- सीबीटी में अब कुछ नहीं है। कहां से उम्मीद करें। 10 साल से संघर्ष ही संघर्ष। कोई नतीजा नहीं, फिर भी हम मरते दम तक संघर्ष का दावा।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। देश के करीब 78 लाख पेंशनभोगियों की नजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सातवें बजट पर थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation) से नाराज पेंशनर्स को उम्मीद थी कि बजट में कुछ खास होगा।
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बजट भाषण सुनने के बाद पेंशनभोगी जस्टिन स्टैनिस्लॉस ने भड़ास निकालते हुए मन की बात लिखी-सीबीटी में अब कुछ नहीं है, बस कुछ नहीं है। अब कहां से उम्मीद करें। 10 साल से संघर्ष ही संघर्ष। कोई नतीजा नहीं, फिर भी हम मरते दम तक संघर्ष करेंगे।
पेंशनभोगियों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platforms of Pensioners) के एडमिन मोनीश गुहा भी काफी मायूस हैं। उन्होंने लिखा-उम्मीद है और मुझे यकीन है कि कोई भी हमारे कंधे पर बंदूक रखकर अपना राजनीतिक कैरियर नहीं बना रहा है।
कोई उम्मीद नहीं है, बिल्कुल प्रिय मित्रों ईपीएफ पेंशनर्स का ईपीएफ विभाग (EPF Department) द्वारा एकत्रित अंशदान और उस पर मिलने वाला ब्याज ही एमपी, एमएलए, मंत्री और उनके नीचे के कर्मचारियों को प्रतिमाह 127000 रुपए देता है, जो उनके वेतन से कोई योगदान नहीं देते है।
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हर 5 साल के कार्यकाल में वे पेंशन के रूप में कई लाख कमा रहे हैं और यह आजीवन चलता रहेगा, इसलिए वे पुराने ईपीएफ पेंशनर्स (EPF Pensioners) को पेंशन देने के लिए कभी सहमत नहीं होते हैं। शर्म आती है। मंत्रियों को शर्म आती है, मंत्री पद से हटकर एमपी, एमएलए, पद और खेती या खेती करना हमें भारत में ऐसे नेता नहीं चाहिए। राष्ट्रीय मजदूर समूह स्वार्थी लालची और गरीब पेंशनर्स के खून के प्यासे शर्म आती है।
ब्रह्माजी राव वसंतराव ने लिखा-हम सब प्रार्थना करें हम सब जपें…हे प्रभु, भगवान श्री राम के दूत, कृपया हमें आशीर्वाद दें, ताकि असंभव संभव हो जाए। यह मंत्र सरल है लेकिन बहुत शक्तिशाली है।