- 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में कुल शहरी बेघर आबादी 9,38,348 है।
- कौशल प्रशिक्षण आदि के विभिन्न अधिकारों का सम्मिलन करके आश्रय लाभ प्रदान किया जाता है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची (7th Schedule of Indian Constitution) के अनुसार, भूमि और उपनिवेशीकरण राज्य के विषय हैं। इसलिए, बेघर व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए कदम उठाना और योजनाएं तैयार करना राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
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केन्द्र सरकार (Central Government) विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाबद्ध हस्तक्षेपों के माध्यम से राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में सहायता कर रही है।
आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू (Housing and Urban Affairs Minister of State Tokhan Sahu) ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कई जानकारी दी। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) के तहत ‘शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थल (एसयूएच)’ का प्रबंधन करता है।
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इसका उद्देश्य शहरी बेघर लोगों को बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित स्थायी आश्रय उपलब्ध कराना है। शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थल के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, बेघर बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश, कौशल प्रशिक्षण आदि के विभिन्न अधिकारों का सम्मिलन करके उन्हें आश्रय लाभ प्रदान किया जाता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी
इसके अलावा, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय पात्र शहरी परिवारों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करने हेतु प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) (Pradhan Mantri Awas Yojana-Urban (PMAY-U)) का भी कार्यान्वयन करता है। इस तरह की योजना में सभी पात्र शहरी परिवारों को बुनियादी नागरिक सुविधाओं के साथ हर मौसम के अनुकूल पक्के मकान उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है।
आश्रय स्थल चलाने वाली एजेंसी की जिम्मेदारी बेघर व्यक्तियों की पहचान करे
शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थल के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, आश्रय स्थल चलाने वाली एजेंसी की जिम्मेदारी बेघर व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें आश्रय स्थल में स्थान प्राप्त करने के लिए राजी करने की होगी।
इसके अलावा, दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि जब आवश्यक होगा तो बेघर लोगों के परिवार का पता लगाने में स्थानीय पुलिस की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
परिवार के साथ पूछताछ, परामर्श सत्र
इसके अलावा, दिशा-निर्देशों में आश्रय गृह में प्रवेश के समय व्यक्तियों के सामाजिक-जनसांख्यिकीय विवरण एकत्र करने का प्रावधान है। यदि आवश्यक हो, तो निवासियों को परामर्श सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें उनके मूल स्थान के बारे में जानकारी मांगी जाती है।
यदि बेघर व्यक्ति को परिवार ने त्याग दिया है, तो संबंधित राज्य प्राधिकरण संबंधित कल्याण विभागों / पुलिस / गैर सरकारी संगठनों / सीबीओ आदि की सहायता के साथ तत्काल पुनः एकीकरण की संभावनाओं का पता लगाने के लिए परिवार के साथ पूछताछ, परामर्श सत्र आयोजित करता है।