- इलाज के बाद पूर्णतः स्वस्थ होकर 1100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए अब गिद्ध पहुंचा गुजरात के सूरत इलाके में।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। राजधानी रायपुर के समीप स्थित नंदनवन जंगल सफारी (Nandanvan Jungle Safari) के वन अधिकारियों एवं चिकित्सकों की टीम विलुप्त प्रजाति के सफेद पूंछ वाले बीमार गिद्ध का रेस्क्यू कर उसकी जान बचाने में सफल रही है।
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यह बीमार गिद्ध लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरता हुआ बीते दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद वनक्षेत्र के बागबाहरा पहुंचा था। इस बीमार गिद्ध के रेस्क्यू के बाद नंदनवन जंगल सफारी (Nandanvan Jungle Safari) के वन्य चिकित्सकों एवं वन अधिकारियों ने बड़ी सावधानी के साथ इस गिद्ध का इलाज किया।
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इसके स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रखी, जिसके चलते कुछ ही दिनों में यह गिद्ध स्वस्थ एवं सामान्य स्थिति में आ गया। जंगल सफारी की टीम ने इस गिद्ध को फिर से उड़ान भरने के लिए छोड़ दिया है।
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नंदनवन जंगल सफारी के अधिकारियों द्वारा बीमार गिद्ध के बचाव कार्य की मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने सराहना की है। उन्होंने गिद्ध के रेस्क्यू ऑपरेशन और इलाज में लगी अधिकारियों की टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि विलुप्त होती गिद्ध की इस प्रजाति का छत्तीसगढ़ के अधिकारियों द्वारा बचाव के लिए किए गए प्रयासों की जितनी सराहना की जाए कम है।
गौरतलब है कि सफेद पूंछ वाला गिद्ध (वाईट रुम्पड वल्चर) एक संकट ग्रस्त प्रजाति है। वर्तमान में इस प्रजाति की संख्या देश में 13 हजार से भी कम रह गई है। यह गिद्ध बड़े पेड़ों पर घोंसला बनाते हैं और साल भर में केवल एक ही अंडा देते हैं, जिससे इनकी संख्या बढ़ने की गति धीमी होती है।
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ये गिद्ध केवल उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां जैव विविधता समृद्ध होती है और प्रदूषण या औद्योगीकीकरण का प्रभाव कम होता है। गिद्ध के इस प्रजाति के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में भारत में वाईट रुम्पड वल्चर की निगरानी और संरक्षण के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व ने एक विशेष पहल करते हुए 10 सफेद पूंछ वाले एक गिद्धों को एक साथ जियो-ट्रैकिंग उपकरण के साथ जंगल में छोड़ा गया था, जिसमें से एक गिद्ध महाराष्ट्र राज्य में उड़ान भरते हुए छत्तीसगढ़ के इन्द्रावती टाईगर रिजर्व होते हुए कांकेर जिले से महासमुंद वन क्षेत्र बागबाहरा में पहुंच गया था।
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नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) (Bombay Natural History Society (BNHS)) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व का गिद्धों को छोड़ने का उद्देश्य उनके प्रवास मार्गों का अध्ययन करने के साथ- साथ उनको प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रख उनका संरक्षण और संवर्धन करना था। उन 10 गिद्धों में से एक गिद्ध 20 दिनों में लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरने के बाद महासमुंद वन क्षेत्र में आ गया था।
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बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) (Bombay Natural History Society (BNHS)) की निगरानी टीम ने जियो-ट्रैकिंग उपकरण की मदद से जाना कि यह गिद्ध बागबाहरा जंगल मे एक ही स्थान पर लंबे समय तक रुका हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने नंदनवन जंगल सफारी रायपुर के अधिकारियों से सम्पर्क किया और पूरी स्थिति की जानकारी दी।
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नंदनवन जंगल सफारी (Nandanvan Jungle Safari) के वन्यजीव डॉक्टरों और वन अधिकारियों की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बागबाहरा क्षेत्र से गिद्ध का सुरक्षित रेस्क्यू किया और 26 अगस्त को उसे नंदनवन जंगल सफारी ले आए। यहां चिकित्सकों की देखरेख में गिद्ध को उचित उपचार और पोषण दिया गया, जिससे वह स्वस्थ होने लगा। कुछ दिनों में ही गिद्ध पूरी तरह से स्वस्थ हो गया और उसकी सक्रियता लौट आई।
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नंदनवन जंगल सफारी (Nandanvan Jungle Safari) के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया कि नंदनवन जंगल सफारी से वन्य जीव चिकित्सकों के सलाह के आधार पर 26 सितंबर 2024 को गिद्ध को फिर से उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया, जिसके बाद यह गिद्ध यहां से 1100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए गुजरात के सूरत इलाके में पहुंच गया है। इस गिद्ध की लोकेशन की ट्रेकिंग बीएनएचएस द्वारा की जा रही है।