सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) के भिलाई स्टील प्लांट से एक बड़ी खबर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि दो दर्जन से ज्यादा मजदूरों ने काम छोड़ दिया। करीब 4 हजार रुपए हर महीने सैलरी से वापस लेने का आरोप लगाया गया है।
मजदूरों का कहना है कि लगातार शिकायत करने के बावजूद किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इससे क्षुब्ध होकर भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के टीएंडडी (BSP T&D) के मजदूरों ने एक साथ अपना गेट पास प्रबंधन को हैंडओवर कर दिया है। इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है।
टीएंडडी के रेलवे सिग्नलिंग में करीब 53 ठेका कर्मी मेंटेनेंस कार्य में कार्यरत हैं। इनमें से लगभग दो दर्जन से ज्यादा ठेका कर्मियों ने वेतन बढ़ाने के मामले को लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया है।
जब कर्मियों ने अपने वेतन को बढ़ाने की मांग की, तब ठेकेदार ने वेतन बढ़ाने से मना कर दिया। फिर विरोध स्वरूप सारे ठेका कर्मी अपने गेट पास को ठेकेदार के पास जमा करके संयंत्र से बाहर चले गए। संयंत्र में इस प्रकार की पहली घटना हुई है।
हर माह 4000 वापस ले लेता था ठेकेदार
मजदूरों ने यूनियन नेताओं को बताया कि वह सभी कर्मी एक ठेकेदार के अंतर्गत करीब 20 साल से नौकरी कर रहे थे। ठेका मजदूरों की मांग करने के बाद भी ठेकेदार द्वारा ठेका कर्मियों का वेतन बढ़ाना तो दूर उल्टा ठेकेदार हर महीने उन ठेका कर्मियों से 4000 वापस ले लेता था।
ज्ञात हो कि ठेका मजदूर के वेतन वृद्धि के लिए प्लांट स्तर पर भी उप समिति का गठन किया गया है। किंतु प्रबंधन उस उप समिति में ठेका श्रमिकों के वेतन वृद्धि करने के लिए जिस तरह का प्रस्ताव पेश करती है उससे स्पष्ट होता है कि ठेका श्रमिकों का वेतन ना तो प्रबंधन बढ़ाना चाहती है ना ही ठेकेदार द्वारा इस दिशा में कोई पहल किया जाता है।
पूरे संयंत्र में प्रभावित होगा रेलवे सिग्नलिंग मेंटेनेंस का काम
रेलवे सिग्नल के मेंटेनेंस का काम इससे बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि केवल एक या दो ठेका कर्मी अभी रेलवे सिग्नलिंग में बचे हैं, जो जनरल शिफ्ट में है। लेकिन उसे प्रबंधन सेकंड शिफ्ट का भी कार्य करवा रहा है, क्योंकि कभी इस मेंटेनेंस के कार्य को संयंत्र के स्थाई कर्मी किया करते थे।
इसे प्रबंधन ने धीरे-धीरे करके ठेका श्रमिक के हवाले कर दिया। अब संयंत्र में गिने चुने स्थाई कर्मी ही इस कार्य के लिए बचे हुए हैं, जिनको हेल्पिंग हैंड नहीं देने पर पूरे संयंत्र के अंदर यह काम प्रभावित होना स्वाभाविक है।
रेलवे सिग्नलिंग को चुस्त दुरुस्त रखने का कार्य करते थे ठेका कर्मी
रेलवे सिग्नलिंग का मुख्य कार्य शंटिंग ऑपरेशन को करने वाले प्वाइंट मशीन और पूरे रिले सिस्टम के मेंटेनेंस का है। शंटिंग का काम सीटीसी (सेंट्रल ट्रैफिक कंट्रोल) के द्वारा किया जाता है, जिसे यार्ड मास्टर ऑपरेट करते हैं। जब सीटीसी में शंटिंग के कार्य को किया जाता है तो उसे जमीनी स्तर पर पॉइंट मशीन करती है, जिसके मेंटेनेंस का काम रेलवे सिग्लनिंग द्वारा किया जाता है।
इसके साथ ही उससे संबंधित पूरे के पूरे रिले सिस्टम को भी मेंटेन करने का काम रेलवे सिग्नल द्वारा किया जाता है। अब ठेका श्रमिकों की वाजिब मांग को ठेकेदार एवं अधिकारियों की मिली भगत द्वारा जानबूझकर उच्च प्रबंधन की जानकारी में नहीं दिया गया है, जिसका नतीजा अब पूरा संयंत्र भुगतेगा।
रेल रोड क्रॉसिंग पर लगने वाली ब्लिंकर को भी रेलवे सिग्नल द्वारा मेंटेन किया जाता है। कर्मचारियों के अभाव में इस ब्लिंकर को मेंटेन करने का कार्य भी बाधित होगा।
भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन का पक्ष
भिलाई स्टील प्लांट के टीएंडडी के ठेका मजदूरों द्वारा गेट पास जमा करने और वसूली के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। प्रबंधन का क्या पक्ष है। इसको जानने के लिए जनसंपर्क विभाग के मुखिया जैकब कुरियन से प्रबंधन का पक्ष पूछा गया। सवाल सुनने के बाद उन्होंने कहा-पता करके बताता हूं।
वहीं, टीएंडडी के जीएम ऑपरेशन जॉन मिंज से सूचनाजी.कॉम ने पक्ष लिया। उन्होंने कहा, सिंग्लनिंग में 70 मजदूर नहीं हैं। इतनी बड़ी संख्या तो नहीं है। कुछ मजदूरों द्वारा गेट पास जमा करने का मामला सामने आया। मैंने तत्काल ठेकेदार को बुलाकर समस्या समाधान करने को कहा, ताकि बीएसपी का कामकाज प्रभावित न होने पाए।
ठेकेदार को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि मामले को हल किया जाए। शिकायत दोबारा नहीं आनी चाहिए। ठेकेदार ने आश्वासन दिया था कि मामला हल कर लेंगे।