- संयुक्त के बैनर तले एकत्रित है भिलाई के सभी 9 यूनियन।
सूचनाजी न्यूज़, भिलाई। आज सभी 9 यूनियन के साथी एकत्रित होकर सुबह बोरिया गेट (Boriya Gate) पर ड्यूटी जाने वाले कर्मियों को एवं शाम को मेन गेट (Main Gate) पर संयंत्र से घर जा रहे कर्मियों को 28 अक्टूबर की सफल हड़ताल के लिए बधाई दिए कर्मियों के पक्ष में वेतन समझौता एवं बोनस को लेकर भिलाई के सभी 9 यूनियन संयुक्त ट्रेड यूनियन के बैनर तले एक मंच पर है एवं मांगे पूरी होती तक संघर्ष को लगातार जारी रखने का एलान करते हैं।
प्रबंधन पूछता था कहा है आक्रोश – भिलाई के कर्मियों में दिखा दिया इसे कहते हैं आक्रोश
NJCS की बैठकों में जब यूनियन नेता कहते थे कि कर्मियों में जबरदस्त आक्रोश है तो प्रबंधन चुटकी लेते हुए पूछता था कि कहां है आक्रोश, हमें तो कहीं दिखाई नहीं देता I 28 अक्टूबर के हड़ताल को कर्मियों ने मुकम्मल कामयाब बनकर प्रबंधन को बता दिया कि “यह है हमारा आक्रोश, आप अपने आंकड़ों के बाजीगरी में उलझे रहिए, हम जानते हैं कि हड़ताल मुकम्मल कामयाब हुआ है आपको बैठक भी बुलाना होगा और कर्मियों की मांगों को भी मानना होगा”
प्रबंधन जल्द बैठक बुलाई वरना फिर शुरू होगा आंदोलन का अगला दौर
कर्मियों को बधाई देते हुए संयुक्त ट्रेड यूनियन के नेताओं ने कहा कि संयुक्त ट्रेड यूनियन के आह्वान पर भिलाई के कर्मियों ने पूरी ताकत से हड़ताल में साथ दिया अब यूनियन प्रबंधन से यह मांग कर रही है कि जल्द से जल्द बैठक बुलाकर स्थाई एवं ठेका कर्मियों के वेतन एवं बोनस से जुड़े सभी मांगों का निराकरण करें अन्यथा फिर से आंदोलन का अगला दौरा शुरू हो जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी केवल और केवल प्रबंधन की होगी
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हड़ताल की तैयारी में यूनियनो का खर्च हुआ 27000 और हड़ताल रोकने प्रबंधन ने खर्च किया करोड़
संयुक्त ट्रेड यूनियन के नेताओं (Join Trade Unions Leaders) ने कहा कि हड़ताल की तैयारी के लिए ट्रेड यूनियनों को लगभग 27000 रुपए खर्च करना पड़ा अर्थात ₹4500 का पोस्टर ₹5000 का पर्चा, बैनर पंडाल एवं माइक प्रचार में लगभग ₹18000 खर्च हुआ है वहीं हड़ताल को असफल करने के लिए प्रबंधन ने जो तैयारी की थी उसमें भोजन के पीछे ही कई लाख रुपए खर्च होने की बात सोशल मीडिया में जोरों से चल रहा है प्रबंधन तो हड़ताल रोकने के लिए किए गए पैसे का हिसाब सार्वजनिक नहीं करेगा किंतु प्रबंधन को यह मालूम होना चाहिए कि उनके द्वारा खर्च किया जा रहा एक-एक पैसा आम कर्मियों के मेहनत से किए गए उत्पादन के बदौलत आता है इसीलिए इसका हिसाब देना प्रबंधन की जिम्मेदारी है क्योंकि इस खर्च को करने के लिए संयंत्र के किसी भी कर्मी ने नहीं कहा था
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