्पादन को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

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क्या वाकई कर्मियों के समस्याओं से चिंतित है प्रबंधन?

सीटू के सहायक सचिव के. केवेंद्र ने कहा कि प्रबंधन द्वारा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच किए जा रहे भेदभाव पूर्ण रवैया किसी से छुपा हुआ नहीं है। सीटू का प्रबंधन से दो टूक प्रश्न है कि क्या वाकई प्रबंधन कर्मियों की समस्याओं को लेकर चिंतित है यदि ऐसा होता तो कर्मियों का वेतन समझौता 93 महीने से लंबित नहीं रहता।

कर्मचारी विरोधी भ्रामक बोनस फार्मूला नहीं लाया गया होता, कर्मियों की लंबित मांगों को अधर में नहीं लटकाया गया होता इन सब गतिविधियों से स्पष्ट है कि प्रबंधन कर्मियों के समस्याओं को लेकर चिंतित नहीं रहता है, जबकि कर्मी लगातार संयंत्र के उत्पादन को बनाए रखते हुए नए नए कीर्तिमानों को स्थापित करता रहता है। जिसके बूते पर प्रबंधन हजारों करोड रुपए मुनाफा करने का आंकड़ा जारी करता है।

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