RINL: कार्मिकों के वेतन पर संकट, SEFI का इस्पात मंत्री को पत्र, पहले से मिल रही कम सैलरी, अब नई मुसीबत

SEFI Strongly Protests against the Unjust Order issued for Payment of Salaries to RINL Employees, Writes Letter to the Steel Minister
  • सेफी ने आरआईएनएल के कार्मिकों के वेतन भुगतान के लिए निकाले गए अन्यायपूर्ण आदेश का किया कड़ा विरोध, इस्पात मंत्री को लिखा पत्र।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के कर्मचारियों के वेतन पर आए संकट के खिलाफ स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी ने आपत्ति दर्ज कराई है। एनसीओए के कार्यकारी अध्यक्ष और सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी को पत्र लिख दिया है।

सेफी का कहना है कि राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के प्रबंधन द्वारा 15.11.2025 को जारी परिपत्र संख्या 03/2025 के तहत वेतन को औसत उत्पादन लक्ष्य के प्राप्ति के अनुपात में वेतन भुगतान की व्यवस्था की गई है, जो कि अन्यायपूर्ण होने के साथ ही विधिसम्मत नहीं है।

अतः इस तरह के अन्यायपूर्ण आदेश का सेफी ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए इस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने हेतु इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी को पत्र लिखा है। इस पत्र में सेफी ने उन गैर विधि सम्मत बिन्दूओं को उजागर किया है, जिसके तहत आरआईएनएल कार्मिकों के साथ किए जा रहे भेदभाव व अन्यायपूर्ण प्रक्रियाओं को माननीय मंत्री के संज्ञान में लाया है।

श्रम नियमों की भी अनदेखी, वेतन निर्धारण का फार्मूला तय

विदित हो कि आरआईएनएल प्रबंधन ने अपने इस आदेश में डीपीई दिशानिर्देशों की अवहेलना के साथ ही श्रम नियमों की भी अनदेखी कर वेतन निर्धारण का फार्मूला तय किया है, जो किसी भी परिस्थिति में तर्कसंगत व न्यायसंगत नहीं है।

आरआईएनएल प्रबंधन के इस आदेश के तहत नवंबर 2025 माह से वेतन का भुगतान प्राप्त उत्पादन लक्ष्यों के अनुपात में किया जाएगा। नवंबर 2025 माह हेतु निर्धारित उत्पादन लक्ष्य निम्नानुसार जारी किया गया हैं जिसके तहत सिंटर प्लांट हेतु औसतन 24,000 टन ग्रॉस सिंटर उत्पादन प्रतिदिन इसी प्रकार ब्लास्ट फर्नेस हेतु औसतन 19,000 टन हॉट मेटल प्रतिदिन, एसएमएस हेतु औसतन 125 हीट्स प्रतिदिन, सीओ एवं सीसीपी हेतु औसतन 370 पुशिंग्स प्रतिदिन, रोलिंग मिल्स हेतु औसतन 13,500 टन फिनिश्ड प्रोडक्ट्स प्रतिदिन, मार्केटिंग हेतु औसतन 15,000 टन बिक्री प्रतिदिन। इन निर्धारित लक्ष्यों को पूर्ण करने पर ही बेसिक व डीए का पूर्ण भुगतान होगा अन्यथा उत्पादन लक्ष्य प्राप्ति के अनुपात के हिसाब से वेतन का भुगतान किया जाएगा।

वेतन प्लांट एवरेज के आधार पर देंगे

इस परिपत्र के अनुसार आगामी महीनों के लक्ष्य आवश्यकतानुसार पुनरीक्षित किए जाएंगे। अन्य सभी विभागों, जिनमें सेवाएँ एवं गैर-वर्क्स विभाग शामिल हैं, के कार्मिकों का वेतन प्लांट एवरेज के आधार पर दिया जाएगा। प्लांट एवरेज की गणना निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के औसत के आधार पर की जाएगी।

मटेरियल मैनेजमेंट विभाग के कार्मिकों का वेतन प्लांट एवरेज पर आधारित होगा, बशर्ते कि संबंधित माह में कम से कम 27 रैक कोक (या समतुल्य मात्रा) संयंत्र में प्राप्त हों। यदि कोक प्राप्ति में कमी रहती है, तो एमएम विभाग हेतु प्लांट एवरेज को उसी अनुपात में समायोजित किया जाएगा।

