- कश्मीर पर लगी धारा 370 को हटाया जा सकता है तो ये पीदनी सी EPS 95 के कानून को दुरुस्त क्यूँ नहीं किया जा सकता था।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग ने माहौल को गर्म रखा है। ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष अनिल कुमार रामदेव कहते हैं कि क्या EPS95 की अकल्याणकारी पेंशन योजना कांग्रेस सरकार की देन है? कुछ हताश, निराश पेंशनरों की सोच कुछ इसी प्रकार से उनके जहन में चल रही है,आरोप प्रत्यारोप सोशल मीडिया में यदाकदा देखने को मिल रहे हैं।
ठीक है माना कि कांग्रेस सरकार का क्रिएशन है। इस पर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जब अंग्रेजों के बनाये अनेक कानून को दुरुस्त किया जा सकता है। कश्मीर पर लगी धारा 370 को हटाया जा सकता है तो ये पीदनी सी EPS 95 के कानून को दुरुस्त क्यूँ नहीं किया जा सकता था। बेचारे बुजुर्ग पेंशनरों ने क्या बिगाड़ा है मोदी सरकार का, जो पिछले 10 सालों से अपनी पीड़ा पर सरकार से गुहार लगा रहे हैं।
सारे सांसदों से लेकर सारे केन्द्रीय मंत्रियों को अपनी तकलीफों से अवगत कराया गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री से दो बार रूबरू होकर अपना दुखड़ा सुना चुकें हैं। सारे देश में लाखों पेंशनरों ने अपनी मांगों के संबंध में 10 सालों से आंदोलन कर सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहे हैं। बदले में उन्हें क्या मिला, सिर्फ आश्वासन के सिवाय कभी कुछ मिला है तो कोई बताए?
हजारों EPS 95 के पेंशनर्स को सरकार से न्याय नहीं मिला तो सर्वोच्च न्यायालय तक के दरवाजे खटखटाये। फैसले भी हुए,पर उनकी मातहत श्रम मंत्रालय और EPFO जैसे नाम की कल्याणकारी संस्था का रवैयों के चलते आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं।
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अब जितनी कांग्रेस को दोष दे लें, क्या वर्तमान सरकार भी बराबरी की दोषी नहीं जान पड़ती। सरकार किसी की भी हो,अपने मंत्रियों,सांसदों के वेतन, पेंशन के इजाफे की बात होती है,तो वहाँ मिनटों में निर्णय ले लिया जाता है,पर जब EPS 95 के लोगों की बात कही जाए तो पूरा एक दशक का समय भी कम पड़ता दिखाई दे रहा है। कैसी बिडम्बना है इस देश की प्रजातांत्रिक सरकारों का अपने ही देश के वरिष्ठ सेवानिवृत्त पेंशनरों के साथ…ये हम समझ नहीं पा रहे हैं।
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