सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल प्रबंधन (SAIL Management) ने 39 माह का एरियर्स पर असहमति जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा अफोर्टबीलिटी क्लाज (Affordability Clause) लगाने के कारण एरियर्स देना संभव नहीं है। इस पर भिलाई श्रमिक सभा एचएमएस के महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि सेंट्रल लेबर कमिश्नर कार्यालय में 26 नवंबर को हुई काउंसिलेशन बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा था।
इसमें सेंट्रल लेबर कमिश्नर द्वारा सेल प्रबंधन (SAIL Management) को निलंबित किए हुए कर्मचारी की कार्यवाही को गलत बताते हुए रिपोर्ट मांगी थी। जिसका जवाब सेल प्रबंधन (SAIL Management) ने दिया। इसकी प्रति सभी यूनियनों को दी गई। सेल प्रबंधन (SAIL Management) ने कहा केि एरियर्स देना संभव नहीं है, इसका जवाब देते हुए कामरेड एसडी त्यागी उपाध्यक्ष (एचएमएस) ने कहा कि यदि प्रबंधन को इसकी जानकारी थी तो पहले क्यों नहीं बताया गया। यह गलती प्रबंधन की है और अब प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि सरकार से अप्रूवल ले और कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान करें।
भिलाई श्रमिक सभा(एचएमएस) के महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र ने ग्रेच्युटी सीलिंग, एडिशनल इंक्रीमेंट एच आर पर्क के 50 प्रतिशत टैक्स को माफ करने तथा 9 प्रतिशत पेंशन अंशदान 01-01-2007 से देने का मुद्दा उठाया।
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बीएमएस के प्रतिनिधि ने एक कर्मचारी के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया जिसे कुछ ही दिनों पूर्व इलाज के लिए हैदराबाद रेफर किया गया था तथा उसकी मेडिकल फैसिलिटी रोक दी गई है आरएलसी के कहने पर तत्काल उसका मेडिकल फैसिलिटी को बहाल कर इलाज शुरू किया गया। सीटू के प्रतिनिधि ने इस कॉउंसिलेशन बैठक को निरस्त कर (फैलियर आफ कॉउंसिलेशन) का मुद्दा उठाया जिसे बाकी सभी यूनियनों ने नकार दिया।
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क्योंकि जब मैनेजमेंट बैठक बुलाने को तैयार है और जिन कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है, करने पर मामला कोर्ट में चला जाएगा। सीटू द्वारा इस प्रकार की बात करना दुर्भाग्य जनक है ।
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अंत में ड्राफ्ट में सीटू को छोड़ सभी यूनियनों ने हस्ताक्षर किया सीटू का कहना था कि अन्य मुद्दों को भी ड्राफ्ट में लिखा जाए जबकि आरएलसी का कहना था कि सभी मुद्दों का उल्लेख 24 जनवरी की बैठक में किया जा चुका है। इस पर सीटू ने साइन करने से इनकार किया।
सीटू द्वारा साइन न किए जाने को ही मुद्दा बनाते हुए प्रबंधन ने भी हस्ताक्षर करने से मना कर दिया प्रमोद कुमार मिश्र का कहना है की बैठक में अधिकतर मुद्दों को हमने स्वयं उठाया है लेकिन हमने हस्ताक्षर किया है क्योंकि हम भलीभांति जानते हैं कि लेबर कमिश्नर की कुछ सीमाएं हैं।