EPS 95 हायर पेंशन: अदालत को भरमाने में जुटा EPFO, Pro-Rata Basis पर पेंशनभोगियों से बेईमानी…!

  • ईपीएफओ द्वारा केरल उच्च न्यायालय में दिया गया हलफनामा, पेंशनभोगियों को Denial of Justice  (न्याय से वंचित) करने का एक अच्छा सबूत बन गया है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) पर ईपीएफओ (EPFO) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पेंशनर्स परेशान हो रहे हैं। कोर्ट तक की लड़ाई लड़ी जा रही है। अब ताजा मामला यह है कि कोर्ट में गलत जानकारी देकर भ्रम पैदा करने का आरोप ईपीएफओ पर लगना शुरू हो गया है। आइए पढ़ते हैं आखिर क्यों यह आरोप लगाया जा रहा है।

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पेंशनर्स कल्याण कुमार सिन्हा ने सूचनाजी.कॉम के लिए यह रिपोर्ट तैयार की। उनका कहना है कि केरल के एक अखबार ‘मलयाला मनोरमा’ ने अपने एक अप्रैल 2024 के अंक में केरल उच्च न्यायालय में पीएफ आनुपातिक पेंशन मामले पर चल रही सुनवाई में ईपीएफओ के हलफनामे का विश्लेषण किया है।

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मलयाला मनोरमा के अनुसार उच्च पीएफ पेंशन के लिए आनुपातिक आधार गणना के कार्यान्वयन के खिलाफ याचिका में ईपीएफओ द्वारा केरल उच्च न्यायालय में दिया गया हलफनामा, पेंशनभोगियों को Denial of Justice  (न्याय से वंचित) करने का एक अच्छा सबूत बन गया है।

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हाईकोर्ट को भी गुमराह करने का दुस्साहस

ईपीएफओ अधिकारियों ने अपने हलफनामें में पेंशन के लिए आनुपातिक आधार (Pro-Rata Basis) पर गणना का अपनी ओर से बड़ा ही लुभावना तर्क देने की कोशिश की है। लेकिन, प्रश्न है कि क्या पहले की तरह ऐसे लुभावने तर्क से फिर से वह न्यायालय को भरमाने में सफल हो जाएगा? आश्चर्य का विषय यह है कि अपने इस हलफनामे से आखिर हाईकोर्ट को भी गुमराह करने का दुस्साहस सरकार का यह संगठन कैसे कर पा रहा है?

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केरल इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन का मामला

यह मामला केरल उच्च न्यायालय में केरल इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (KINFRA) के एक का सेवानिवृत्त कर्मचारी तिरुवनंतपुरम निवासी वी.आर. बालू द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया है। उच्च पेंशन के लिए बालू को ईपीएफओ ने 30 अप्रैल तक 28 लाख 29 हजार 782 रुपए जमा करने का नोटिस दिया है। इसे बालू ने चुनौती दी है।

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प्रति माह 31,673 रुपए उच्च पेंशन

बालू द्वारा दायर इसी याचिका की सुनवाई में ईपीएफओ ने अपने हलफनामे में बताया कि उक्त मामले में, यदि वी.आर. बालू यदि 28.29 लाख रुपए उच्च पेंशन योजना में वापस कर देते हैं तो उन्हें प्रति माह 31,673 रुपए उच्च पेंशन के रूप में अतिरिक्त राशि मिलेगी।

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हालांकि यह राशि बैंक की सावधि जमा पर अर्जित ब्याज की तुलना में इतनी बुरी नहीं लग सकती है, लेकिन हलफनामे में इस तथ्य का कोई उल्लेख नहीं है कि 28.29 लाख रुपए की जमा राशि ईपीएफओ द्वारा कभी वापस भी की जाएगी अथवा नहीं।

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EPFO ने प्रो-राटा के रूप में सबसे निर्दयी कटौती की

ईपीएफओ की इस चालाकी के बारे में हाईकोर्ट ध्यान नहीं देगी, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता। लेकिन देखना है, ऊंट किस करवट बैठता है।
अभी तक किसी अदालत ने इस ओर भी ध्यान नहीं दिया है कि ईपीएफओ द्वारा अपनी अधिसूचना के आधार पर 2014 के संशोधन से पेंशन योग्य वेतन को 12 महीने के औसत से बदल कर 60 महीने के औसत कर दियागया है। इससे भी पेंशनभोगियों को भारी नुकसान हुआ। अब EPFO ने प्रो-राटा के रूप में ‘सबसे निर्दयी कटौती’ की है।

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