9 जुलाई की हड़ताल को प्रबंधन ने कहा-अवैध, CITU ने उसी की भाषा में किया पलटवार, पढ़ें जरूर

BSP called the strike of 9th July illegal, CITU retaliated in the same language, must read
  • 1970 में हुए त्रिपक्षीय समझौता के तहत सेल के विभिन्न इकाइयों में कार्यरत कर्मियों को असीमित ग्रैच्युटी मिल रही थी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 9 जुलाई की हड़ताल को भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन (Bhilai Steel Plant Management) ने अवैध बताया। पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने इस पर पलटवार करते हुए करारा जुबानी हमला किया है।

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सीटू नें केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानून को खत्म कर मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को लागू करने एवं केंद्र के इशारे पर सेल प्रबंधन द्वारा लिए जा रहे कार्मिक विरोधी निर्णय की जमकर आलोचना करते हुए 9 जुलाई की हड़ताल को सफल बनाने की अपील की।

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इस अवसर पर यूनियन ने कहा कि हड़ताल कर्मियों का वैधानिक अधिकार है। इसीलिए वह नियमानुसार 14 दिन का नोटिस देने के बाद उनके द्वारा दिए गए मांग पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं करने पर हड़ताल में जाने को मजबूर होता है। इसीलिए हड़ताल तो वैध है। किंतु कर्मियों का हक रोकना अवैध है।

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क्या वैध है? कर्मियों का 39 माह का एरियर्स रोकना

सीटू ने कहा कि मजदूरों के हक का पैसा अर्थात 39 माह का एरियर्स रोकना क्या वैध है? क्योंकि यह पैसा कर्मियों के मेहनत का है, जिस पर अफोर्डेबिलिटी क्लाज लगाकर केंद्र सरकार एवं सेल प्रबंधन डाका डाल रही है। प्रबंधन की मजदूर विरोधी यह कृत्य अवैध है।

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अवैध है 8 साल तक वेतन समझौता नहीं करना

वेतन समझौता करने के नियम के अनुसार पिछला वेतन समझौता समाप्त होने के 6 माह पहले से ही अगला वेतन वार्ता शुरू किया जा सकता है। किंतु प्रबंधन ने 2020 तक केंद्र सरकार के अफोर्डेबिलिटी क्लाज में उलझ कर बैठक तक नहीं बुलाया। अब 8 साल 6 महीना पूरे हो चुके हैं। किंतु वेतन समझौता पूर्ण नहीं किया गया। कर्मियों के वेतन समझौता के साथ इस तरह का मजाक करना अवैध है।

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क्या वैध है? पेंशन फंड के प्रतिशत में भेदभाव करना

सीटू नेताओं ने कहा-जब पेंशन फंड में मूल वेतन एवं महंगाई भत्ते का एक निश्चित प्रतिशत राशि देने की बात तय हो रही थी, तब प्रबंधन ने जहां अधिकारियों के लिए 9% निर्धारित किया था वहीं कर्मचारियों के लिए 6% से ज्यादा ना दे पाने के लिए कई तर्क बताएं। जबकि वे सारे तर्क अवैध थे। दरअसल प्रबंधन अधिकारियों को तो किसी न किसी मद में पैसा देना चाहती है। किंतु जब कर्मियों की बारी आती है तो इस बात पर पूरी कवायत शुरू कर देती है कि मजदूरों का पैसा कैसे रोका जाए।

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क्या वैध है ग्रेच्युटी सीलिंग करना

1970 में हुए त्रिपक्षीय समझौता के तहत सेल के विभिन्न इकाइयों में कार्यरत कर्मियों को असीमित ग्रैच्युटी मिल रही थी, जिस पर केंद्र सरकार के अनुशंसा का हवाला देते हुए त्रिपक्षीय समझौता को एकतरफा खारिज कर ग्रैच्युटी को सिलिंग कर देना अवैध है।

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इतने सारे अवैध कार्य करते हुए प्रबंधन के द्वारा यह कहना उचित नहीं है कि कर्मियों के जायज मांग के लिए किया जा रहा संघर्ष अवैध है। प्रबंधन एवं केंद्र सरकार मजदूर विरोधी निर्णय लेना बंद कर दे, तब कर्मियों के द्वारा हड़ताल करने की नौबत ही नहीं आएगी।

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प्रबंधन के नाक के नीचे हो रहा है ठेका कर्मियों का शोषण, प्रबंधन बताए यह वैध है या अवैध

संयंत्र में अनेक विभागों में कार्यरत ठेका कर्मियों से आठ घंटे से ज्यादा 12 घंटे काम करवाया जाता है और मजदूरी भी पूरा नहीं दिला पाता है। यूनियनों को शिकायत मिलती है कि ठेकेदार उनसे तीन से चार हजार रुपए ले लेता है। यह सब प्रबंधन के नाक के नीचे हो रहा है। दुर्घटना होने पर इंज्यूरी फार्म नहीं भरा जाता है‌। प्रबंधन बताए यह सब वैध है या अवैध।

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क्या वैध है? कर्मियों को अधिकारियों से कम रात्रि पाली भत्ता देना

सेल के विभिन्न संयंत्रों में रात्रि पाली में एक रात के लिए जहां अधिकारियों को 200 रात्रि पाली भत्ता मिलता है। वही कर्मियों को 180 रात्रि पाली भत्ता दिया जाता है तथा ट्रेनी कर्मियों को भी स्थाई कर्मियों के बराबर रात्रि पाली भत्ता देने के लिए बार-बार बोलने के बावजूद ट्रेनी कर्मियों को 60 से बढ़कर 120 रात्रि पाली भत्ता किया गया है,जबकि रात्रि पाली में तीनों जाग कर अपना काम करते हैं। ऐसे में इस तरह का भेदभाव करना क्या प्रबंधन के लिए वैध है?

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