- भूपेश सरकार आने के बाद बस्तर में लूपलाइन में भेजे गए अफसर सत्ता परिवर्तन होने के खासा उत्साहित हैं।
अंशुल तिवारी, रायपुर। छत्तीसगढ़ में रविवार को विधानसभा चुनावों के परिणाम जारी हो चुके है। इसके बाद पूर्ण बहुमत में दिख रही भाजपा का सरकार बनाना तय हो गया है।
प्रदेश में सत्ता का हस्तांतरण होने से पहले ही प्रशासनिक तौर पर खलबली मची हुई है। सत्ता के बेहद निकट रहने वाले अफसर, हारे प्रत्याशियों जितने ही व्याकुल है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में इस्तीफे का दौर शुरू हो चुका है।
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा ने सबसे पहले अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेश के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन को सौंप दिया है। जबकि जानकारी मिल रही है कि संविदा पर प्रमुख सचिव जैसे ओहदे पर बैठे डॉ.आलोक शुक्ला भी रविवार रात में ही अपना बंगला खाली कर दिए है।
ये खबर भी पढ़ें : SAIL बोनस, ग्रेच्युटी और एरियर पर ISP से सबसे बड़ी खबर, महाबैठक में ये फैसला
सूत्र बता रहे है कि डॉ.शुक्ला रविवार शाम सत्ता का हस्तांतरण होता देख राजधानी के देवेन्द्र नगर स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी का एलॉटेड बंगला खाली कर दिया। वे रविवार देर रात दो ट्रक में अपना सामान लेकर अपने निज निवास में शिफ्ट हो गए है।
वहीं, सूत्र बता रहे है कि डॉ.आलोक शुक्ला सोमवार को कामकाज शुरू होते ही अपना इस्तीफा भी प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सौंप दिया है।
हम आपको बता दें कि डॉ.आलोक शुक्ला IAS अधिकारी रहे है। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भूपेश सरकार ने उन्हें संविदा नियुक्ति देकर विभागीय सचिव बना दिया था। उन पर डॉ.रमन सिंह के कार्यकाल में हुए कथित नागरिक आपूर्ति निगम (नाम) घोटाले का आरोप है।
वहीं, भूपेश सरकार आने के बाद बस्तर में लूपलाइन में भेजे गए अफसर सत्ता परिवर्तन होने के खासा उत्साहित हैं। जबकि ठीक पांच साल रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर जैसे क्रीम जगहों पर मौज करने वाले अफसर काफी चिंतित है।
यहां यह स्पष्ट कर देना जरूरी हो जाता है कि ऐसे अफसर नाखुश हैं, जो सत्ता के काफी निकट रहे है। लेकिन विशुद्ध रूप से कामकाज करने वाले अफसरों के लिए पिछली सरकार जैसी थी, वैसे ही अगली सरकार को भी लेकर चल रहे है।
ये खबर भी पढ़ें : Election Big Breaking: CM ने दे दिया इस्तीफा, बहुमत से कोसो दूर है पार्टी
खैर, प्रदेश में अभी कई और इस्तीफे होंगे। कई अफसर तैयारी में है। कई निगम, मंडल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सचिव जैसे ओहदे पर बैठे सत्ता के करीबी लोग भी इस्तीफे की तैयारी में है।
साथ ही प्रदेश में स्थिति राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव जैसे बड़े प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग भी हटाए जाने से पहले इस्तीफे के लिए उचित मौके की तलाश कर रहे है।
हम आपको बता दें कि ऐसे भी कुछ प्रशासनिक अफसर हैं, जो कुछ दिन वेट कर मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रीमंडल गठन और शीर्ष अफसरों की नियुक्ति के बाद बनने और बिगड़ने वाले समीकरण पर निगाह लगाए बैठे हुए है।