- भारी आर्थिक नुकसान पर एक रिपोर्ट 29 जुलाई 2025 को संसद में पेश की गई थी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल को लेकर कैग की रिपोर्ट ने कई सवाल उठाए हैं। इस पर बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने इस्पात सचिव को पत्र लिखकर दोषी तथा जिम्मेदार पदाधिकारियों पर कारवाई करने की मांग की है।
भारत के नियंत्रक एवं लेखा परिक्षक ने सेल के गलत इंवेंट्री नीतियों तथा कोयले की अत्याधिक खपत के कारण सेल को हुए भारी आर्थिक नुकसान पर एक रिपोर्ट दिनांक 29 जुलाई 2025 को संसद में पेश किया है। जिसमें सेल प्रबंधन की गलत कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाया गया है। गलत प्रबंधकीय क्षमता के कारण कंपनी को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
कैग द्वारा दर्ज की गई आपत्तियाँ
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने इन्वेंट्री के लिए कोई मानक तय नहीं किया था। कच्चे माल, अर्ध-तैयार माल और तैयार माल की प्रति टन लागत, इस तथ्य के बावजूद कि 2016-17 से 2022-23 के दौरान औसतन, इसकी इन्वेंट्री ₹21,698 करोड़ थी, जो इसकी वर्तमान परिसंपत्तियों का लगभग 67 प्रतिशत है।
सेल लौह अयस्क, कोक, सिंटर जैसे कच्चे माल के स्टॉक स्तर को बनाए रखने में विफल रहा, जिसके कारण ब्लास्ट फर्नेस को ऑफ-ब्लास्ट अवस्था में रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप राउरकेला, बोकारो और दुर्गापुर इस्पात संयंत्रों में 9.32 लाख टन हॉट मेटल का उत्पादन और ₹1,231.52 करोड़ का संभावित राजस्व अर्जित करने में असमर्थता रही।
सेल नॉन मूविंग इन्वेंट्री के मानदंडों को बनाए नहीं रख सका, क्योंकि नॉन मूविंग इन्वेंट्री सेल में कुल इन्वेंट्री के 6.10 प्रतिशत से 8.38 प्रतिशत के बीच थी, जो 2016-17 से 2022-23 के दौरान कुल इन्वेंट्री के तीन प्रतिशत के मानदंड से हमेशा अधिक थी।
सेल संयंत्रों में भंडार और पूर्जों की कुल गैर-चलती इन्वेंट्री 2016-17 में ₹137.40 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹212.57 करोड़ हो गई, जो ₹75.17 करोड़ (55 प्रतिशत) की वृद्धि दर्शाती है। आवश्यकता पर विचार किए बिना इन्वेंट्री की अधिक खरीद के परिणामस्वरूप गैर-चलती वस्तुओं में पूंजी अवरुद्ध हो गई।
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इन्वेंट्री की खरीद
सेल के इस्पात संयंत्रों ने 2016-2023 के दौरान 9.71 प्रतिशत मामलों में संबंधित विभाग द्वारा मांगपत्र जारी करने और खरीद आदेश जारी करने के बीच निर्धारित छह महीने (186 दिन) के समय से अधिक समय लिया।
सेल ने 2020-21 में भारत कोकिंग कोल लिमिटेड से ईंधन आपूर्ति समझौते की मात्रा (0.48 मिलियन टन) का 152.73 प्रतिशत उठाया, जबकि मौजूदा ईंधन आपूर्ति समझौतों के तहत अन्य आपूर्तिकर्ताओं से सस्ता कोयला उपलब्ध था। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड से 0.17 मिलियन टन कोयले की अतिरिक्त खरीद के परिणामस्वरूप ₹4.65 करोड़ का परिहार्य व्यय हुआ।
सेल के इस्पात संयंत्रों ने प्रबंधन द्वारा निर्धारित मानदंडों से अधिक आयातित कोयले की खपत की। स्वदेशी कोयले की तुलना में महंगे आयातित कोयले की अधिक खपत के परिणामस्वरूप वर्ष 2016-2023 के दौरान ₹2,539.68 करोड़ तक का संभावित अतिरिक्त व्यय हुआ।
भिलाई और राउरकेला के सिंटर संयंत्रों में चूना पत्थर, डोलोमाइट और लौह अयस्क चूर्ण की खपत मानकों से अधिक थी, जिसका मूल्य ₹349.39 करोड़ था। विश्वेश्वरैया लौह एवं इस्पात संयंत्र और सेलम इस्पात संयंत्र में, ₹66.46 करोड़ मूल्य के हल्के डीजल तेल, फर्नेस तेल और एलपीजी की खपत कंपनी द्वारा निर्धारित मानदंडों से अधिक थी।
बोकारो इस्पात संयंत्र में पारंपरिक लैडल कार को टॉरपीडो लैडल कार से बदलने में देरी के कारण
ब्लास्ट फर्नेस से स्टील मेल्टिंग शॉप तक पिघले हुए लोहे के परिवहन में दो से तीन प्रतिशत की तुलना में 3.03 से 4.54 प्रतिशत की अधिक पारगमन हानि हुई। इसके परिणामस्वरूप ₹400.76 करोड़ मूल्य के हॉट मेटल के पारगमन नुकसान में कमी का अपेक्षित लाभ प्राप्त नहीं हो सका।
यूनियन ने अपने पत्र में स्पष्ट आरोप लगाया है कि कैग द्वारा 19 बिंदुओं पर आपत्ती करना सेल के आंतरिक सिस्टम में व्याप्त खामियों का सबूत है। इससे साबित हो रहा है कि उपरोक्त अवधि में सेल के विभिन्न पदों पर नियुक्त अधिकारियों ने कर्तव्यनिष्ठा, पारदर्शिता के साथ काम नहीं किया है।
जबकि उस दौरान उच्च पद पर बैठे सभी अधिकारियों को पूर्ण वेतन/भत्ता, पीआरपी के साथ बाकि सुवाधाएँ दी गई। साथ ही अधिकतर उच्चअधिकारी को ACR मे उच्च ग्रेड दिया गया, जिसका लाभ उन्हे वर्तमान मे सेल के उच्च पद पर नियुक्ति के रूप में मिला है।
1300-1400 करोड़ एरियर का दिए नहीं, हजारों करोड़ का नुकसान
मात्र 1300-1400 करोड़ रुपया एरियर मद में देने के लिए कंपनी प्रबंधन के पास इच्छाशक्ति नहीं है, लेकिन उनकी गलत कार्यप्रणाली के कारण कंपनी को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ गया है। कैग जैसी संस्था उसको प्रमाणित भी कर रही है।
नवीन कुमार मिश्रा-कोषाध्यक्ष, बीएकेएस भिलाई












