99 महीने बाद भी SAIL का अधूरा वेतन समझौता, NJCS बैठक बुलाने, EPS 95 हायर पेंशन पर CITU उतरा सड़क पर

SAIL's wage settlement is incomplete even after 99 months, CITU's protest on the demand of calling NJCS meeting and EPS 95 higher pension
तत्काल एनजेसीएस बैठक बुलाने की मांग को लेकर सीटू ने किया प्रदर्शन। भिलाई के बोरिया गेट पर नारेबाजी की गई।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ विरोध।
  • वेतन संशोधन सहित 39 महीनों के बकाया भुगतान।
  • भत्तों के बकाया भुगतान, एचआरए, एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि हो।
  • संविदा श्रमिकों की मांगों का समाधान करें।
  • प्रोत्साहन योजना (इंसेंटिव स्कीम) की समीक्षा हो।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 99 माह बीत जाने के बाद भी सेल कर्मचारियों (SAIL Employees) का वेतन समझौते से जुड़े लंबित मुद्दों का निराकरण नहीं हो सका है। कर्मचारियों को 39 माह के एरियर, एच आर ए,एच ए पर्क्स का 50% राशि में छूट,19 माह के पर्क्स का एरियर इत्यादि सहित ठेका कर्मियों के वेतन समझौता अभी तक नहीं हुआ है। इस सम्बंध में तत्काल एनजेसीएस की बैठक बुलाई जाने की आवश्यकता है।

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इन्हीं सब मांगों को लेकर स्टील वर्कर्स फैडरेशन ऑफ इंडिया (Steel Workers Federation of India) के आह्वान पर एचएसईयू (सीटू) भिलाई सहित सेल के सभी इकाइयों में 12 मार्च को शांति पूर्ण प्रदर्शन किया गया है। जिसके तहत आज सुबह 8:00 बजे से 9:00 तक बोरिया गेट में प्रदर्शन कर निदेशक प्रभारी भिलाई इस्पात संयंत्र के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

SAIL's wage settlement is incomplete even after 99 months, CITU's protest on the demand of calling NJCS meeting and EPS 95 higher pension

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30 जून 2021 की हड़ताल के बदौलत बढ़ा पर्क्स

महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-वेतन समझौता को लेकर प्रबंधन द्वारा बार-बार अड़चन पैदा करने के खिलाफ सम्मानजनक वेतन समझौता को लेकर 30 जून 2021 की हड़ताल के बदौलत ही हमें 26.5% पर्क्स मिल रहा है। अन्यथा प्रबंधन तो 15% पर्क्स भी देने के लिए तैयार नहीं था सीटू का मानना है कि कर्मियों के द्वारा लड़ी जा रही हर लड़ाई का कोई ना कोई नतीजा जरूर निकलता है वेतन समझौता पूर्ण होते तक कर्मियों को लेकर सीटू का स्वतंत्र एवं संयुक्त आंदोलन जारी रहेगा।

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99 महीना बीत जाने के बाद भी पूर्ण नहीं हुआ वेतन समझौता

सीटू अध्यक्ष विजय जांगड़ ने कहा कि सार्वजनिक उद्योग के इतिहास में सेल ऐसा पहला उद्योग होगा जहां 99 महीना बीत जाने के बाद भी वेतन समझौता पूर्ण नहीं हो सका है। प्रबंधन बैठक बुलाने में आनाकानी करता है, बल्कि बुलाए गए बैठकों में समझौता के दिशा में बात करने के बजाय तरह-तरह के अड़ंगे बाजी करने लगता है, जो कि केंद्र सरकार के द्वारा थोपे गए अफॉर्डेबिलिटी क्लास के निर्देश एवं इशारे पर हो रहा है।

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सार्वजनिक उद्योग में सरकार के हस्तक्षेप के चलते पैदा हो रहा है वेतन समझौता में विवाद

सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा-सरकार के अफॉर्डेबिलिटी क्लास के चलते सेल प्रबंधन 39 महीने का एरियर्स नहीं देने पर अड़ा हुआ है जबकि वेतन समझौता के पश्चात वेतन समझौता लागू होने के दिन से बकाया एरियर्स देना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। उस एरियर्स पर हर कर्मी का हक है। किंतु सार्वजनिक उद्योगों में सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप के चलते एरियर्स को लेकर यह विवाद उत्पन्न हो गया है। साथ ही साथ 99 महीना बीत जाने के बाद भी वेतन समझौता संपन्न नहीं हो सका है।

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सरकार एवं सेल प्रबंधन गठजोड़ की देन है एक तरफा ग्रेच्युटी सीलिंग

सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा-ग्रेच्युटी को एकतरफा और अनैतिक रूप से सीमित किया गया है और सभी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा। बकाया भुगतान न करने से पीएफ राशि में नुकसान हो रहा है और पेंशन की गणना को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है। प्रबंधन के एकतरफा निर्णय कर्मचारियों को कम सेवानिवृत्ति लाभ के साथ कठिन सेवानिवृत्ति जीवन की ओर धकेल रहे हैं।

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जल्द लागू करें हायर पेंशन

एसपी डे ने कहा-हायर पेंशन को लेकर तरह-तरह की रुकावटें पैदा की जा रही है, जिसमें कर्मियों का कोई भी दोष नहीं है। अलग-अलग समय में अलग-अलग बातों को कहकर ईपीएफओ द्वारा उच्च वेतन पर पेंशन अभी तक शुरू नहीं किया गया है। इससे कर्मचारियों का मनोबल कमजोर हो रहा है साथ ही औद्योगिक अशांति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

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ठेका मजदूरों का वेतन समझौता भी लंबित

अशोक खातरकर ने कहा-ठेका कर्मी अब उत्पादन और सभी इकाइयों के संचालन में एक अभिन्न अंग बन गए हैं। उन्हें ना केवल कठिन और जोखिम भरे कार्यों को करने के लिए मजबूर किया जाता है बल्कि सुरक्षा और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के साथ समझौता करके काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। संविदा कर्मचारियों के योगदान के बिना कंपनी का उत्पादन एवं आर्थिक लाभ अर्जित करना संभव नहीं है। लेकिन प्रबंधन उनके योगदान को मान्यता देने के लिए पूरी तरह से उदासीन है।

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यह है प्रमुख मांगे

1. सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ विरोध।
2. वेतन संशोधन सहित 39 महीनों के बकाया भुगतान।
3. भत्तों के बकाया भुगतान।
4. एचआरए।
5. एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि।
6. संविदा श्रमिकों की मांगों का समाधान।
7. प्रोत्साहन योजना (इंसेंटिव स्कीम) की समीक्षा।
8. मानव संसाधन की भर्ती।
9. आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लागू करना।
10. प्रशिक्षुओं के लिए रात्रि पाली भत्ता को स्थाई कर्मियों के साथ समानता।
11. कार्यस्थल में सुरक्षा सुनिश्चित करना और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करना आदि।

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