मूल वेतन एवं डीए कानूनी रूप से संरक्षित वेतन है

सेफी ने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए इस आदेश को गैर विधिसम्मत और अन्यायपूर्ण माना है। इस संदर्भ में सेफी के अध्यक्ष ने बताया कि प्रत्येक कार्मिक का मूल वेतन एवं डीए कानूनी रूप से संरक्षित वेतन हैं, ये वेतन उत्पादन या प्रदर्शन आधारित नहीं होते, इसलिए इन्हें किसी भी प्रकार के उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप अनुपातिक रूप से इस वेतन को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। परिभाषा के अनुसार तथा स्थापित न्यायिक दृष्टांतों के आधार पर, यह पद के लिए न्यूनतम गारंटीकृत वेतन है।

मूल वेतन, डीए, पर्क्स, पीआरपी…

डीपीई दिशानिर्देश मूल वेतन, डी.ए., पर्क्स, पी.आर.पी. तथा सेवानिवृत्ति लाभों की संरचना को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं। इनमें से केवल प्रदर्शन-आधारित वेतन (पीआरपी) को ही कंपनी के लाभ से जोड़ा जा सकता है।

डीए को सरकार द्वारा त्रैमासिक संशोधित किया जाता है और इसका उद्देश्य केवल मुद्रास्फीति का प्रभाव कम करना तथा क्रय-शक्ति की रक्षा करना है। मूल वेतन और डी.ए. का सम्मिलित भाग ही पीएफ जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों की गणना का आधार है।

सामाजिक सुरक्षा व न्याय के सिद्धांत का विरोधी है सर्कुलर

एनके बंछोर ने आरआईएनएल प्रबंधन के इस परिपत्र को सामाजिक सुरक्षा व न्याय के सिद्धांत का विरोधी बताया है। इस संदर्भ में श्री बंछोर ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध उपबंध अधिनियम और अन्य कल्याणकारी कानून मूल वेतन और डी.ए. को सुरक्षित वेतन घटक के रूप में मान्यता देते हैं, जिससे कर्मचारियों के लिए पूर्वानुमानित पीएफ योगदान सुनिश्चित होता है।

उत्पादन से वेतन को जोड़ने का कोई भी प्रयास इस विधिक ढांचे के विरुद्ध है तथा सामाजिक सुरक्षा के उद्देश्य को बाधित करता है। यह संरचना न केवल श्रम कानूनों की दृष्टि से अनुचित है बल्कि समानता, निष्पक्षता तथा सामाजिक सुरक्षा के संवैधानिक अधिकारों पर भी गंभीर प्रश्न उत्पन्न करती है।

आज भी अधिकारी तीसरे पे-रिविजन से वंचित

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने जानकारी देते हुए बताया कि आरआईएनएल अधिकारियों पर आज इस आदेश से दोहरी मार पड़ेगी। अफोर्डेबिलिटी क्लॉज के चलते आज भी अधिकारी तीसरे पे-रिविजन से वंचित है।

आरआईएनएल के बोर्ड-स्तरीय एवं उससे नीचे के अधिकारियों तथा गैर-यूनियन पर्यवेक्षकों के लिए अंतिम वेतन संशोधन जनवरी 2010 में (01.01.2007 से प्रभावी) परिपत्र संख्या पीएलध्आरआरध्डब्ल्यु (01)/5100001730 दिनांक 25 जनवरी 2010 के माध्यम से लागू किया गया था, जो डीपीई के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 26 नवंबर 2008 पर आधारित था।

अन्य स्टील पीएसयू की तुलना में कम वेतन मिल रहा आरआइएनएल में

आरआईएनएल इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एकमात्र ऐसा पीएसयू है जो आज भी द्वितीय पे-रिविजन ही लागू है। आज भी थर्ड पे-रिविजन को लागू नहीं किया जा सका, जबकि कंपनी ने दस में से सात वर्षों में लाभ दर्ज किया था। इस अवधि में आरआईएनएल बड़े विस्तारीकरण से भी गुजरा है। इस कारण आरआईएनएल अधिकारी अन्य स्टील पीएसयू की तुलना में कम वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

स्टील उत्पादन एक पूर्णतः एकीकृत प्रक्रिया है। यदि किसी कारणवश ब्लास्ट फर्नेस प्रभावित हो, तो उसकी सीधी प्रभाव श्रृंखला स्टील मेल्टिंग शॉप व रोलिंग मिल पर पड़ती है। ऐसी स्थिति में क्षमता उपयोग का लक्ष्य पूरा न होने पर वेतन काटना तकनीकी रूप से भी अव्यावहारिक है। निर्धारित वेतन पाना प्रत्येक कार्मिक का अधिकार है।

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी से आरआईएनएल प्रबंधन के इस अन्यापूर्ण आदेश को वापस करवाने हेतु तत्काल दखल देने की मांग की है।