नेताजी आश्वासन के सबसे बड़े व्यापारी, EPS 95 न्यूतम 7500 पेंशन न मिलने की लाचारी

EPS 95: Lakhs of pensioners are worried due to not getting minimum pension of Rs 7500
  • संसद के बाहर पेंशनरों के मांगों के समर्थन में कई सांसद खुलकर आए। आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने…।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) 7500 रुपए की मांग है। केंद्र सरकार पर लगातार दबाव डाला जा रहा है। मंत्रियों और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization (EPFO)) के अधिकारियों के साथ कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। लेकिन, रिजल्ट जीरो है। इससे भड़के पेंशनर्स अब सड़क पर उतरने को मजबूर हो चुके हैं।

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ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष Anil Kumar Namdeo ने EPS 95 न्यूतम 7500 पेंशन एवं अन्य मांगों पर खुलकर कमेंट किया है। उन्होंने कहा-जहां तक NAC के कमांडर अशोक रॉउट द्वारा 4 और 5 अगस्त के दिल्ली आंदोलन की बात कही जाए, तो आज हर किसी का दिल और दिमाग सरकार के प्रति बेहद असंतोष और आक्रोश से भरा हुआ है।

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सोचने का विषय है कि ऐसा क्यूँ न हो,क्या किसी सरकार को किसी मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए 10 साल की अवधि का समय भी कम लगता है,जबकि जब संसद में सांसदों के पेंशन बढ़ाने में मात्र 10 मिनट का समय ही काफी होता है।

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इतना कुछ होने के बाद भी गरीबों और कमजोर वर्ग की मसीहा कहे जाने वाली प्रजातांत्रिक सरकार द्वारा अपनी ही प्रजा की वर्षों से न्याय की गुहार को अनसुनी किया जाने और उनकी ओर से किसी भी प्रकार का सकारात्मक संकेत प्राप्त नहीं होना, देश के बुजुर्ग,सेवानिवृत वरिष्ठ नागरिकों का दुर्भाग्य न कहा जाए तो और क्या कहा जा सकता है।

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उचित पेंशन के अधूरे सपने

अनिल कुमार नामदेव ने कहा-हमारे भाग्यविधाताओं को इसकी रत्ती भर भी चिंता नहीं कि पिछले 10 सालों से न्याय की मांग करते करते कितने ही पेंशनर काल की गर्त में समा चुके हैं और रोजाना ही देश के किसी ने किसी कोने से न जाने कितने अपने उचित पेंशन के अधूरे सपनों के साथ इस संसार से एक एक कर के विदा हुए जा रहे हैं।

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व्यापार EPS 95 के सेवानिवृत्तों के साथ

देश का कोई बड़ा नेता हो या छोटा। आश्वासनों के सबसे बड़े व्यापारी हो चुके हैं। आज यही व्यापार EPS 95 के सेवानिवृत्तों के साथ किया जा रहा है,उनके लिए देश, जनहित, समाज,सर्वोपरि नहीं, सर्वोपरि है तो बस सत्ता तक पहुंचने के लिए कुछ भी कर गुजरने की ललक।

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आगाज तो अच्छा है अंजाम खुदा जाने…

अभी आगे और क्या क्या होना है? बस देखना ही बाकी रह गया। ऐसा न केवल आम पेंशनरों का मानना है, बल्कि पक्ष-विपक्ष के माननीय अनेक सांसदों का भी मानना है, जो संसद के बाहर पेंशनरों के मांगों के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। आगाज तो अच्छा है अंजाम खुदा जाने…।

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