- लोकसभा चुनाव को लेकर यूनियनों में खींचतान।
- भिलाई स्टील प्लांट की संयुक्त यूनियन और बीएमएस व बीएसपी वर्कर्स यूनियन के बीच बढ़ी तनातनी। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) को लेकर भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की यूनियनों में तनातन बढ़ गई है। बीएमएस (BMS) और बीएसपी वर्कर्स यूनियन (BSP Workers Union) के आरोपों पर संयुक्त यूनियन ने पलटवार करते हुए कहा-सांसद से पूछे गए सवालों से उनके अनुयाई बौखला गए हैं। इसीलिए चुनाव से पहले पहले डैमेज कंट्रोल करने के लिए बयान बाजी करने लगे है। किंतु वास्तविकता यह है कि दुर्ग जिला लोकसभा के जनप्रतिनिधि होने के नाते संयुक्त यूनियन के नेता सांसद महोदय से सवाल कर रहे थे बाकी सच्चाई यह है कि यह पब्लिक है यह सब जानती है।
लाखों का नुकसान करवाने वाले को पहचानते हैं कर्मी
कर्मियों को ग्रेच्युटी सीलिंग से जहां 10 से 15 लाख का नुकसान हो रहा है। वहीं, 39 माह का एरियर्स न देने से अलग-अलग ग्रेड में 2 से 4 लाख रुपए के नुकसान हो रहा है। कर्मी अच्छे से जानते हैं कि किन यूनियनों ने प्रबंधन के साथ बैठक करके कर्मियों के पक्ष में सकारात्मक निर्णय लेने की दिशा में प्रबंधन पर दबाव बनाने की। कोशिश किया और किन लोगों ने बैठक से ही भाग खड़ा हुआ एवं कर्मियों के बीच जाकर ट्रिपल इंजन सरकार होने की दुहाई देते रहे।
झूठ है अफॉर्डेबिलिटी क्लास हटवाने की बात
सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि जो लोग दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अफॉर्डेबिलिटी क्लास हटवा दिया है। इसकी सत्यता की जांच करने संयुक्त यूनियन ने केंद्र सरकार की प्रेस ब्यूरो ऑफ इंडिया की साइट पर जाकर देखा तो पाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से अफॉर्डेबिलिटी क्लास के संदर्भ में जारी किया गया दिशा निर्देश यथावत है। सच्चाई यह है कि अफॉर्डेबिलिटी क्लास प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में निर्णय लेकर जारी किए गए दिशा निर्देश का हिस्सा है।
इसे हटाने के लिए भी कैबिनेट स्तर का अप्रूवल या स्वयं प्रधानमंत्री के स्तर पर की गई कार्यवाही जरूरी है, जो कि नहीं हुआ है। इसीलिए संयुक्त यूनियन का मानना है कि आज भी अफॉर्डेबिलिटी क्लास कर्मियों पर लागू है।
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ग्रेच्युटी सीलिंग पर हस्ताक्षर का दस्तावेज करें सार्वजनिक
सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा-ग्रेच्युटी सीलिंग को लेकर संयुक्त यूनियन पर जो बयान बाजी हो रही है, उसे सब पर संयुक्त यूनियन ने पहले ही केंद्र सरकार के अनुशंसा पर सेल प्रबंधन द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को सार्वजनिक कर चुके हैं। इसके बावजूद संयुक्त यूनियन पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उसने गुपचुप तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हस्ताक्षर किया है।
यदि इस संदर्भ में कोई भी दस्तावेज है तो उसे सार्वजनिक करें। साथ ही साथ कर्मियों के हित में किसी भी मंच पर सबूत के साथ चर्चा करने के लिए संयुक्त यूनियन तैयार है ताकि चर्चा में कर्मियों के सामने सब कुछ दूध का दूध एवं पानी का पानी हो जाएगा।
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संयुक्त यूनियन द्वारा दिए सबूत को समझ चुके हैं कर्मी
संयुक्त यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार (Central Govt) के प्रेस ब्यूरो ऑफ़ इंडिया (Press Bureau of India) के साइट पर दर्ज अफॉर्डेबिलिटी क्लास का जिक्र हो, चाहे ग्रेच्युटी सीलिंग पर प्रबंधन द्वारा जारी किया गया सर्कुलर हो, चाहे मजदूर के वेतन से जुड़े हुए मामले हो, चाहे प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से किया गया ट्रांसफर का मुद्दा हो। चाहे अस्पताल स्कूल आदि के बंद होने का मामला हो। चाहे नई भर्ती पर लगी हुई रोक हो। संयुक्त ट्रेड यूनियन ने जो भी बयान जारी किया है उसके सबूत एवं तथ्यों को भी जारी किया है।