क्या बात है आत्मनिर्भर भारत की मुहिम, खनन क्षेत्र में निजी और विदेशी कंपनियां

  • केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में दी जानकारी।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। 15 अक्टूबर 2020 से प्रभावी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार, हीरे, सोने, चांदी और कीमती अयस्कों सहित धातु और गैर-धातु अयस्कों के खनन एवं अन्वेषण के लिए ‘स्वचालित’ मार्ग के तहत शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है।

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टाइटेनियम युक्त खनिजों और उसके अयस्कों के खनन एवं पृथक्करण, उसके मूल्य संवर्धन और एकीकृत गतिविधियों के लिए, ‘सरकारी’ मार्ग के तहत शत-प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा निर्दिष्ट “निर्धारित पदार्थों” के खनन में एफडीआई की अनुमति नहीं है।

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केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 [एमएमडीआर अधिनियम, 1957] को 12.01.2015 से संशोधित किया गया था, जिसके तहत खनिज रियायतों के अनुदान के लिए नीलामी व्यवस्था की शुरुआत की गई थी। उक्त संशोधन का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता लाना तथा खनन क्षेत्र से राज्य सरकारों को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि करना था।

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इसके बाद, एमएमडीआर अधिनियम, 1957 को 28.03.2021 तथा 17.08.2023 से संशोधित किया गया, जिसका उद्देश्य अन्य विषयों के साथ-साथ खनिज उत्पादन में वृद्धि करना, खनन क्षेत्र में रोजगार तथा निवेश को बढ़ावा देना, खनिज अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना तथा खनिज संसाधनों की नीलामी की प्रगति को बढ़ाना है।

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कुछ प्रमुख संशोधनों में खदानों की नीलामी के लिए अंतिम उपयोग प्रतिबंधों को हटाना, अन्वेषण करने के लिए मान्यता प्राप्त निजी अन्वेषण एजेंसियों को अधिसूचित करने की अनुमति देना तथा राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के तहत ऐसी एजेंसियों को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाना, खनिज रियायतों के हस्तांतरण पर प्रतिबंधों को हटाना तथा महत्वपूर्ण तथा गहराई में स्थित खनिजों का अन्वेषण तथा उत्पादन बढ़ाना शामिल है, जो उच्च तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन तथा रक्षा सहित कई क्षेत्रों की प्रगति के लिए आवश्यक हैं।

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23 निजी अन्वेषण एजेंसियां अधिसूचित

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए सुधारों के परिणामस्वरूप, वर्ष 2015 में नीलामी व्यवस्था की शुरुआत के बाद से देश में कुल 395 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की गई है, जिन्हें निजी कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों दोनों को आवंटित किया गया है। इनमें से 50 खदानें पहले से ही उत्पादन कर रही हैं। इसके अलावा, अन्वेषण करने के उद्देश्य से 23 निजी अन्वेषण एजेंसियों को अधिसूचित किया गया है।

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राजस्व में काफी वृद्धि हुई

जिन राज्य सरकारों ने नीलामी की गई खदानों को परिचालित किया है, उनके राजस्व में काफी वृद्धि हुई है। राज्यों को नीलामी प्रीमियम का वार्षिक उपार्जन प्रचालनरत नीलाम की गई खानों से लगभग 20,000 करोड़ रुपये है। यह राशि रॉयल्टी भुगतान और पट्टाधारकों द्वारा जिला खनिज फाउंडेशन और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट को दिए गए अंशदान के अतिरिक्त है।

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